पत्रकार राजेंद्र गौतम ने अपने परिवार के खिलाफ अभद्र टिप्पणी करने के मामले में साथी पत्रकार हेमंत तिवारी पर एससीएसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया.
बता दें कि रेखा निष्पक्ष दिव्य संदेश और तिजारत की संपादक हैं और निर्भय संवाददाता हैं.
समाचार पत्र ही दोनों के बीच विवाद का प्रमुख कारण रहा है. अब इस मामले में प्रेस सूचना ब्यूरो जांच करेगी कि गौतम के अखबारों को कितने विज्ञापन मिलते हैं. गौतम के अनुसार उनके अखबार की छह हजार कापियां प्रकाशित होती हैं.
इस विवाद पर तिवारी कहते हैं, “राजेंद्र गौतम कुछ समय से मुझे बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, जो उन्हें सबसे अच्छी तरह से पता हैं. मैंने उन्हें कभी कोई जातिवादी गाली नहीं दी. मैं इस पेशे में 34 साल से हूं और यह पहली बार है जब मेरे खिलाफ इस तरह का आरोप लगाया गया है."
तिवारी ने अपने खिलाफ गौतम की एफआईआर को कानून का "दुरूपयोग" करार दिया. तिवारी ने आरोप लगाया, "यह मेरे खिलाफ बदले की कार्रवाई है, गौतम पत्रकार नहीं बल्कि ब्लैकमेलर है. उन्होंने यह सोचकर मुझ पर कीचड़ फेंकने की कोशिश की कि मैं झुक जाऊंगा लेकिन उन्हें यह नहीं पता था कि मैं पीछे नहीं हटूंगा. अब मेरी पुलिस शिकायत ने उसे डरा दिया है, इसलिए वह मुझे सलाखों के पीछे डालने के लिए कानून का दुरूपयोग कर रहा है.”
इस विवाद के बाद लखनऊ की पत्रकार बिरादरी के भीतर खलबली मच गई है. दैनिक भास्कर के पूर्व संपादक रतन मणि लाल ने विवाद को “दुर्भाग्यपूर्ण ” बताया. उन्होंने कहा, "पत्रकारों को हमेशा याद रखना चाहिए कि वे समाज में मानक स्थापित करने में मदद करते हैं. उन्हें उन मानकों पर टिके रहना चाहिए और खुद समाचार नहीं बनना चाहिए, लेकिन जातिवादी गालियों का इस्तेमाल, वह भी एक पत्रकार द्वारा, उचित नहीं ठहराया जा सकता है."