गुजरात के अहमदाबाद और सूरत शहर में एक बार फिर से कोरोनावायरस संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं.
पिछले सप्ताह सूरत के पांडेसरा में उत्तर प्रदेश और बिहार जाने के लिए एक दर्जन से अधिक बसें लगी. बस मालिकों ने मजदूरों से मनमाना किराया वसूला. सूचना मिलने पर पांडेसरा पुलिस स्टाफ स्थल पहुंचा तो पता चला कि मजदूर न केवल त्योहार के चलते गांव लौट रहे हैं. बल्कि इन्हें लॉकडाउन का भी भय है. जिस के बाद पांडेसरा पुलिस स्टेशन के पुलिस इंस्पेक्टर एपी चौधरी ने स्टाफ को टेक्सटाइल कारखानों में जाकर मजदूरों को समझाने को कहा, ताकि मजदूरों के मन से लॉकडाउन का भय निकल जाए और अफवाह को रोका जा सके.
सूरत व्यापार मंडल के अध्यक्ष जयलाल लालवानी कहते हैं कि मजदूरों के अपने प्रदेश लौटने का कारण लॉकडाउन की अफवाह नहीं बल्कि कारोबार में मंदी है. मजदूरों को अब पहले जैसा काम नहीं मिल पा रहा है. कोरोनावायरस संक्रमण की दूसरी लहर की मार भी व्यापार पर पड़ रही है. काम न होने के कारण मजदूर अपने घरों को लौट रहे हैं.
इंसाफ फाउंडेशन के शाहिद अकबर कहते हैं कि मजदूरों की वतन वापसी का कारण सही मजदूरी न मिलना भी है. पहले जिस काम के 400 रुपए मिलते थे, अब वही काम 300 रूपए में करना पड़ रहा है. वाजिब मजदूरी न मिल पाने से मायूस मज़दूर गावों को लौटना ही उचित मान रहे हैं.
अहमदाबाद में ओमप्रकाश यादव कलर काम के ठेकेदार हैं. वह कहते हैं कि काम कम तो है, साथ ही मार्केट में पैसे भी नहीं घूम रहे पार्टियां काम पूरा होने के बाद भी समय पर पेमेंट नहीं करती हैं. जिस कारण हम लोग भी मजदूरों को समय पर भुगतान नहीं कर पा रहे हैं. परिणाम स्वरूप वह एक ठेकेदार को छोड़ दूसरे के पास जाते हैं. वहां भी इन्हें बराबर काम और भुगतान नहीं होता है तो फिर गांव ही लौट रहे हैं.
(साभार- डाउन टू अर्थ)