वेबसाइट के संपादक मनदीप पूनिया ने कहा कि सरकार द्वारा किसान आंदोलन को कवर करने की सजा दी गई है.
स्वतंत्र मीडिया वेबसाइट ‘गांव सवेरा’ के सोशल मीडिया अकाउंट्स पर रोक लगा दी गई है. गत सोमवार से भारत में गांव सवेरा का फेसबुक पेज नहीं खुल रहा है और मंगलवार से वेबसाइट का एक्स (पहले ट्विटर) अकाउंट भी खुलना बंद हो गया.
गांव सवेरा के संपादक मंदीप पुनिया ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि फेसबुक (मेटा) ने पेज पर रोक लगाने का कोई कारण नहीं बताया है. न्यूज़लॉन्ड्री ने इस बारे में फेसबुक से बात करने की कोशिश की, लेकिन उधर से अभी तक कोई जवाब नहीं आया.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स ने अकाउंट को निलंबित करने का कारण बताने के लिए मेल किया है. मेल में लिखा है कि भारत ‘सरकार के निर्देश के बाद’ गांव सवेरा के एक्स अकाउंट पर रोक लगाई जा रही है. कंपनी की ओर से दावा किया गया है कि गांव सवेरा का ट्विटर अकाउंट ‘भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000’ का उल्लंघन कर रहा था.
मनदीप पूनिया ने बताया कि गांव सवेरा गत दिनों शुरू हुए किसानों के प्रदर्शन से जुड़ी जमीनी हकीकत को रिपोर्ट कर रहा था, इसलिए केंद्र सरकार ने वेबसाइट पर कार्रवाई की है.
उन्होंने कहा कि जब भी कोई पत्रकार ग्रामीण संकट पर रिपोर्टिंग करता है, तब उसके खिलाफ कार्रवाई की जाती है. सरकार नहीं चाहती है कि देश को दिखाया जाए कि कैसे किसान और मजदूर मिलकर इस ग्रामीण संकट के खिलाफ लड़ रहे हैं.
पिछले सप्ताह ही श्रीनगर स्थित न्यूज़ वेबसाइट ‘द कश्मीर वाला’ के अकाउंट को भी निलंबित कर दिया गया था.
वहीं, दिल्ली पत्रकार संगठन (डीयूजे) ने दोनों स्वतंत्र न्यूज़ वेबसाइट के अकाउंट को निलंबित करने पर प्रतिक्रिया देते हुए बयान जारी किया. संगठन ने कहा कि सरकार स्वंतत्र अवाजों को दबाने के लिए नीतिगत तरीके से यह कदम उठा रही है.
इसी साल जून में ट्विटर के पूर्व मालिक जैक डोर्सी ने कहा था कि भारत सरकार ने किसान आंदोलन के दौरान सरकार की आलोचना करने वाले ट्विटर अकाउंट को बंद करने का आदेश दिया था. केंद्रीय राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने जैक डोर्सी के आरोप को झूठा बताया था.