पीएम मोदी का जन्मदिन: ‘वन मैन शो’ से लेकर ‘विकासपुरुष’ वाले विज्ञापनों से पटे हिंदी अखबार 

पत्रकारिता का उसूल है कि खबर और विज्ञापन में फर्क होना चाहिए, लेकिन आज के अखबारों में इनके बीच फर्क की लकीर इतनी धुंधली थी कि पाठकों के लिए उसे पहचानना आसान नहीं था.

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आज 17 सितंबर है- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जन्मदिन. इस मौके पर देश के बड़े हिंदी अख़बारों में जन्मदिन की बधाई वाले विज्ञापनों की भरमार है. सुबह जब पाठकों ने अख़बार खोला तो पूरे-पूरे पन्नों पर मोदी जी की तस्वीरों और इन संदेशों से भरे विज्ञापन मिले.

दैनिक जागरण अखबार के दिल्ली संस्करण के पहले 7 पन्नों से लेकर आखिरी तक पूरी तरह से जन्मदिन की बधाई वाला विज्ञापन छपा है. अंदर के पन्नों में भी आधे पेज से लेकर छोटे- बड़े कई तरह के बधाई संदेश वाले विज्ञापन ही हैं. इतना ही नहीं दिल्ली संस्करण के स्थानीय पुलआउट (सिटी संस्करण) का पहला पन्ना भी पूरी तरह विज्ञापन को समर्पित है. आज कुल 36 पन्ने प्रकाशित होकर ग्राहकों तक पहुंचे हैं. जिनमें से 10 से ज्यादा पन्नों में मात्र जन्मदिन की बधाई वाला विज्ञापन ही प्रकाशित हुआ है. 

जनसत्ता, जो आमतौर पर सादगी के लिए मशहूर माना जाता है, उसमें भी आधे से ज्यादा पन्ने सरकारी विज्ञापनों से भरे थे. जनसत्ता के सभी संस्करणों (लखनऊ, चंडीगढ़, कोलकाता और दिल्ली) के पहले पन्ने पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का पीएम मोदी को जन्मदिन की बधाई देने वाला संदेश छपा है. अखबार ने आज कुल 42 पन्ने प्रकाशित किए हैं. जिनमें 3 फुल पेज और एक आधे पन्ने का विज्ञापन मोदी जी को जन्मदिन की बधाई वाला शामिल है. वहीं, करीब आधे से ज्यादा पन्नों पर ख़बरें नहीं सिर्फ विज्ञापन हैं. 

दैनिक भास्कर की बात करें तो दिल्ली संस्करण में पीएम मोदी के जन्मदिन की बधाई देने वाले संदेशों पर 6 पन्ने पूरी तरह खर्च हुए हैं. इनमें से 5 पर बधाई वाले विज्ञापन हैं तो एक पन्ने पर बधाई संदेश हैं. ये वो बधाई संदेश हैं, जो देश के ‘अग्रणी उद्योगपतियों’ ने उन्हें भेजा है. अखबार में आज कुल 20 पन्ने हैं. भास्कर का एक विज्ञापन विशेष ध्यान खींचता है. ये मुंबई की प्राइवेट यूनिवर्सिटी एनएमआईएमएस की ओर से प्रकाशित है और इसका शीर्षक है- ‘वन मैन शो’

अमर उजाला के दिल्ली संस्करण में 26 पन्ने प्रकाशित हुए हैं. इसका पहला पन्ना पूरी दिल्ली सरकार के विज्ञापन वाला है. वहीं, अंदर एकनाथ शिंदे का प्रधानमंत्री को जन्मदिन की बधाई देते पूरे पन्ने का विज्ञापन है. इसके अलावा विभिन्न सरकारी विभागों और हरियाणा एवं मध्य प्रदेश सरकार के जन्मदिन की बधाई एवं इस सरकारी कार्यक्रमों के विज्ञापन हैं.  

नवभारत टाइम्स (दिल्ली) में तो हर दूसरे पन्ने पर मोदी जी की तस्वीर किसी मंत्रालय या विभाग की बधाई के साथ मौजूद थी. स्लोगन अलग-अलग थे, लेकिन पैटर्न एक जैसा था यानि बर्थडे के बहाने उपलब्धियों का बखान. अखबार भी इस मामले में पीछे नहीं रहा. उसने भी विज्ञापनों के अलावा एक पूरा पन्ना (एनबीटी विशेष) मोदी जी के नाम पर समर्पित कर दिया. इस पन्ने पर नितिन गडकरी और संघ के एक वरिष्ठ प्रचारक के लेख के अलावा वो सामग्री भी है, जो बेनाम है लेकिन मोदी की तारीफों के पुल बांध रही है. 

पत्रकारिता का उसूल है कि खबर और विज्ञापन में फर्क होना चाहिए, लेकिन आज के अखबारों में इनके बीच फर्क की लकीर इतनी धुंधली थी कि पाठकों के लिए उसे पहचानना आसान नहीं था. पाठक के लिए यह तय करना मुश्किल था कि कौन-सा लेख सरकार का प्रचार है और कौन-सी स्वतंत्र रिपोर्टिंग. यह सवाल भी अहम है कि क्या इन विज्ञापनों पर जनता का पैसा खर्च हुआ है? 

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