कश्मीर से फरीदाबाद वाया लाल किला: चप्पे-चप्पे पर मौजूद अल फलाह यूनिवर्सिटी में चुप्पी और डर  

लालकिले पर विस्फोट की जद में आई फरीदाबाद स्थित यह यूनिवर्सिटी शक-सुबहे और मीडिया ट्रायल के केंद्र में हैं.

WrittenBy:अवधेश कुमार
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अल फलाह यूनिवर्सिटी के बाहर का दृश्य.

फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी डॉ. मुजम्मिल शकील और डॉ. शाहीन सईद की गिरफ्तारी के बाद से सवालों के घेरे में है. सोमवार 10 नवंबर को दिल्ली के लाल किला मेट्रो स्टेशन के पास हुए ब्लास्ट की साजिश के तार इस यूनिवर्सिटी तक पहुंच रहे हैं. जब हम इस यूनिवर्सिटी में पहुंचे तो वहां करीब 2 किलोमीटर पहले ही बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों ने नाकेबंदी कर रखी थी. आने जाने वाली हर गाड़ी की कड़ी चेकिंग हो रही थी. चेकिंग में व्यस्त एक अधिकारी से हमने चेकिंग के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि ऊपर से आदेश है कि हर गाड़ी चेक करके ही आगे जाएगी.

यूनिवर्सिटी के मुख्य गेट पर मीडिया का भारी जमावड़ा था. लेकिन लोगों के मुंह सिले हुए थे. ज्यादातर लोग इस मसले पर बात करने से कतरा रहे थे. मीडियाकर्मियों को भी बात करते हुए आसानी से सुना जा सकता था कि कोई व्यक्ति बात करने के लिए तैयार नहीं है. 

यहां से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे एक छात्र ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि इस इलाके में तो सन्नाटा है लेकिन अंदर सबकुछ अपनी रफ्तार से चल रहा है. बच्चे क्रिकेट खेल रहे हैं. छात्र अपनी पढ़ाई में लगे हैं. बाहर जो हुआ उस पर बात करने से लोग बचना चाहते हैं.

उस छात्र ने बताया कि गिरफ्तार हुई डॉक्टर शाहीन फार्मा में एसोसिएट प्रोफेसर थीं जबकि डॉक्टर मुज्जमिल इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर थे. आज भी कई जांच एजेंसियों की गाड़ियां परिसर में घूम रही हैं. वे यूनिवर्सिटी प्रबंधन के साथ पूछताछ कर दस्तावेज खंगाल रहे हैं. कैमरे पर बात करने से मना करते हुए वो कहते हैं कि क्यों मेरी डिग्री रुकवाना चाहते हो.

विश्वास ने यहीं से लैबोरेटरी का कोर्स किया है और यहीं पर नौकरी कर रहे हैं. विश्वास कहते हैं, “जो भी हुआ है, वह ठीक नहीं लग रहा है, हालांकि, इसका पढ़ाई पर अभी कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है.” 

इस बीच बुधवार 12 नवंबर को अल-फलाह यूनिवर्सिटी के प्रबंधन की ओर से भी एक प्रेस नोट जारी हुआ. जिसमें यूनिवर्सिटी की वीसी प्रोफेसर भूपिंदर कौर आनंद ने कहा कि उनके दो डॉक्टरों को हिरासत में लिया गया है. इन डॉक्टर्स से ड्यूटी के अलावा यूनिवर्सिटी का कोई संबंध नहीं है.

अल फलाह यूनिवर्सिटी से हमें ये भी पता चला कि मुजम्मिल के तीन ठिकाने थे. पहला ठिकाना यूनिवर्सिटी और दूसरा यूनिवर्सिटी से 500 मीटर की दूरी पर किराए पर लिया गया एक कमरा. वहीं एक अन्य ठिकाना फतेहपुर तगा गांव में था. यह गांव करीब तीन किलोमीटर दूर है. 

मुजम्मिल के पड़ोसियों ने क्या कहा? 

फतेहपुर तगा गांव में चार कमरों का एक मकान था जहां पहुंच कर हमने पाया कि एक कमरे पर ताला लटका है. वहीं, तीन कमरे खुले थे. यह तीनों कमरे मुजम्मिल ने किराए पर ले रखे थे. इन्हीं में से एक कमरे से विस्फोटक सामग्री बरामद हुई है.

इस मकान के सामने रहने वाली नूरी बताती हैं, "हमने कभी भी मुजम्मिल को नहीं देखा है, हमें न्यूज़ से ही पता चला कि उसने किराए पर कमरा ले रखा था. वैसे भी हम सुबह काम पर चले जाते हैं और शाम को आते हैं. हमारे गांव में कभी भी ऐसा नहीं हुआ है. हम खुद भी यहां पिछले करीब तीन साल से किराए पर रहते हैं. जब पुलिस आई तो हम घर पर नहीं थे. मेरे पति ऑटो चलाते हैं, वह भी बाहर थे.”

नूरी बताती हैं कि 11 नवंबर को पुलिस ने पूरे गांव में तलाशी अभियान चलाया. उनके घर भी तलाशी हुई. गांव के ही जमशेद ने बताया कि दिनभर मीडिया का आना जाना लगा रहा. साथ ही पुलिस भी बार-बार आ रही थी. इस कारण लोगों में थोड़ा भय बना हुआ है.

जमशेद बताते हैं कि उनको पहली बार तब पता चला जब गांव में पुलिस आई. फिर उन लोगों ने न्यूज़ में मुजम्मिल का नाम सुना. 

हम मुजम्मिल के दूसरे ठिकाने जो की यूनिवर्सिटी से मात्र 400 से 500 मीटर की दूरी पर है, वहां भी गए. मुजम्मिल ने इस बड़ी सी इमारत के पहले माले पर स्थित कमरा नंबर-26 को किराए पर ले रखा था. यहां मुजम्मिल के बारे में कोई भी बात करने को तैयार नहीं था. लोग सिर्फ इतना ही कहते कि हमने उसे कभी नहीं देखा. उन्हें यह भी नहीं पता है कि यहां कोई कमरा उसने किराए पर ले रखा था.

बुधवार शाम भारत सरकार ने एक आधिकारिक बयान जारी कर लाल किले पर हुई घटना को आतंकी हमला माना है.

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