अब तक की जांच से पता चला है कि एक कथित रैकेट के जरिए 'हजारों किलोमीटर दूर' के छात्रों को गुजरात में सेंटर चुनने के लिए कहा गया था.
नीट-यूजी के कई कैंडिडेट दूसरे राज्यों के थे लेकिन उन्हें कथित तौर पर गुजराती को अपनी भाषा के रूप में चुनने के लिए कहा गया. यह सब किया गया ताकि एग्जाम प्रोसेस में शामिल होने वाले अन्य दो गुजराती स्टूडेंट्स को आंसर शीट भरने में सहूलियत हो सके. इन कैंडिडेट्स को कथित तौर पर अपना परमानेंट एड्रेस गुजरात में दिखाने के लिए भी कहा गया था, जबकि वे ओडिशा, बिहार, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से थे.
पेपर लीक से जुड़े ‘अंतरराज्यीय लीक’ वाली ‘बड़ी साजिश’ में सीबीआई की जांच से यही पता चलता है. यह पेपर लीक कथित तौर पर गुजरात के पंचमहल और खेड़ा जिलों के दो परीक्षा केंद्रों पर सामने आई है.
ये कैंडिडेट उन कम से कम 30 अभ्यर्थियों में से हैं, जो अब तक की जांच में संदेह के घेरे में हैं. इन सभी ने पंचमहल के गोधरा के जय जलाराम स्कूल या खेड़ा के जय जलाराम इंटरनेशनल स्कूल में अपनी परीक्षा दी है. यह दोनों ही स्कूल जय जलाराम ट्रस्ट के स्वामित्व वाले हैं.
सीबीआई ने पिछले महीने अहमदाबाद में ये सीबीआई की अदालत के सामने अपनी शिकायत में यही दावे किए थे. इस शिकायत के जरिए ट्रस्ट के चेयरमैन की हिरासत मांगी गई थी.
सीबीआई अब तक इन दोनों परीक्षा केंद्रों से जुड़े छह आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है. इनमें ट्रस्ट के चेयरमैन दीक्षित पटेल, फिजिक्स टीचर और डिप्टी सुपरिटेंडेंट तुषार भट्ट शामिल हैं. इसके अलावा गोधरा स्कूल के प्रिंसिपल और सिटी कोर्डिनेटर पुरूषोत्तम शर्मा, वडोदरा स्थित एजुकेशन कंसल्टेंसी फर्म रॉय ओवरसीज के मालिक परशुराम रॉय, गोधरा स्कूल में पहले कराटे पढ़ा चुके आरिफ वोहरा और वडोदरा स्थित प्राइवेट एजुकेशन कंसल्टेंट विभोर आनंद शामिल हैं. विभोर आनंद मूलतः बिहार से हैं.
इस मामले की जांच सबसे पहले गोधरा पुलिस ने 8 मई को जिला शिक्षा अधिकारी की ओर से तीन संदिग्धों- भट्ट, रॉय और वोहरा- के खिलाफ मिली शिकायत के आधार पर शुरू की थी. जांच को बाद में पिछले महीने सीबीआई को सौंप दिया गया था.
इस मामले में तुषार भट्ट मुख्य आरोपी है और नीट-यूजी परीक्षा के लिए गोधरा में सेंटर का वह डिप्टी सुपरिटेंडेंट भी था. 30 जून को अदालत के सामने पेश होकर, सीबीआई ने कहा कि ट्रस्ट के अध्यक्ष दीक्षित पटेल जांच एजेंसी को यह बताने में विफल रहे कि तुषार भट्ट को कैसे और क्यों चीफ कोर्डिनेटर बनाया गया, जबकि वह स्कूल के टीचर नहीं थे.
