दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
देश पूरे हफ्ते हसीन सपनों में खोया रहा. उस हसीन सपने की हकीकत ये है कि मीडिया मोदीजी के दरबार में लाइन लगा कर नब्बे अंश के कोण पर झुका पड़ा है. एक लाइन चित्रकूट में भी लगी हुई है. वहां देश का किसान खाद लेने के लिए दिन-रात लाइन में लगा पड़ा है. लेकिन तिहाड़ शिरोमणि दिखा रहे हैं कि पूरा देश नए वाले आईफोन की लाइन में लगा हुआ है.
दरअसल, गोदी मीडिया का ढोल फट चुका है, लेकिन फटे-फटे ही बज रहा है. उस फटे ढोल से जो फटीला सुर निकल रहा है उसमें मोदीजी का जन्मदिन मनाया जा रहा है.
मोदीजी का बर्थडे बहुत सही मौके पर खत्म हुआ. इधर बर्थडे खत्म हुआ उधर देश सूर्य ग्रहण की चपेट में आ गया. एबीपी न्यूज़ वाली चित्रा त्रिपाठी ने इस मौके पर वक्त रहते पूरे देश को न सिर्फ आगाह किया बल्कि उसे आसन्न खतरों से भी बचाया. अंधविश्वास, टोने टोटके की चाशनी में लिपटा उनका यह शो विज्ञान के साथ साथ तार्किक पत्रकारिता की भी अर्थी है.