प्रोजेक्ट इलेक्टोरल बॉन्ड: साल 2024 के खोजी रिपोर्टिंग के बेहतरीन प्रयासों में शामिल

ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क (जीआईजेएन) ने ‘प्रोजेक्ट इलेक्टोरल बॉन्ड’ को 2024 में भारत की सर्वश्रेष्ठ खोजी रिपोर्टिंग में से एक के रूप में चुना है. 

प्रोजेक्ट इलेक्टोरल बॉन्ड की इलस्ट्रेशन.

ग्लोबल इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म नेटवर्क (जीआईजेएन) ने न्यूजलॉन्ड्री, द न्यूज मिनट और स्क्रॉल के साझा प्रयास ‘प्रोजेक्ट इलेक्टोरल बॉन्ड’ को 2024 में भारत की सर्वश्रेष्ठ खोजी रिपोर्टिंग में से एक के रूप में चुना है.

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में इलेक्टोरल बॉन्ड स्कीम को असंवैधानिक करार दिया था. साथ ही कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिले चंदे की जानकारी सार्वजनिक करने की भी बात कही थी. जीआईजेएन नेटवर्क ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश ने "सत्तारूढ़ सरकार के संभावित रूप से अनैतिक और अवैध कृत्यों पर रिपोर्टिंग करने का मौका दिया.” 

न्यूज़लॉन्ड्री, द न्यूज़ मिनट, स्क्रॉल और कई सारे स्वतंत्र पत्रकारों ने इस अवसर पर खोजी पत्रकारिता की बेहतरीन मिसाल पेश की और साथ मिलकर कई सारी खोजी रिपोर्ट की. जिनमें चंदा देने वाली टॉप कंपनियों से लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुरक्षित रखने के बाद भी चुनावी बॉन्ड स्कीम के जारी रहने समेत कई रिपोर्ट शामिल हैं. 

इसके अलावा भारती समूह द्वारा 150 करोड़ रुपये चंदा देने की बात हो या फिर पीएम मोदी के 'करीबी' टॉरेंट ग्रुप द्वारा 185 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदने की या फिर छापेमारी के बाद चंदा दिए जाने की ख़बर हो. ऐसी ही कई खोजी रिपोर्ट इस प्रोजेक्ट के तहत सामने आई.  

इन सब रिपोर्ट को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां और हिंदी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें. 

जीआईजेएन ने कहा है कि यह भारत में अपनी तरह का पहला साझा खोजी पत्रकारिता का प्रयास है. जिसने सरकार, चुनावा आयोग और बड़े औद्योगिक घरानों के बीच की अनैतिक सांठगांठ को उजागर किया.  

जीआईजेएन से साभार तस्वीर.

जीआईजेएन ने लिखा, "चुनावी चंदे और अंतर्निहित भ्रष्टाचार की यह पहेली 31 पत्रकारों की दिन-रात की मेहनत के बिना इतने कम समय में उजागर नहीं हो सकती थी. तीनों मुख्य साइटों पर संयुक्त रूप से प्रकाशित की गई प्रत्येक खोजी कहानी ने भारत में राजनीतिक दलों पर कुछ सबसे बड़े व्यवसायियों की शक्तिशाली पकड़ को उजागर किया." 

उन्होंने आगे कहा कि 20 दिनों के भीतर राजनीतिक दलों को भारी मात्रा में दान के बारे में दस्तावेजों और अन्य सबूतों के आधार पर 40 से अधिक खोजी रिपोर्ट प्रकाशित की गईं. 

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