एनडीए सरकार और नेशनल टेस्टिंग एजेंसी द्वारा इस प्रीमियर परीक्षा को सही से कंडक्ट न करा पाने के खिलाफ बढ़ते गुस्से के बीच सुप्रीम कोर्ट के सामने कई याचिकाएं दायर हुईं. इसके बाद केंद्रीय एजेंसी सीबीआई ने यह कदम उठाया था. सीबीआई बिहार और झारखंड सहित कुछ अन्य राज्यों में गिरफ्तारियां कर रही है. न्यूज़लॉन्ड्री ने पहले बिहार में पुलिस और सीबीआई जांच पर डिटेल रिपोर्ट की थी.
अब तक केंद्रीय जांच एजेंसी ने पटना, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र और झारखंड में छह एफआईआर दर्ज की हैं. जबकि चार्जशीट 90 दिन में दाखिल होगी.
टॉपर बनने की स्कीम, पुलिस केस और सीबीआई जांच
5 मई को परीक्षा हो रही थी. इस दिन डिप्टी कमिश्नर आशीष कुमार की सलाह पर जिला अधिकारी गोधरा के इस सेंटर पर पहुंचे. डिप्टी कमिश्नर को तुषार भट्ट की कथित मिलीभगत के बारे में सुबह एक फोन कॉल के जरिए सूचना मिली थी.
30 जून को अदालत में सीबीआई ने अपने आवेदन में कहा कि इस रैकेट की मोडस ऑपरेंडी यानी कार्यप्रणाली के तहत, रॉय, वोहरा और आनंद कैंडिडेट तक पहुंचे और उनके साथ सौदेबाजी की. वहीं, तुषार भट्ट और पुरुषोत्तम शर्मा ने सेंटर पर मोर्चा संभाला. कथित तौर पर शॉर्टलिस्ट किए गए स्टूडेंट्स से कहा गया था कि वे उन सवालों का जवाब दें, जिनके उत्तर वे जानते थे और बाकी शीट खाली छोड़ दें. परीक्षा खत्म होने के बाद, पुरुषोत्तम शर्मा और तुषार भट्ट बाकी उत्तर भर देते थे और ‘उसे बहुत चतुराई से लिफाफे में रख देते थे’.
एफआईआर के अनुसार, जब अधिकारी मौके पर पहुंचे, तो उन्हें भट्ट के व्हाट्सएप से नाम, रोल नंबर और परीक्षा केंद्रों के साथ 16 कैंडिडेट्स की एक लिस्ट मिली. एफआईआर में कहा गया, ये सभी मैसेज वोहरा ने उन्हें भेजे थे. जब भट्ट से लिस्ट के बारे में पूछताछ की गई, तो उसने स्वीकार किया कि उसने इन कैंडिडेट्स के क्वेश्चन पेपर्स को हल करने के लिए 10 लाख रुपये लिए थे. एफआईआर में दावा किया गया है कि अधिकारियों ने उसी दिन परीक्षा केंद्र में खड़ी उनकी कार से 7 लाख रुपये जब्त किए थे. इसमें दावा किया गया कि यह रॉय की तरफ से एडवांस पेमेंट था.
8 मई को पंचमहल के जिला शिक्षा अधिकारी किरीटकुमार पटेल ने गोधरा तालुका पुलिस स्टेशन में भट्ट, रॉय और वोहरा के खिलाफ भादसं की धारा 406, 409, 420, 120 (बी), 34 और 201 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एफआईआर दर्ज कराई.
गोधरा के डीएसपी एनवी पटेल ने कहा कि 22 मई को गुजरात पुलिस ने पुरुषोत्तम शर्मा और विभोर आनंद को भी गिरफ्तार किया, जिन्होंने कथित तौर पर भट्ट, रॉय और वोहरा के साथ मिलकर काम किया था. डीएसपी पटेल ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि विभोर आनंद के पास से कथित तौर पर 14 छात्रों की एक लिस्ट बरामद की गई थी.
