112 करोड़ का घोटाला: इनकम टैक्स विभाग की गोपनीय रिपोर्ट, पैसा यूपी के नौकरशाहों की जेब में, नवनीत सहगल सबसे बड़े लाभार्थी 

हाल ही में प्रसार भारती के चेयरमैन पद से इस्तीफा देकर सुर्खियों में आए नवनीत सहगल से जुड़ी इनकम टैक्स विभाग की गोपनीय रिपोर्ट उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में संगठित भ्रष्टाचार, अन्य नौकरशाहों की मिलीभगत, सहगल की अवैध कमाई, शेल कंपनियों और संपत्तियों पर विस्तृत रोशनी डालती है.

WrittenBy:बसंत कुमार
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नवनीत सहगल ने हाल ही में प्रसार भारती प्रमुख के तौर पर अपने कार्यकाल के बीच में ही इस्तीफा दे दिया.

हमारी यह रिपोर्ट आयकर विभाग द्वारा तैयार की गई एक गोपनीय जांच रिपोर्ट पर आधारित है. 254 पन्नों की इस जांच रिपोर्ट में नकद ट्रांसफर, आईफ़ोन और सूट फिटिंग से जुड़ी व्हाट्सएप बातचीत, एक संदिग्ध शेल फर्म के ज़रिए प्रॉपर्टी का लेनदेन और नवनीत सहगल के बेटे द्वारा संचालित एक कंपनी में 21 करोड़ रुपये के निवेश का दावा किया गया है. न्यूज़लॉन्ड्री के पास इससे जुड़े सारे दस्तावेज मौजूद हैं. सार्वजनिक तौर पर इस मामले में सहगल के खिलाफ किसी तरह कार्रवाई की जानकारी नहीं . यह रिपोर्ट साल 2022 में तैयार की गई. मजे की बात है कि इस रिपोर्ट के केंद्र में मौजूद नवनीत सहगल को 2024 में रिटायर होने के बाद प्रसार भारती के चेयरमैन का पद दिया जाता है. 

4 मार्च, 2022 को, इनकम टैक्स अधिकारियों ने लखनऊ की एक सड़क पर एक टोयोटा गाड़ी को रोका. गाड़ी में तीन आदमी और 41 लाख रुपये नकद थे. बाद में यह छोटा सा मामला उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में व्याप्त एक बड़े भ्रष्टाचार की जांच में बदल गया.

इस जांच के आधार पर तैयार एक गोपनीय रिपोर्ट में बताया गया कि कैसे अधिकारियों, ठेकेदारों और शेल कंपनियों के नेटवर्क के ज़रिए सरकारी योजनाओं के बजट से करीब 112 करोड़ रुपये अधिकारी और बिचौलियों के बीच बंट गए.  

इन आरोपों के केंद्र में 1988 बैच के आईएएस अधिकारी नवनीत कुमार सहगल थे. जिन्हें इस रकम का सबसे बड़ा हिस्सा मिला. इनकम टैक्स की गोपनीय जांच के बावजूद उन्हें 2024 में प्रसार भारती के चेयरमैन के तौर पर एक महत्वपूर्ण केंद्रीय पोस्टिंग दी गई. हाल ही में सहगल ने बिना कार्यकाल पूरा किए प्रसार भारती से इस्तीफा दिया है. 

इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अनुमान के मुताबिक, उन्हें तीन सालों (2019-20 से 2021-22) में 24 करोड़ से ज्यादा रुपये ‘कट मनी’ के रूप में मिले. इसी अवधि के दौरान सहगल यूपी सरकार में प्रमुख पदों पर आसीन थे. जिनमें उत्तर प्रदेश सरकार के तत्कालीन एडिशनल मुख्य सचिव (एसीएस), इंस्टीट्यूट ऑफ एंटरप्रेन्योरशिप डेवलपमेंट (आईईडी) के चेयरमैन और यूपी इंडस्ट्रियल कंसल्टेंट्स लिमिटेड (यूपीकॉन) के चेयरमैन का पद शामिल है. 

इसके अलावा जांच अधिकारियों ने संपत्ति सौदों और आर्थिक संबंधों को लेकर एक लंबी कड़ी का भी खुलासा किया है. ये नवनीत सहगल के परिवार से जुड़ती है और कथित रूप से क्विड प्रो को यानी एक दूसरे को लाभ पहुंचाने की तरफ इशारा करती है. 

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