गुजरात पुलिस द्वारा मुसलमान पुरुषों की डंडे से सार्वजनिक पिटाई का अमन चोपड़ा ने मनाया जश्न

न्यूज़18 के इस शो को राकेश स्पाइसेस, गोल्डी मसाले, पल्सर, पतंजलि, अनएकेडमी, नेरोलैक और हॉकिन्स आदि द्वारा प्रायोजित किया गया था.

WrittenBy:तनिष्का सोढ़ी
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"एक...दो...तीन," अमन चोपड़ा ने मंगलवार शाम को अपने प्राइम टाइम शो ‘देश नहीं झुकने देंगे’ की शुरुआत, दर्शकों को अपने साथ गिनती करने के लिए प्रोत्साहित करते हुए की. उन्होंने दर्शकों से "गिनिए आप" कहकर आग्रह किया. दरअसल न्यूज़18 के यह एंकर, गुजरात के खेड़ा में कथित तौर पर 10 मुसलमान पुरुषों की पुलिसकर्मियों द्वारा की गई सार्वजनिक पिटाई की गिनती करा रहे थे.

चोपड़ा ने सार्वजनिक तौर पर पुरुषों पर बार-बार पड़ने वाली बेंत की मार का वर्णन पुलिसकर्मियों द्वारा "डांडिया" खेले जाने के तौर पर किया, जैसे कि यह कोई मनोरंजक क्रियाकलाप हो. ऐसा लग रहा था कि खंबे से बंधे पुरुषों को पुलिसकर्मियों द्वारा पीटे जाने के दृश्य, चैनल के लिए काफी नहीं थे क्योंकि चोपड़ा ने अपनी टीम को आवाज बढ़ाने और इन दृश्यों को "फुल अंबियेंस" के साथ दिखाने के निर्देश दिए थे.

सार्वजनिक रूप से पिटाई का जो वीडियो चोपड़ा ने अपने कार्यक्रम में चलाया, उसमें हिंदू भीड़ को जयकारे और नारे लगाते हुए दिखाया गया है, क्योंकि एक के बाद एक 10 लोगों को खंभे से बांधकर लाठियों से पीटा जा रहा था. चोपड़ा ने अपने दर्शकों से गुजरात पुलिस के "डांडिया" को ध्यान से देखने के लिए कहा. उन्होंने कहा, “वे गरबा पर पथराव कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उनके साथ डांडिया खेल लिया.”

पुलिस ने इन लोगों पर सोमवार रात, एक मस्जिद और मंदिर से सटी हुई खुली जगह में गरबा समारोह को रोकने और पथराव करने का आरोप लगाया था. इन्हें हिरासत में लिया गया और अगले दिन मटर तालुका के उंधेला गांव ले जाया गया. फिर वहीं ग्रामीणों की भीड़ के सामने एक के बाद एक बेंत से पीटा गया. प्रिंट ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि स्थानीय लोगों को पुलिस द्वारा ही इकट्ठा किया गया था.

वीडियो के ऑनलाइन वायरल होने और आक्रोश फैलने के बाद गुजरात पुलिस ने जांच के आदेश दिए हैं.

साथी नागरिकों की सार्वजनिक पिटाई को लेकर अपने खुशनुमा एकालाप के जरिये शो चलाने के बाद चोपड़ा ने एक पैनल "चर्चा" शुरू की. उनके पैनल में ‘राजनीतिक विश्लेषक’ शिवम त्यागी, कथित मुस्लिम धर्मगुरु साजिद रशीदी, ‘राजनीतिक विश्लेषक और डिबेटर’ रिजवान अहमद, विहिप के प्रवक्ता विनोद बंसल, वकील सुबुही खान, स्व-घोषित "इस्लामिक अध्ययन के शोधकर्ता" अतीक उर रहमान और जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर उमाकांत सरस्वती मौजूद थे.

इस कार्यक्रम में चर्चा कम थी, और मुसलमानों गुनहगार मानकर उनको कटघरे में खड़ा करके अदालती लहजे वाली पूछताछ ज्यादा थी. चोपड़ा ने सवाल किया, “मुसलमान गरबा कार्यक्रमों में क्यों शामिल होना चाहते हैं? गरबा में ऐसा क्या है जिसकी वजह से आप इस्लाम की सभी शिक्षाओं को भूल जाते हैं? आखिर हर हिंदू त्यौहार को निशाना क्यों बनाया जाता है? अगर मुसलमान गरबा में शामिल भर होना चाहते हैं, तो वे अपनी पहचान क्यों छुपा रहे हैं और पथराव क्यों कर रहे हैं? हमारे गरबा में तुम्हारा क्या काम?”

एक जगह चोपड़ा ने अतीक उर रहमान को "जय मां दुर्गा" कहने के लिए कहा. इसके थोड़ी ही देर बाद जब विनोद बंसल रशीदी पर चिल्ला रहे थे, तब चोपड़ा बार-बार मौलवी से "जय श्री राम" कहने की मांग करते रहे, क्योंकि मौलवी के मन में हिंदू देवता राम के लिए "बहुत सम्मान था." चोपड़ा की मांग को दोहराने के लिए सुबुही खान और विनोद बंसल, भीड़ की तरह इस काम में शामिल हुए.

