कोर्ट ने कहा की नाम की जगह भोजन के प्रकार को लिखना ज़्यादा उचित.
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उन निर्देशों पर रोक लगा दी है जिसमें सरकार ने कांवड़ यात्रा मार्ग के आसपास के भोजनालयों में दुकानों के बाहर मालिकों के नाम लगाए जाने के लिए कहा था.
कोर्ट ने कहा कि इस तरह किसी पर भी नाम लिखने का दबाव नहीं बना सकते हैं. जस्टिस ऋषिकेश रॉय और जस्टिस एसवीएन भट्टी की बेंच ने सरकार के निर्देशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर नोटिस जारी करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया.
बेंच ने हालांकि स्पष्ट किया कि इसकी बजाय परोसे जा रहे भोजन के प्रकार को प्रदर्शित करना चाहिए.
बता दें कि सरकार के निर्देश के खिलाफ इस मामले में दो अन्य याचिकाएं भी दायर की गई हैं. इनमें एक है टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की वहीं दूसरी याचिका जाने-माने राजनीतिक टिप्पणीकार दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर अपूर्वानंद झा और मानवाधिकार कार्यकर्ता आकार पटेल की है.
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