पुलिस का दावा है कि आनंद अपनी कंसल्टेंसी के लिए सोशल मीडिया एड के जरिए दूसरे राज्यों के स्टूडेंट्स तक पहुंचा और उन्हें रॉय के पास भेजा. पुलिस ने यह भी दावा किया कि रॉय के पास से आठ खाली चेक और 2.30 करोड़ रुपये के चेक का एक सेट बरामद हुआ है. पुलिस ने कहा कि ये रकम गुजरात के दो परीक्षा केंद्रों पर नीट-यूजी परीक्षा देने वाले कैंडिडेट्स के माता-पिता द्वारा दिए गए थे.
दावा किया गया है कि सिटी कोर्डिनेटर पुरुषोत्तम शर्मा को योजना की जानकारी थी.
पुलिस ने पुरुषोत्तम शर्मा के घर से सीसीटीवी फुटेज बरामद किया, जिसमें कथित तौर पर शॉर्टलिस्ट किए गए कैंडिडेट्स के नाम के साथ टेस्ट से एक दिन पहले आरोपियों के साथ उनकी मुलाकात दिखाई दे रही थी. पुलिस का दावा है कि इन नामों का एक कागज भी मिला है.
पहले एक जिला अदालत ने कई निष्कर्षों की ओर इशारा किया था
जिला और सत्र न्यायाधीश सीके चौहान ने 29 जून को एक आदेश सुनाया जिसमें कहा गया कि सेलेक्ट हुए कैंडिडेट मूल रूप से इन दोनों परीक्षा केंद्रों से हजारों किलोमीटर दूर से आते हैं, और ‘यह दर्शाता है कि आरोपियों ने सामूहिक रूप से साजिश के तहत’ शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों को इन परीक्षा केंद्रो को चुनने का सुझाव दिया, ताकि वे उन्हें "अधिकतम मार्क्स" पाने में मदद कर सकें.
30 जून को अदालत में सीबीआई ने अपने आवेदन में कहा कि इस रैकेट की मोडस ऑपरेंडी यानी कार्यप्रणाली के तहत, रॉय, वोहरा और आनंद कैंडिडेट तक पहुंचे और उनके साथ सौदेबाजी की. वहीं, तुषार भट्ट और पुरुषोत्तम शर्मा ने सेंटर पर मोर्चा संभाला. कथित तौर पर शॉर्टलिस्ट किए गए स्टूडेंट्स से कहा गया था कि वे उन सवालों का जवाब दें जिनके उत्तर वे जानते थे और बाकी शीट खाली छोड़ दें. परीक्षा खत्म होने के बाद, पुरुषोत्तम शर्मा और तुषार भट्ट बाकी उत्तर भर देते थे और ‘उसे बहुत चतुराई से लिफाफे में रख देते थे’.
2024 के लिए नीट-यूजी परीक्षा की निर्देश पुस्तिका (इंस्ट्रक्शन बुकलेट) के अनुसार, जो उम्मीदवार परीक्षा में विकल्प के रूप में दी गई 13 क्षेत्रीय भाषाओं में से किसी एक को चुनते हैं, उन्हें अंग्रेजी में एक अतिरिक्त बुकलेट भी दी जाती है.
गोधरा कोर्ट की टिप्पणी
अहमदाबाद की सीबीआई अदालत ने जिस दिन पटेल की हिरासत केंद्रीय एजेंसी को दी थी, उससे एक दिन पहले, गोधरा में पंचमहल जिला अदालत ने एजेंसी को पांच अन्य आरोपियों की पुलिस हिरासत देते समय कई जांच निष्कर्षों पर ध्यान दिया.
29 जून को जिला और सत्र न्यायाधीश सीके चौहान ने जो आदेश दिया, उसमें कहा गया है कि सेलेक्ट हुए कैंडिडेट मूल रूप से इन दोनों परीक्षा केंद्रों से हजारों किलोमीटर दूर से आते हैं, और ‘यह दर्शाता है कि आरोपियों ने सामूहिक रूप से साजिश के तहत’ शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों को इन परीक्षा केंद्रो को चुनने का सुझाव दिया, ताकि वे उन्हें ‘अधिकतम मार्क्स’ पाने में मदद कर सकें.