रशीदी ने जवाब देते हुए कहा कि "जय श्री राम" या "वंदे मातरम" के नारे लगाने से कोई हिंदू नहीं हो जाता.

शो के दौरान एक अन्य बिंदु पर जब चोपड़ा ने यह जानने की मांग रखी कि गुजरात में जिन लोगों पर पुलिस द्वारा सार्वजनिक रूप से लाठियां चलाई जा रही है, उन्होंने कथित रूप से गरबा पर पथराव क्यों किया. इस पर रशीदी ने सवाल किया कि टीवी एंकर उनसे सवाल क्यों कर रहे हैं, क्या पूरे मुस्लिम समुदाय ने उंधेला गांव में कथित तौर पर पथराव करने का फैसला किया है. रशीदी ने कहा कि अगर आपको सवाल करना ही है तो आरोपियों से करिये.

घंटे भर चली इस लंबी बहस में, चोपड़ा शायद ही कहीं पुलिस द्वारा साथी नागरिकों पर सार्वजनिक रूप से लाठियां चलाने की कार्रवाई की वैधता और नैतिकता के बारे में सोचने के लिए रुके होंगे. हालांकि कार्यक्रम की शुरुआत में उन्होंने पूछा था कि क्या पुलिस ने जो किया वह सही था, क्योंकि उन्हें भी तो कानून को अपने हाथ में लेने का अधिकार नहीं है. लेकिन इसके बाद वह जल्दी से आगे बढ़ गए और कहा कि यह एक अलग बहस है. “सब लोगों को बीच में बिठाकर, पुलिस ने ये कार्रवाई की है. अब ये करवाई गलत है, सही है, इसपे अलग से बहस हो सकती है, क्योंकि कानून हाथ में लेने का अधिकार पुलिस को भी नहीं है. तो ये गलत हुआ, सही हुआ, इस पर अलग डिबेट है."

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यह एक पत्रकार का कथन है कि पुलिसकर्मियों द्वारा सार्वजनिक रूप से नागरिकों पर लाठियां चलाना सही है या गलत, ये एक बहस का विषय है.

अंत में जब त्यागी ने कहा कि जिसने भी खेड़ा में कथित रूप से लोगों द्वारा किये गए काम जैसा ही कृत्य किया, उनके साथ भी ऐसा ही सुलूक किया जाएगा. इस पर चोपड़ा ने पूछा, "क्या यही वो कार्रवाई है जिसकी आप मांग कर रहे हैं?" तब त्यागी ने यौन उत्पीड़न के एक कथित मामले में राजस्थान में संदिग्ध मुस्लिम युवकों द्वारा एक हिंदू व्यक्ति को कथित रूप से चाकू मारने का जिक्र किया, तो चोपड़ा ने पूछा, "तो मौके पर ही फैसला कर दिया जायेगा? सड़क पर लाठियां चलेंगी?"

भारतीय टीवी पर कट्टरता का यह एपिसोड राकेश स्पाइसेस, गोल्डी मसाले, पतंजलि, अनएकेडमी, मीशो, हॉकिन्स कुकर, कुबोटा, नेरोलैक, अमूल, एक्टिवा, जोवीस हर्बल, ओक्को, बजाज पल्सर, फॉरएवरमार्क, साइकिल.इन और वेक्टस द्वारा प्रायोजित था.

न्यूज़लॉन्ड्री ने न्यूज18 की मातृ कंपनी नेटवर्क 18 के ग्रुप एडिटर राहुल जोशी और हिंदी न्यूज़ चैनल के मैनेजिंग एडिटर किशोर अजवानी से यह पूछने के लिए संपर्क किया कि खेड़ा में जो हुआ, क्या उस मामले में टीवी नेटवर्क अपने एंकर के विचार का समर्थन करता है, और क्या उनका यह समाचार संगठन जनता पर कोड़े बरसाने और पुलिस की बर्बरता का समर्थन करता है?

नेटवर्क 18 के एक प्रवक्ता ने काफी लंबे बयान देते हुए जवाब दिया: "न्यूज़लॉन्ड्री के प्रश्न या तो उनके द्वारा चीजों की अनदेखी करने को या फिर उनके पूर्वाग्रह को दर्शाते हैं. वे जानबूझकर या और किसी भी तरह से तथ्यों को विकृत करने के लिए अपने नतीजे लिए पहले से ही तैयार हैं. एंकर, श्री अमन चोपड़ा ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह इस घटना का समर्थन नहीं करते और शो के दौरान उन्होंने कई बार यह पूछा कि क्या पुलिस द्वारा इस तरह की कार्रवाई उचित थी. इसके बावजूद न्यूज़लॉन्ड्री ने शो में से केवल वही हिस्से चुने जो वह देखना चाहता है और अब हमसे इतने सारे सवाल पूछ रहा है. साफ है कि आपकी नियत बुरी है. यह इस तथ्य से भी सिद्ध होता है कि आज दिन की शुरुआत में ही न्यूज़लॉन्ड्री के एक संपादक सोशल मीडिया पर एंकर पर फैसला सुना चुके हैं. जिसमें तटस्थता का ढोंग तक भी नहीं था. न्यूज़लॉन्ड्री को अपनी खुद की जवाबदेही के बारे में आत्मावलोकन करना चाहिए."

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