कृषि बिलों के खिलाफ एक पंचायत अमरोहा के शहजादपुर गांव में हुई जिसे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत ने संबोधित किया.
बीजेपी की सरकार नहीं होती तो अब तक किसानों पर लठ्ठ फिर गया होता
पंचायत स्थल से थोड़ी दूरी पर ही परचून की दुकान चलाने वाले नरेंद्र शर्मा कहते हैं, "क्या इस पंचायत से सरकार गिर जाएगी या सरकार कानून वापस ले लेगी. आज तक कोई कानून वापस लिया गया है क्या? जब से संविधान चला है. अगर सरकार इनके आगे झुककर ये कानून वापिस ले लेगी तो जितने आज तक कानून बने हैं वो तो सब वापिस ही हो जाएंगे. आज यह मांग उठा रहे हैं कल को फिर दूसरे वाले उठाएंगे. यह आंदोलन कितना भी बड़ा हो जाइयो, सरकार संशोधन के लिए कह रही है तो इसमें वही होगा पर यह वापस नहीं होगा."
वह आगे कहते हैं, "अगर बीजेपी के अलावा कोई और सरकार होती तो अब तक इन्हें उठा कर भगा दिया होता. इन सब पर लट्ठ फिर जाता. ये मोदी को बुरा बता रहे हैं लेकिन सच्चाई यह है कि मोदी जैसा देश में अभी तक कोई नेता नहीं आया है और ना ही आगे आने की कोई उम्मीद है. आप भी पत्रकार हो हमसे ज्यादा नॉलेज तो आप भी रखते होंगे, बताओ ऐसी बात है या नहीं?”
वह एक उदाहरण देते हुए कहते हैं, "गांव का एक प्रधान होता है. अगर गांव का प्रधान कोई सीधा आदमी बना दिया जाए जिसकी बाहर या शासन प्रशासन में कोई जान पहचान न हो. या जहां से गांव के लिए काम होते हों तो वह प्रधान गांव का क्या विकास करेगा. जब उसे जानकारी ही नहीं होगी तो क्या करेगा वो, बताओ आप. जितनी छवि मोदी की दुनिया में बनी है इतनी किसी और प्रधानमंत्री की बनी हो तो बता दो. ये तो हम यहीं देख रहे हैं कि मोदी ने देश का नाश कर दिया."
"चुनाव आने दो 50 फीसदी जाट बीजेपी को ही वोट करेंगे. 50 फीसदी को कम से कम हैं और 80-90 हो जाएं तो कह नहीं सकते हैं. इससे पहले यहां अखिलेश यादव की सरकार थी. पांच साल सबसे पहले उसने ही जाटों की नाक में नकेल डाल दी थी यहां? उस सरकार में सबसे ज्यादा यही पिटे हैं. इस बार चौहान, पंडित और बनिए ये सभी सवर्ण जातियां बीजेपी के अलावा कहीं जाने वाली नहीं हैं. ये बसपा को वोट नहीं दे सकते, सपा को नहीं दे सकते और कांग्रेस का कुछ रहा नहीं. खाली बीजेपी बची इसलिए बीजेपी को वोट देना इनकी मजबूरी है. दूसरी बात बीजेपी इतनी बुरी भी नहीं है. आप भी फिल्ड में घूम रहे हो हम तो खैर यहां बैठे हैं. लेकिन हम आज यहां सुकून से बैठे हैं तो सिर्फ बीजेपी की बजह से." उन्होंने कहा.
बीजेपी के आने से सिर्फ एक परेशानी हुई है
परचून की दुकान पर ही बैठे राधे लाल शर्मा कहते हैं, "जाटों के वोटों से कोई सरकार गिर रही है क्या? हमें तो यही दिखाई दे रहे हैं बस और इनसे कुछ हुआ क्या. यह जाट चाह रहे हैं कि इन्हें भी कोई पद मिल जाए. दिल्ली में भी सब पंजाब के लोग बैठे हैं इधर के नहीं हैं."
"इस सरकार में सिर्फ मवेशियों वाली परेशानी हुई है. आजकल गांव में लोग आवारा पशुओं को छोड़ देते हैं और यह फिर हमारी फसल बर्बाद करते हैं. यह परेशानी पहले नहीं थी. अखिलेश की सरकार में इनका सफाया हो रहा था. लेकिन अब ऐसा नहीं है." उन्होंने कहा.
वह टिकैत भाइयों पर कहते हैं, "इन्होंने पता नहीं कितने तो पंप लगा रखे हैं दिल्ली में. हमने सुना है कि दिल्ली में इनके तीन पंप चल रहे हैं अब उनकी क्या कीमत होगी यह तो आपको ही पता होगी. यह सब जो भी पैसा मिला इन्हें सब पब्लिक के समर्थन से ही तो मिला. देखो, नरेश टिकैत को पैसे नहीं मिल रहे हैं कहीं से इस बार इसलिए यह भगे फिर रहे हैं इधर उधर."
बीच में ही नरेंद्र सिंह कहते हैं, "हमारे क्षेत्र में लोगों की यही सोच है कि सरकार इन्हें इस बार पैसे नहीं दे रही है इसलिए यह भागे फिर रहे हैं."
आपकी नजर में यह तीनों कानून ठीक हैं? इस सवाल के जवाब में नरेंद्र शर्मा कहते हैं, "सही बता दें तो हमें इस कानून के बारे में ठीक से कोई जानकारी नहीं है. हमें इसके सारे नियम नहीं पता हैं इसलिए हम कैसे कह दें कि ठीक हैं या गलत हैं. सही जानकारी तो हमें तब लगेगी जब उन्हें पूरी तरह से ठीक से पढ़ा जाए तब हमें जानकारी होगी.
इस दौरान जब हमने उनसे उनकी एक तस्वीर लेने के लिए कहा तो उन्होंने मना कर दिया.
महापंचायत के पास ही गन्ने के खेत में हमारी मुलाकात नीली खेड़ी गांव के एक अन्य व्यक्ति से हुई. उन्होंने कहा कि आज काफी भीड़ आई थी. हम भी पंचायात में गए थे लेकिन अब अपने खेत में आ गए हैं. हम भी किसानों के समर्थन में हैं. दिनभर वहीं थे अब अपना काम कर रहे हैं. गाजीपुर जाने का तो टाइम नहीं है लेकिन हम किसानों के समर्थन में ही हैं.