पत्रकार महेश लांगा ‘द हिन्दू’ अख़बार के वरिष्ठ सहायक संपादक हैं. एक स्वतंत्र आवाज माने जाने वाले लांगा पिछले दो दशकों से गुजरात में रिपोर्टिंग कर रहे हैं.
अंग्रेजी दैनिक ‘द हिंदू’ के वरिष्ठ सहायक संपादक महेश लांगा को अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने जीएसटी घोटाले के आरोप में गिरफ्तार किया है. एक स्वतंत्र आवाज माने जाने वाले लांगा पिछले दो दशकों से गुजरात में रिपोर्टिंग कर रहे हैं. उन्होंने राजनीति व बेरोजगारी जैसे सार्वजनिक मुद्दों पर रिपोर्टिंग की है.
इससे पहले सोमवार को 13 लोगों के खिलाफ आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 474 और 120-बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई, जिसमें डीए एंटरप्राइजेज भी शामिल है, जो कथित तौर पर पत्रकार के भाई मनोज कुमार रामभाई लांगा की एक फर्म है. आरोप है कि यह कंपनी 200 संस्थानों के एक ऐसे नेटवर्क का हिस्सा है, जिसने धोखाधड़ी वाले लेनदेन के ज़रिए टैक्स से बचने की कोशिश की.
मामला और 'साजिश'
अहमदाबाद में जीएसटी खुफिया महानिदेशालय के कार्यालय में एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी हिमांशु जोशी के ज़रिए मिले डेटा माइनिंग इनपुट के आधार पर मामला दर्ज किया गया था. एफआईआर के बाद क्राइम ब्रांच, एसओजी और ईओडब्ल्यू की टीमों ने अहमदाबाद और सूरत सहित गुजरात भर में 14 स्थानों पर छापे मारे और जांच की.
एफआईआर में दावा किया गया है कि ध्रुवी एंटरप्राइज नाम की एक फर्जी फर्म ने फर्जी रेंट एग्रीमेंट से जीएसटी पंजीकरण हासिल किया. और ऐसा लगता है कि नकली चालान के माध्यम से बोगस इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ लिया, जबकि इसने किसी भी सामान या सेवाओं की असल में आपूर्ति नहीं की.
इनपुट टैक्स क्रेडिट, एक पंजीकृत इकाई द्वारा भुगतान किए गए जीएसटी को दिखाता है, जो कंपनी के तहत पंजीकृत व्यक्ति द्वारा आपूर्ति की जाने वाली वस्तुओं या सेवाओं पर जीएसटी की लायबिलिटी को ऑफसेट करने में मदद कर सकता है.
जांच में पता चला है कि भारत भर में कई फर्म कथित तौर पर ध्रुवी एंटरप्राइज के पंजीकरण के लिए इस्तेमाल किए गए पैन का ही उपयोग कर रही थीं. फिर संचित इनपुट टैक्स क्रेडिट को 12 "सक्रिय फर्मों" को दे दिया गया था.
लगभग 200 फर्जी फर्मों का एक नेटवर्क "फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ उठाकर और उसे पास करके सरकारी खजाने को चूना लगाने के लिए पूरे देश में संगठित तरीके से काम कर रहा है".
पुलिस के लांगा को लेकर दावे
डीसीपी (क्राइम) अजीत राजियन ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि लांगा की पत्नी कविता के नाम के दस्तावेज भी मिले हैं लेकिन उनका नाम एफआईआर में नहीं है क्योंकि जांच से पता चला है कि उनका इकाई के संचालन से कोई लेना-देना नहीं है. राजियन ने आरोप लगाया कि वो पत्रकार ही था, जो फ़र्म का इस्तेमाल धोखाधड़ी की गतिविधियों के लिए कर रहा था और अभी भी मामले में उससे पूछताछ की जा रही है.
लांगा के भाई को भी गिरफ्तार नहीं किया गया है.
इसके बाद पुलिस ने यह दावा भी किया कि, “एक बड़ा समूह था, जो इस तरह के फर्जी बिलिंग, जाली दस्तावेजों और तथ्यों/दस्तावेजों के द्वारा बदनीयती से गलत बयानी के जरिए, देश को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान पहुंचाने की आपराधिक साजिश की दिशा में काम कर रहा था.”
सहायक पुलिस आयुक्त को दी गई अपनी शिकायत में हिमांशु जोशी ने दावा किया कि डेटा माइनिंग से पता चला है कि ध्रुवी एंटरप्राइज, जीएसटी के फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट की रसीद और हस्तांतरण में लिप्त थी. डीए एंटरप्राइजेज के अलावा, जो कथित तौर पर महेश लांगा के भाई से जुड़ी हुई है, एफआईआर में राज इंफ्रा, हरेश कंस्ट्रक्शन कंपनी और ओम कंस्ट्रक्शन के नाम भी शामिल हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री ने इस मामले पर टिप्पणी के लिए ‘द हिन्दू’ के संपादक सुरेश नंबथ से संपर्क किया. अगर उनकी कोई प्रतिक्रिया मिलती है तो इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
वहीं, टिप्पणी के लिए लांगा के परिवार से संपर्क नहीं हो सका.