अदालत ने ‘गुजरात नीट-यूजी घोटाले और अन्य राज्यों से संबंधित अन्य आरोपियों के बीच के कनेक्शन की उचित संभावना’ को भी रेखांकित किया. अदालत ने कहा कि इसके लिए गहरी, निष्पक्ष और पारदर्शी जांच की आवश्यकता है.
जस्टिस चौहान ने कहा कि यह काफी ‘असाधारण मामला’ है क्योंकि इससे पता चलता है कि ‘ये दोनों केंद्र’ बीते हुए सालों में भी इस तरह के कदाचार में शामिल थे.
सरकारी वकील राकेश ठाकोर ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “अन्य राज्यों के स्टूडेंट्स द्वारा गुजरात को अपने परीक्षा केंद्र के रूप में चुनने के अलावा, सीबीआई ने अपनी जांच में यह भी पाया है कि जिन शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों ने पैसे दिए थे, उनके कंप्यूटर पर गोला बना हुआ था यानी वे मार्क किए हुए थे. इसका आरोपी के पास कोई जवाब नहीं था. सीबीआई ने यह भी सवाल उठाया है कि एनटीए ने इस स्कूल को अपने परीक्षा केंद्र के रूप में क्यों चुना.
वहीं’, सीबीआई जांच से जुड़े एक सूत्र ने कहा कि एजेंसी ने अपनी जांच के लिए 10 से अधिक ‘शॉर्टलिस्टेड’ नीट-यूजी कैंडिडेट्स के माता-पिता को भी गुजरात बुलाया था. सूत्र ने दावा किया कि उन्होंने कथित तौर पर एजेंसी के सामने स्वीकार किया है कि आरोपियों ने उन्हें एक विशेष सेंटर का चुनने पर मानचाहा मार्क्स दिलाने का वादा किया था और इसीलिए उन्होंने गोधरा को अपना सेंटर चुना.
हालांकि, जांच एजेंसियों ने अभी तक किसी भी कैंडिडेट या उनके परिवार के सदस्यों को गिरफ्तार नहीं किया है.
“परीक्षा आयोजित करने की पूरी प्रक्रिया शाम 5 बजे खत्म हो गई. लेकिन कूरियर एजेंसी रात 9 बजे छात्रों के क्वेश्चन पेपर्स लेने आई.. 4 घंटे का गैप, जिससे आरोपी को ओएमआर शीट भरने की छूट मिल गई.” - किरीट पटेल, जिला शिक्षा अधिकारी
पंचमहल जिला अदालत के सामने पिछले महीने एक हलफनामे में, पुलिस ने दावा किया कि विभोर आनंद ने ओडिशा, बिहार और महाराष्ट्र के कम से कम 11 कैंडिडेट्स के माता-पिता से संपर्क किया था ताकि उन्हें परीक्षा के माध्यम के रूप में गुजराती के साथ गोधरा सेंटर चुनने के लिए राजी किया जा सके.
सवालों के घेरे में एनटीए
मई के महीने में विभोर आनंद की पुलिस कस्टडी की मांग करते हुए गोधरा के डीएसपी एनवी पटेल ने पहले दावा किया था कि एनटीए जांच में सहयोग नहीं कर रही है.
28 मई को, पंचमहल जिला अदालत के सामने डीएसपी पटेल ने कहा कि एनटीए ने बार-बार अनुरोध करने के बावजूद संदिग्ध कैंडिडेट्स की ओएमआर शीट नहीं सौंपी थी. उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि एनटीए ने आज तक जांच एजेंसी को ऐसे महत्वपूर्ण दस्तावेजी सबूत उपलब्ध नहीं कराए हैं. एनटीए ने दावा किया है कि परीक्षा से किसी भी तरह से समझौता नहीं किया गया; परीक्षा केंद्रों पर सुरक्षा प्रोटोकॉल, मानक संचालन प्रक्रिया और सीसीटीवी निगरानी थी. लेकिन, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि इस मामले में, परीक्षा का समय खत्म होने के तुरंत बाद आरोपियों द्वारा कथित कदाचार को अंजाम दिया गया है.”
