कांग्रेस ने सरकार से मांग की है कि वह इन अटकलों पर चुप्पी तोड़े और स्पष्ट करे कि क्या नवनीत सहगल की पीएमओ में नियुक्ति पर विचार किया जा रहा है.
प्रसार भारती के पूर्व अध्यक्ष नवनीत सहगल की प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में संभावित नियुक्ति को लेकर अटकलों के बीच कांग्रेस ने सरकार से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है. कांग्रेस ने इस संदर्भ में न्यूज़लॉन्ड्री की एक रिपोर्ट का हवाला दिया है.
इस हफ्ते की शुरुआत में न्यूज़लॉन्ड्री ने आयकर विभाग की एक गोपनीय जांच रिपोर्ट का खुलासा किया था, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार की विभिन्न योजनाओं के टेंडरों में कथित तौर पर चल रहे कमीशन और रिश्वत के एक पूरे तंत्र का विवरण दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक, कम से कम 112 करोड़ रुपये की सार्वजनिक धनराशि कथित रूप से नौकरशाहों, ठेकेदारों और शेल कंपनियों के नेटवर्क के ज़रिये निकाल ली गई.
जांच रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इस कथित घोटाले में सबसे बड़ा हिस्सा नवनीत सहगल को मिला.
1988 बैच के आईएएस अधिकारी नवनीत सहगल जांच अवधि के दौरान कई अहम और प्रभावशाली पदों पर तैनात थे. आयकर विभाग की जांच के एक साल से अधिक समय बाद उन्हें दिल्ली में प्रसार भारती के प्रमुख के रूप में एक महत्वपूर्ण केंद्रीय पद दिया गया. हालांकि, उन्होंने हाल ही में अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही यह पद छोड़ दिया.
शुक्रवार को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा कि इस बात की अटकलें हैं कि नवनीत सहगल को प्रधानमंत्री कार्यालय में संयुक्त सचिव/ओएसडी (कम्युनिकेशन और आईटी) के पद पर तैनात हीरेन जोशी की जगह लाया जा सकता है.
कांग्रेस ने सरकार से मांग की है कि वह इन अटकलों पर चुप्पी तोड़े और स्पष्ट करे कि क्या नवनीत सहगल की पीएमओ में नियुक्ति पर विचार किया जा रहा है, खासकर तब जब उनके नाम से जुड़ी इतनी गंभीर आरोपों वाली जांच रिपोर्ट सार्वजनिक हो चुकी है.
कांग्रेस पार्टी इससे पहले भी पीएमओ में संयुक्त सचिव/ओएसडी (कम्युनिकेशन और आईटी) हीरेन जोशी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुकी है. पार्टी की सांसद प्रियंका गांधी ने दावा किया था कि कथित सट्टेबाजी ऐप घोटाले में जोशी की भूमिका रही है.
शुक्रवार को पवन खेड़ा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक कथित भ्रष्ट अधिकारी की जगह दूसरे कथित भ्रष्ट अधिकारी को लाने की तैयारी में दिखाई दे रहे हैं. उन्होंने कहा, “पीएमओ संदिग्ध लोगों से भरा पड़ा है.”
खेड़ा ने इसे “राष्ट्रीय सुरक्षा” से जुड़ा मामला बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को अब हीरेन जोशी की स्थिति को लेकर पूरी सच्चाई सामने रखनी चाहिए.
इस बीच नवनीत कुमार सहगल ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि यह मामला पहले ही बंद हो चुका है. न्यूज़लॉन्ड्री ने 12 दिसंबर को उन्हें एक प्रश्नावली भेजी थी और बाद में उस पर फॉलो-अप भी किया. पूर्व नौकरशाह का कहना है कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री को भेजे अपने जवाब में सहगल ने कहा, “जिस मामले का आपने ज़िक्र किया है, उसकी आयकर विभाग द्वारा जांच की गई थी. मुझसे स्पष्टीकरण मांगा गया था और मैंने सबूतों तथा कानूनी तथ्यों के साथ अपना जवाब दिया. विभाग ने पूरे मामले की गहन जांच की और इसके बाद इसे अंतिम रूप दे दिया गया. इसलिए लगाए गए आरोप झूठे और मनगढ़ंत हैं. लेकिन किसी भी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले आपको पूरे दस्तावेज़ देखने होंगे. मैंने आपसे पहले भी अनुरोध किया था कि मेरी बिंदुवार प्रतिक्रिया के बिना कोई भी स्टोरी प्रकाशित करना मानहानिकारक और अनुचित होगा. सही स्थिति समझाने और दस्तावेज़ दिखाने के लिए मुझे काग़ज़ात जुटाने होंगे, क्योंकि चर्चा के दौरान आपने कई निराधार बातें भी रखी थीं.”
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