सरकारी दावों के उलट कोरोना वायरस संक्रमित मिलने के बाद भी घरवालों की सुध लेने में आलस कर रहा प्रशासन.
दिल्ली समेत देश भर में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है. इस बीच दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में एक ही गली से 46 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए जिसके बाद पूरे इलाके को पुलिस ने सील कर दिया. गौरतलब है कि इससे पहले भी इस इलाके के दूसरे ब्लाक में 31 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे. इस घटना के बाद स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ो के अनुसार दिल्ली में 2,918 पॉजिटिव हो गए थे. वही 877 लोग ठीक हुए है जबकि 54 लोगों की मौत हो चुकी है.
दिल्ली में लगातार बढ़ रहे कोरोना मामलों के बावजूद प्रशासन के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया. इसका ताजा उदाहरण गामड़ी एक्सटेंशन इलाका है. वहां ईस्ट दिल्ली नगर निगम की महिला सफाईकर्मी के कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बावजूद कई दिनों तक ना तो उनके परिवार को क्वारंटाइन किया गया, ना ही उनके घर को सैनिटाइज किया गया और ना ही परिवार के लोगों की कोई जांच की गई.
न्यूज़लॉन्ड्री ने जब इस बारे में प्रशासनिक अधिकारियों और कोविड के नोडल अधिकारी से बात की तो उन्होंने कहा, इस इलाके में एक कोरोना पॉजिटिव केस तो मिला है, लेकिन क्वारंटाइन, सैनिटाइजेशन और परिवार की जांच की कोई जानकारी नहीं है.
यमुना विहार के एसडीएम देवेंद्र कुमार उपाध्याय से जब हमने बात की (23 अप्रैल को) तो उन्होंने तत्परता दिखाते हुए हमसे पीड़ित परिवार की जानकारी मांगी और जल्द से जल्द मदद पहुंचाने का आश्वासन दिया. इसके बाद (24 अप्रैल) को पीड़ित परिवार ने हमें फोन कर बताया गया कि पुलिस की गाड़ी से पूरे परिवार को जीरो पुस्ता पर स्थित जगप्रवेश अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी जांच की गई.
बता दे कि ईडीएमसी की दो महिला सफाईकर्मी कोरोना संक्रमित पाई गई थीं. उनमें से एक महिला की मौत 21 अप्रैल को हो गई, जबकि दूसरी महिलाकर्मी का इलाज अभी चल रहा है.
दिल्ली के गांवड़ी एक्सटेंशन निवासी महिला सफाईकर्मी संगीता फिलहाल अस्पताल में कोरोना वायरस के खिलाफ जंग लड़ रही है. वहीं परिवार सरकारी लापरवाही से परेशान था. कोविड नोडल अधिकारी, पुलिस, पार्षद, विधायक सबसे मदद मांगी गई लेकिन सब जगह से सिर्फ आश्वासन मिल रहा था.
संगीता के भतीजे सूरज कुमार ने अपने परिवार की परेशानियों को लेकर हमसे बातचीत की. 24 वर्षीय सूरज कुमार न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “मेरी चाची पूर्वी दिल्ली नगर निगम में कच्चा कर्मचारी हैं. उन्हें 14-15 अप्रैल को बुखार आना शुरू हुआ और फिर कोरोना के लक्षण दिखने लगे. उसके बाद हमने 16 अप्रैल को मध्य दिल्ली के नबी करीम इलाके में स्थित नेशनल बायोटेक्नोलॉजिकल सेंटर में उनका टेस्ट कराया, जिसकी रिपोर्ट सोमवार 20 अप्रैल को आई, जिसमें वह कोरोना पॉजिटिव पाई गई. रिपोर्ट आने के बाद हमने सरकारी हेल्पलाइन नंबर पर फोन लगाकर सूचित किया और एंबुलेंस से ले जाकर उन्हें एलएनजेपी अस्पताल में भर्ती कराया. जहां उनका इलाज चल रहा है.”
