गौहत्या के मामले में पांच लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है लेकिन एक इंसान की हत्या से जुड़े मामले में अब तक कोई गिरफ़्तारी नहीं कि गई है.
'हमारे पास गायें हैं, हम दूध बेचते थे'
फार्महाउस की ओर जाने वाली गली में, राजाराम की बड़ी बेटी, ज्योति, अपने छोटे भाई-बहनों- नेहा और हर्ष के लिए बिस्कुट और कोक की एक छोटी बोतल लेकर चली जा रही हैं. उनका कहना है कि पिता की मौत के बाद से उसके छोटे भाई-बहनों ने कुछ भी नहीं खाया-पिया है.
ज्योति का कहना है, "हम यहां दो साल से रह रहे हैं लेकिन कभी ऐसा कुछ नहीं हुआ. हमारे पास गायें हैं और हम दूध भी बेचते थे. वो लोग हम पर जो आरोप लगा रहे हैं, हमने वो काम नहीं किया है. अगर हम करना ही चाहते तो पहले ही कर लेते." उसने आगे यह भी कहा कि वारदात के वक्त परिवार के दूसरे सदस्यों की तरह वह भी सो रही थी. “हमें नहीं पता था कि कौन आया था… पिछले तीन दिनों से पिताजी बाहर सो रहे थे और कहते थे कि चाहे कुछ भी हो जाए ताला मत खोलना."
उनके अनुसार, पुलिस ने राजाराम के साथ ही उसका फोन भी मामले की जांच के लिए ले लिया है. उसने बताया कि उसके फोन में केवल उसके स्कूल और ट्यूशन के अध्यापकों के नंबर सेव थे, लेकिन अब उसके पास किसी से संपर्क करने का कोई जरिया नहीं बचा है.
गौहत्या की सूचना मिलने के बाद पुलिस सोमवार तड़के दो बजे के बाद फार्महाउस पहुंची थी. डीसीपी (द्वारका) शंकर चौधरी ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, "जब तक पुलिस वहां पहुंची, उसने पाया कि वहां 10-12 लोग थे और दो लोग गंभीर रूप से घायल थे, इसलिए पुलिस उनकी जान बचाने के लिए उन्हें अस्पताल ले गई. वहां यह सब देखने के लिए भी लोग जुटे हुए थे, इसलिए हमें यह तय करना होगा कि असल में यह सब किसने किया है."
पुलिस का कहना है कि वह संदिग्धों की पहचान करने के लिए इलाके में घटना के समय सक्रिय सिम कार्ड्स का पता लगा रही हैं. उसका कहना है कि ऐसे दो सिम कार्ड्स की पहचान कर ली गई है, लेकिन उनके मालिकों की भूमिका का पता नहीं चल पाया है.
पहला मामला जिसमें एफआईआर दर्ज की गई है वह गौहत्या से जुड़ा है, आईपीसी की धारा 429 (किसी जानवर- भैस, सांड, गाय या बैल को चाहे उसका मूल्य कुछ भी हो, का वध करने, विष देने, विकलांग करने या निरुपयोगी बनाने का अपराध करेगा, वह पांच वर्ष तक का साधारण या कठिन कारावास से, या जुर्माने से, या दोनों से, दंडित किया जाएगा.) 120 (कारावास से दंडनीय अपराध करने की परिकल्पना को छिपाना), 120 बी (आपराधिक साजिश) 34 (आम इरादा) और दिल्ली कृषि रोकथाम अधिनियम और पशु क्रूरता निवारण अधिनियम के प्रावधान.
घायल व्यक्तियों में से एक की शिकायत पर दर्ज दूसरी एफआईआर में आईपीसी की धारा 302 (हत्या), 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 337 (किसी के जीवन को खतरे में डालना या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को नुकसान पहुंचाना), 341 (गलत तरीके से रोकना), 506 (आपराधिक धमकी) और 34 का उल्लेख है.
पुलिस सूत्रों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि वो अपनी तफ्तीश में इसे लिंचिंग के रूप में नहीं देख रहे हैं. “लिंचिंग तब होती है जब एक तरफ एक या दो लोग होते हैं और दूसरी तरफ बहुत सारे लोग होते हैं. एक और बात यह है कि लिंचिंग में डंडों और पत्थरों का इस्तेमाल किया जाता है. एक तरफ छह लोग थे और दूसरी तरफ भी छह से आठ लोग थे. यह एक लड़ाई थी, हालांकि एक पक्ष को अधिक पीटा गया था. एक तरफ जाट थे, जो मजबूत कद-काठी के थे, और दूसरे पक्ष के लोग कमजोर कद-काठी के. लेकिन अगर आप संख्या देखें, तो बहुत अंतर नहीं था,” मामले पर बारीकी से काम कर रहे एक अधिकारी ने कहा.
इस बीच, राजाराम की पत्नी, झासो देवी, उनके पति के शरीर को कैसे ले जाया जाए, यह इंतजाम करते हुए व्याकुल थीं. उन्होंने कहा, “कई पत्रकार आए और गए लेकिन मुझे अब तक अपने पति का शव नहीं मिला है. मुझे तो कुछ भी मालूम नहीं है. उस रात पुलिस आई और हमें जगाया. मुझे चार बच्चों को पालना-पोसना है. लेकिन अब लोग हमें पानी तक भी नहीं दे रहे हैं."