राजधानी दिल्ली की हवा "गंभीर" श्रेणी में पहुंच गई है, लेकिन चैनलों और बीजेपी वालों ने प्रदूषण की चिंता को ‘हिंदू-विरोधी प्रोपेगेंडा’ बताकर मजाक उड़ाया.
मंगलवार की सुबह दिल्ली की हवा कुछ अलग थी. यह शहर अपने ही धुएं में डूबा हुआ था. रिपोर्ट के मुताबिक दीपावली के अलगे दिन सुबह 7 बजे शहर का औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) 451 रिकॉर्ड किया गया.
जहां दिल्ली के बाजारों में पारंपरिक पटाखों की बिक्री पर लगे प्रतिबंधों की खुलेआम अवहेलना की गई. वहीं सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुमति प्राप्त "ग्रीन पटाखों" को लेकर भी सवाल उठे. इस सबके बीच भारत के कुछ मशहूर टेलीविज़न और राजनीतिक आवाज़ों ने वायु प्रदूषण को एक सांस्कृतिक युद्ध में बदल दिया.
सोमवार रात जब दिल्ली के कई हिस्सों में एक्यूआई गंभीर श्रेणी के करीब पहुंच रहा था, उसी वक्त बीजेपी आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने एक्स पर लिखा, "चारों ओर गूंजते तेज़ पटाखों की आवाज़ कानों को मधुर संगीत जैसी लग रही है."
एबीपी न्यूज़ की एंकर रुबिका लियाकत ने भी इस धुएं में अपनी चिंगारी छोड़ी. उन्होंने सोमवार दोपहर एक्स पर लिखा, "हम दिए जलाएंगे, लेकिन पटाखे फोड़ कर, बहुतेरों के दिल भी जलाएंगे."
इससे पहले उन्होंने दिल्ली में बढ़ते एक्यूआई को लेकर नोएडा में पहले से ही 'बहुत खराब' एक्यूआई के स्क्रीनशॉट के साथ प्रदूषण की चिंता का मज़ाक उड़ाते हुए लिखा, “पटाखे फोड़ने से पहले ही एक्यूआई बढ़ कैसे गया? सारा ठीकरा फोड़ दो त्यौहार पर… नॉनसेंस".
टाइम्स नाउ नवभारत के एंकर सुशांत सिन्हा भी पीछे नहीं रहे. दिवाली से एक दिन पहले उन्होंने लिखा, "दिल्ली में पहले से ही एक्यूआई 300 के करीब है. कल दिवाली पर इकोसिस्टम छाती पीटने आएगा तो लोड नहीं लेने का है. पटाखे फोड़ने का है."
विडंबना यह रही कि अगले ही दिन यानी दिवाली की अगली सुबह इन्हीं के चैनलों पर स्मॉग से ढकी सड़कों वाली ब्रेकिंग न्यूज़ और ‘ग्राउंड रिपोर्ट्स' दिखाई जा रही थी. रिपोर्टर धुंध भरी सड़कों की ओर इशारा करते हुए बता रहे थे कि कैसे बेतहाशा पटाखे फोड़ने के कारण सांस लेना भी मुश्किल हो गया है.
टाइम्स नाउ नवभारत के रिपोर्टरों ने ग्राउंड से धुंध से भरे नजारे दिखाते हुए बताया कि जमकर पटाखे छोड़ने के कारण हालात ऐसे हो गए हैं कि सांस लेना भी मुश्किल हो गया.
एबीपी न्यूज़ पर आनंद विहार बस टर्मिनल से एक रिपोर्ट में बताया कि एक्यूआई अब 400 से अधिक हो गया है और विशेषज्ञों ने बच्चों, कमज़ोर और बीमार लोगों को सतर्कता बरतने की सलाह दी है. वहीं दिवाली से एक दिन पहले, ग्रेटर नोएडा से आई एक रिपोर्ट में बताया गया था कि एक्यूआई पहले से ही 300 के आसपास है और कल्पना कीजिए कि अगर दिवाली पर लोग पटाखे जलाएं तो यह स्तर कहां पहुंचेगा.
जहां बीजेपी नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के "ग्रीन पटाखों" की अनुमति देने वाले फैसले की सराहना की, वहीं परंपरागत पटाखों पर कोर्ट द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों की दिल्ली के बाजारों में जमकर धज्जी उड़ाई गई. न्यूज़लॉन्ड्री ने इस साल और पिछले साल भी इन प्रतिबंधों की अनदेखी पर रिपोर्ट की थी. इस बीच खुद सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर भी कई सवाल उठे, जब कुछ मीडिया संस्थानों ने पूछा कि क्या राजधानी की हवा "ग्रीन पटाखों" का बोझ झेलने की स्थिति में है?
द टेलीग्राफ ने अपने एक संपादकीय में लिखा कि दिवाली से पहले ही दिल्ली की हवा “खराब” श्रेणी में पहुंच चुकी थी. ऐसे हालात में सुप्रीम कोर्ट द्वारा “ग्रीन पटाखों” को मंजूरी देना कितना सही है, यह विज्ञान के मुकाबले भावना के आगे झुकने जैसा प्रतीत होता है.
संपादकीय में यह चेतावनी भी थी- “यह छूट चिंता का विषय है, खासकर उस समाज में जो पटाखों से होने वाले विभिन्न प्रकार के प्रदूषण के प्रति पूरी तरह उदासीन है.”
इसी बीच, हिंदुत्व समर्थक, जिनमें धर्मगुरु भी शामिल हैं. बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री कई प्राइम टाइम शोज़ में नज़र आए, जहां उन्होंने जोर देकर कहा कि पटाखे तो जरूर फोड़े जाने चाहिए और यह सवाल उठाया कि प्रदूषण पर बहस केवल हिंदू त्योहारों के समय ही क्यों होती है.
न्यूज़18 इंडिया पर उन्होंने एंकर अमिश देवगन की चिंताओं को खारिज कर दिया, जबकि रिपब्लिक भारत पर उन्होंने यह मांग उठाई कि प्रतिबंध सिर्फ दिवाली पर ही क्यों लागू होते हैं?