एनटीए के अरेंजमेंट में इसी तरह की ‘चूक’ की ओर पंचमहल जिला शिक्षा अधिकारी किरीट पटेल ने भी इशारा किया था.
किरीट पटेल ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “परीक्षा आयोजित करने की पूरी प्रक्रिया शाम 5 बजे खत्म हो गई. लेकिन कूरियर एजेंसी रात 9 बजे छात्रों के क्वेश्चन पेपर्स लेने आई.. 4 घंटे का गैप,जिससे आरोपी को ओएमआर शीट भरने की छूट मिल गई.”
नीट-यूजी परीक्षा के दिन यानी 5 मई को पंचमहल के डिप्टी कमिश्नर आशीष कुमार ने पटेल और एडीएम को गोधरा में सेंटर पर परीक्षा की निगरानी के लिए भेजा था. वजह थी कि उन्हें सुबह एक फोन आया था जिसमें दोनों सेंटर पर गड़बड़ी की संभावना का दावा किया गया था.
आशीष कुमार ने कहा, “जैसे ही मुझे फोन आया, मैंने डीओई और एडीएम को भेजा. इसी तरह मैंने खेड़ा जिले के डीसी को भी अलर्ट किया. उन्होंने अपने अधिकारी भी सेंटर पर भेजे. जिस समय जिला शिक्षा अधिकारी गोधरा सेंटर पहुंचे, तुषार भट्ट वहां मौजूद था.”
तीन दिन बाद, 8 मई को, दोनों सेंटर पर कदाचार का आरोप लगाते हुए एक कॉमन एफआईआर दर्ज की गई. आशीष कुमार ने कहा, "एक कॉमन एफआईआर दर्ज की गई क्योंकि दोनों सेंटर का एक ही सिटी कोर्डिनेटर, पुरषोत्तम शर्मा है."
दोनों सेंटर के लिए एक ही सिटी कोर्डिनेटर के रूप में शर्मा की भूमिका एनटीए की गाइडलाइंस का उल्लंघन है, जो कहती है कि हर शहर का अपना सिटी कोर्डिनेटर होना चाहिए. जय जलाराम स्कूल पंचमहल जिले के गोधरा शहर में पड़ता है जबकि जय जलाराम इंटरनेशनल स्कूल खेड़ा जिले में है.
आशीष कुमार ने यह भी दावा किया कि परीक्षा के दिन तक उन्हें यह भी पता नहीं था कि एनटीए ने जय जलाराम स्कूल को अपने सेंटर के रूप में चुना है. एनटीए की गाइडलाइंस के अनुसार, सिटी कोर्डिनेटर को यह सुनिश्चित करना होगा कि सेंटर सुपरिटेंडेंट अपने सेंटर में कानून और व्यवस्था बनाए रखे और इसके लिए वह पुलिस सहायता के लिए जिला अधिकारियों से संपर्क करे.
“मुझे नहीं याद की एनटीए के प्रतिनिधियों से इस तरह का कोई पत्र मुझे मिला है. मुझे श्योर नहीं हूं कि कानून और व्यवस्था बनाए रखने के लिए परीक्षा केंद्र पर पुलिस अधिकारी भी तैनात किए गए थे, ”आशीष कुमार ने कहा.
गोधरा जिले के अधिकारियों ने दो परीक्षा केंद्रों पर क्या हुआ था, इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की थी. 8 मई को, यानी जिस दिन एफआईआर दर्ज की गई थी, आशीष कुमार ने एनटीए को यह रिपोर्ट भेजी थी, लेकिन ‘एजेंसी से कोई जवाब नहीं मिला’.
सुप्रीम कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में लीक के डिटेल्स मांगे थे. अब सुप्रीम कोर्ट मामले पर फिर से सुनवाई करने के लिए तैयार है. इसने सीबीआई से 10 जुलाई शाम 5 बजे तक अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने और इसे सभी याचिकाकर्ताओं के साथ शेयर करने को कहा था.
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