‘शूरवीर प्रोग्राम’ को ‘हिंदुओं का अपना इकोसिस्टम’ बताया गया है. इसका प्रचार केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कर रहे हैं.
हाल ही में उत्तर प्रदेश के मुज़फ़्फ़रनगर जिला प्रशासन ने एक निर्देश जारी किया कि सावन के दौरान कांवड़ मार्ग पर जितने होटल, ढाबे और रेहड़ी वाले हैं, वो अपने मालिक और कर्मचारियों का नाम दुकान पर लिखें. प्रशासन का पक्ष था कि यह इसलिए ज़रूरी है कि किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति किसी भी कांवड़िये के अंदर न रहे. जिससे आगे चलकर आरोप-प्रत्यारोप हों और कानून व्यवस्था खराब हो.
मुज़फ़्फ़रनगर प्रशासन की चौतरफा आलोचना शुरू हो गई. इसी बीच उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश सरकार ने अपने राज्य के अंतर्गत आने वाले सभी कांवड़ मार्गों पर इसे लागू कर दिया. हालांकि, मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. कोर्ट ने प्रशासन के आदेश को भेदभावपूर्ण बताकर इस पर रोक लगा दी.
इस आदेश को ‘हिंदू-मुस्लिम’ के बीच बंटवारे के रूप में देखा गया. मुज़फ़्फ़रनगर में दुकानदारों ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि इस आदेश का मकसद साफ है कि हिंदू सिर्फ एक हिंदू दुकानदार से ही समान ख़रीदे और मुस्लिम एक मुस्लिम दुकानदार से.
सुप्रीम कोर्ट ने यूपी प्रशासन के इस आदेश की आलोचना कर उसपर रोक लगा दी.
ये मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि 25 जुलाई को भारत सरकार के केंद्रीय मंत्री और बेगूसराय से भाजपा सांसद गिरिराज सिंह ने अपने एक्स हैंडल (पूर्व में ट्विटर) पर पोस्ट कर एक वीडियो साझा किया. जिसका कैप्शन है, ‘वाह रे हमारे शूरवीर’’
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