सुप्रीम कोर्ट के फैसला सुरक्षित रखने के बाद भी जारी होते रहे चुनावी बॉन्ड, भाजपा को मिले 57 फीसदी

सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला 2 नवंबर को सुरक्षित रखा था. इसके बाद 13 पार्टियों को कुल 1,577 करोड़ रुपए मले. शीर्ष दानदाताओं का एक जायजा.

WrittenBy:अबान उस्मानी
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सुप्रीम कोर्ट ने गत वर्ष नवंबर महीने में चुनावी बॉन्ड की वैधानिकता पर अपना निर्णय सुरक्षित रखा था. बावजूद इसके नरेंद्र मोदी सरकार ने लगभग 1,577 करोड़ रुपए के बॉन्ड की बिक्री की घोषणा की. यह जानकारी पारदर्शिता के लिए काम कर रहे कमोडोर लोकेश बत्रा (रिटायर्ड) द्वारा एकत्रित आंकड़ों से सामने आई है. 

चुनाव आयोग द्वारा सार्वजनिक की गई जानकारी के अनुसार, इनमें से लगभग 57.3 प्रतिशत, या 905 करोड़ रुपए से अधिक के बॉन्ड, भाजपा द्वारा भुनाए गए थे.

29वें और 30वें दौर में 6 नवंबर से 20 नवंबर और 2 जनवरी से 11 जानवरी में बेचे गए सभी बॉन्ड 13 दलों द्वारा भुनाए गए थे. इन दलों में भाजपा भी थी, जिसने 9 नवंबर से 4 दिसंबर और 8 जनवरी से 24 जनवरी के बीच बॉन्ड भुनाए थे. 

भाजपा के अलावा बाकी दलों को चंदे के घटते क्रम में देखें तो कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, तेलगु देशम पार्टी, वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, बीजू जनता दल, शिवसेना, डीएमके, पवन कल्याण की जन सेना पार्टी, आरजेडी, बीआरएस, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा शामिल हैं.

कांग्रेस को जहां 215.4 करोड़ रुपए मिले, वहीं तृणमूल कांग्रेस ने 137.2 करोड़ रुपए के बॉन्ड भुनाए. इसके बाद टीडीपी ने 128.2 और वाईएसआर ने 61 करोड़ रुपए के बॉन्ड भुनाए.

वहीं बीजेडी को मिले 30 करोड़, शिवसेना को 25 करोड़, डीएमके को 20 करोड़, जन सेना पार्टी को 17 करोड़, आरजेडी को 15 करोड़, बीआरएस को 13.5 करोड़, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट को 5.5 करोड़ और सिक्किम क्रांतिकारी मोर्चा को 3 करोड़ रुपए मिले.

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सबसे ज्यादा चंदा प्राप्त करने वाले दलों के शीर्ष दानदाता

भाजपा को सबसे ज्यादा चंदा भारती एयरटेल ने143 करोड़ रुपए, वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड 80 करोड़, बिड़ला कार्बन इंडिया 50 करोड़, क्विक सप्लाई चेन प्राइवेट लिमिटेड 50 करोड़, रूंगटा संस 50 करोड़, ससमल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड 50 करोड़, एसईपीसी पावर प्राइवेट लिमिटेड 50 करोड़, उत्कल एल्यूमिना 40 करोड़, और सफल गोयल रियल्टी ने 35 करोड़ रुपयए दिए.

वहीं इसके बाद टोरेंट फार्मास्यूटिकल्स, अरबिंदो फार्मा, प्रथमेश कंस्ट्रक्शन और टोरेंट पावर ने 25-25 करोड़ रुपए दिए.

इस बीच, कांग्रेस के सबसे बड़े दानदाताओं में ससमल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड ने 39 करोड़, एसईपीसी पावर प्राइवेट लिमिटेड 30 करोड़, वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड 20 करोड़, अपर्णा फार्म्स एंड एस्टेट्स 15 करोड़, एवीस ट्रेडिंग फाइनेंस 15 करोड़, डॉ रेड्डीज लैबोरेटरीज 11 करोड़, श्री सिद्धार्थ इंफ्राटेक एंड सर्विसेज 10 करोड़, वंडर सीमेंट 10 करोड़, एमकेजे एंटरप्राइजेज 5 करोड़ और माई होम इन्फ्रास्ट्रक्चर ने 4.5 करोड़ रुपए दिए.

इसी दौरान तृणमूल कांग्रेस को फ्यूचर गेमिंग से 60 करोड़ रुपए, हल्दिया एनर्जी लिमिटेड 35 करोड़, आशीष फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड 5 करोड़, अभिनंदन स्टॉकब्रोकिंग 2 करोड़, संदीप ऑटो लाइन्स 3.5 करोड़, एक महाबीर बंका 3 करोड़, सिनर्जी डीलकॉम 3 करोड़, एक विकास परसरामपुरिया 3 करोड़ और एक प्रशांत कुमार जायसवाल से 2.8 करोड़ रुपए मिले.

टीडीपी के लिए शीर्ष दानदाताओं में वेस्टर्न यूपी पावर ट्रांसमिशन कंपनी लिमिटेड 20 करोड़, शिरडी साई इलेक्ट्रिकल्स 40 करोड़ और नैटको फार्मा 13 करोड़ रुपये शामिल थे.

चुनाव आयोग की जानकारी के मुताबिक, भाजपा को 2018 के बाद से कुल 16,518 करोड़ रुपए के चंदे में से 8,251 करोड़ से ज्यादा का चंदा मिला था. यह हिस्सा सभी दलों को प्राप्त चंदे का लगभग आधा है.

इस ख़बर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

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