किस इलाके में थी संगीता की तैनाती
इस सवाल पर सूरज कहते हैं कच्चे कर्मचारियों को लॉकडाउन के बाद अनिवार्य रूप से काम करने का आदेश आ गया था. जिसके बाद उनकी डीयूटी गांधीनगर इलाके में लगाई गई थी. संगीता के पति भी सफाईकर्मी हैं और उनकी ड्यूटी दिल्ली के नबी करीम इलाके में लगी है.
कोरोना संक्रमित पाए जाने के बाद क्या रहा प्रशासन का रवैया
प्रोटोकॉल के मुताबिक, कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति मिलने के बाद उसके पूरे परिवार को प्रशासन एहतियातन कवारंटाइन कर देता है, ताकि दूसरे लोगों के साथ इसका फैलाव ना हो सके. लेकिन इस मामले में यह सब कुछ नहीं हुआ. संयुक्त परिवार होने के कारण सभी लोग एक साथ रहते है. परिवार में कुल 20 लोग है. लेकिन फिर भी किसी ने इनकी सुध नहीं ली.
सूरज कहते हैं, ‘‘आस-पड़ोस के सहयोग के चलते हमें जरुरी सामान लेने के लिए घर से बाहर नहीं जाना पड़ता है क्योंकि उन्होंने कहा कि आप लोगों को जो चाहिए उसे हम एक निश्चित स्थान पर लाकर रख देगे और आप हमें बाद में पैसे दे देना.’’
सूरज आगे कहते है, ‘‘हमने इलाके के कोविड नोडल डॉक्टर प्रशांत को 21 अप्रैल और 22 अप्रैल को भी फोन लगाकर कहा कि हम लोगों की जांच नहीं हुई है, और हमारे घर और गली को अभी तक सेनेटाइज नहीं किया गया है. इस पर नोडल अधिकारी कहते हैं रुक जाइए एक-दो दिन में आप लोगों की जांच हो जाएगी. वहीं पुलिस को मदद के लिए फोन लगाया तो उन्होंने कहा की आप की शिकायत दर्ज कर ली गई है, उसे आगे भेजा दिया है.
अपनी छोटी बहन 22 वर्षीय राखी की तबीयत के बारे में बताते हुए सूरज कहते है, “उसकी तबियत दो दिनों से खराब है. उसमें भी कोविड के लक्षण दिखाई दे रहे है. लेकिन जांच न होने के कारण पता नहीं चल पा रहा है. राखी की सगाई हो चुकी है और हम लोग अगले 6 महीने में उसकी शादी करने की भी सोच रहे थे.”
कोविड नोडल अधिकारी डॉ प्रशांत से जब हमने बात करने के लिए फोन उठाया तो उन्होंने नहीं उठाया, जिसके बाद उन्हें मैसेज भी किया लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया.
डॉक्टर प्रशांत से बात ना होने पर जब हमने उनके ही साथ काम करने वाले डॉक्टर आयुष से बात की तो उन्होंने कहा कि हमने पीड़ित परिवार के घर के बाहर और गली में नोटिस लगा दिया है और परिवार को क्वारंटाइन कर दिया है. सैनिटाइजेशन के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह काम एमसीडी का है. रही बात जांच की तो उसमें प्रोटोकॉल के मुताबिक एक से दो दिन का समय लगता है.’’
आखिरकार परिवार की जांच हो गई और सूरज के छोटी बहन की तबियत में भी सुधार हो रहा है. वहीं परिवार के सभी सदस्यों की तबीयत ठीक है.
लेकिन सवाल संवेदनशीलता का हैं. इस महामारी के समय में की गई एक छोटी सी लापरवाही भी बहुत बड़ा प्रभाव किसी क्षेत्र विशेष पर डाल सकती है. इससे से भी बड़ा सवाल है इस तरह की लापरवाही से सामुदायिक प्रसार का खतरा भी बढ़ जाएगा.