नीट की पुनर्परीक्षा के लिए, एनटीए ने सिटी कोऑर्डिनेटर को हटाया तथा जिला पदाधिकारियों से विशेष अधिकारी मांगे.
नीट की परीक्षा को बचाने के लिए एक फोन कॉल की जरूरत थी. अगर हरियाणा के झज्जर में पिछले महीने नीट-यूजी की दोबारा हुई परीक्षा और मई में हुई मुख्य परीक्षा के लिए राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के मानदंडों के बीच अंतर का अध्ययन किया जाए, तो यही निष्कर्ष निकल सकता है.
पुनर्परीक्षा से पहले की प्रक्रिया कुछ इस तरह थी. एनटीए के अधिकारी और परीक्षा केंद्रों के प्रिंसिपल जिला प्रशासन से मिलते हैं. दो सरकारी अधिकारियों को विशेष अधिकारी के रूप में नामित किया जाता है. ये अधिकारी प्रश्न पत्र ले जाने वाले वाहनों की सुरक्षा, फ्लाइंग स्क्वाड की मौजूदगी और परीक्षा की बारीकियों को प्रबंधित करने का काम करते हैं. इसके अलावा, एजेंसी ने झज्जर में दोबारा परीक्षा के दिन एनटीए और शिक्षा मंत्रालय के आठ कर्मचारियों को तैनात किया.
लेकिन 5 मई को तीनों केंद्रों पर मूल परीक्षा की निगरानी एक सिटी कोऑर्डिनेटर को सौंपी गई थी, जो कि एक प्राइवेट जॉब करने वाला शख्स है. तब सब कुछ अलग था. हालांकि, यह एनटीए के अपने दिशा-निर्देशों के अनुसार था, लेकिन कम से कम एक केंद्र में उड़नदस्तों की कथित रूप से कमी और प्रक्रिया में शामिल अन्य लोगों को समन्वयक की ओर से “स्पष्ट” निर्देशों का न होना, एनटी के ही निर्देशों के अनुसार नहीं था.
इसके बाद केंद्रों पर प्रश्न-पत्रों में गड़बड़ी हुई, परीक्षा में देरी हुई, कई छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए गए और अब हजारों छात्रों में अनिश्चितता की स्थिति के बीच नरेंद्र मोदी सरकार पर परीक्षा रद्द करने और व्यापक स्तर पर दोबारा परीक्षा कराने का दबाव बढ़ रहा है.
झज्जर की तरह मेघालय और छत्तीसगढ़ में भी प्रश्न-पत्रों के गलत सेट वितरित किए गए. झज्जर के 494 छात्रों सहित कुल 1,563 छात्रों को ग्रेस मार्क्स दिए जाने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के बाद 23 जून को दोबारा परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें केवल 50 प्रतिशत छात्र ही शामिल हुए.
दरअसल, एनटीए की ओर से नीट के लिए प्रश्न पत्रों के दो सेट मुहैया कराए जाते हैं. जिनमें से प्रत्येक को डिजिटल रूप से सील किए गए धातु के बक्से में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में रखा जाता है.
मई में झज्जर में नीट परीक्षा के लिए सिटी कोऑर्डिनेटर वीएन झा थे, जो एसआर सेंचुरी पब्लिक स्कूल के प्रिंसिपल थे, जो विजया स्कूल और हरदयाल पब्लिक स्कूल के साथ जिले के तीन परीक्षा केंद्रों में से एक था. ये तीनों निजी स्कूल हैं. झा अब आलोचनाओं के घेरे में आने वाले एकमात्र सिटी कोऑर्डिनेटर नहीं हैं, क्योंकि सीबीआई देश भर में कई मामलों में गड़बड़ी के कारणों की जांच करने की कोशिश कर रही है. उदाहरण के लिए, झारखंड के हजारीबाग में सीबीआई ने पेपर लीक में भूमिका होने के शक में, एनटीए के सिटी कोऑर्डिनेटर और स्कूल प्रिंसिपल एहसान उल हक को गिरफ्तार किया है.
कथित तौर पर केंद्र ने आगामी परीक्षाओं जैसे कि AIAPGET और FMGE की सत्यनिष्ठा सुनिश्चित करने के लिए राज्यों से संपर्क कर मदद मांगी है. केंद्रीय गृह सचिव ने कथित तौर पर प्रत्येक परीक्षा केंद्र में, सरकारी रैंक के अधिकारियों में से ही, निगरानी के एक अतिरिक्त स्तर की शुरुआत के लिए अनुरोध किया है.
केंद्र की ओर से पहले एनटीए की परीक्षा प्रक्रिया में सुधार के उपाय सुझाने के लिए एक सुधार समिति का गठन किया गया. एनटीए के प्रमुख सुबोध कुमार सिंह, को हटाया गया. इन्हीं सिंह के नेतृत्व में यूजीसी-नेट और नीट-यूजी की परीक्षाएं आयोजित की गई थीं. सिंह को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग में छुट्टी पर भेज दिया गया.
पहला पेपर: 3 परीक्षा केंद्र, ‘भ्रम’ और ‘निर्देशों की कमी’
प्रत्येक केंद्र में एक अधीक्षक, दो उप अधीक्षक और दो पर्यवेक्षक होते हैं.
झज्जर में, अधीक्षक और उप अधीक्षक उन्हीं निजी स्कूलों के शिक्षक थे, जिन्हें परीक्षा केंद्र के रूप में उपयोग किया गया था, जबकि छह पर्यवेक्षक सरकारी नेहरू कॉलेज के अध्यापक थे.
इन टीमों को प्रशिक्षित करना और उनके साथ समन्वय करना समन्वयक झा का काम था. लेकिन इस 15 सदस्यीय टीम के कम से कम चार सदस्यों ने उचित प्रशिक्षण और स्पष्ट निर्देशों की कमी का आरोप लगाया, जिसके कारण परीक्षा के दिन प्रश्नपत्रों का गलत सेट वितरित हुआ.
दरअसल, एनटीए की ओर से नीट के लिए प्रश्न पत्रों के दो सेट मुहैया कराए जाते हैं. जिनमें से प्रत्येक को डिजिटल रूप से सील किए गए धातु के बक्से में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक में रखा जाता है. इनमें से दूसरा सेट केवल पेपर लीक और आपात स्थिति के मामले में उपयोग किए जाने वाले बैक-अप पेपर के रूप में माना जाता है और इसे केवल ज़रूरत पड़ने पर ही उपयोग में लाया जाता है.
नीट-यूजी 2024 के लिए, प्राथमिक पेपर भारतीय स्टेट बैंक में और बैक-अप पेपर केनरा बैंक में रखा गया था. लेकिन परीक्षा प्रक्रिया में शामिल नामित कर्मचारियों ने 5 मई को दोनों सेट उठा लिए. और जब बैक-अप पेपर वाले बॉक्स की सील नहीं खुली, तो तीनों केंद्रों पर एनटीए की मंजूरी से लॉक को काट दिया गया.
एनटीए के एक पूर्व क्षेत्रीय समन्वयक ने कहा, "दूसरा पेपर केवल आपातकालीन स्थिति में, एनटीए द्वारा बैंक को सूचित किए जाने के बाद ही लिया जाना चाहिए. इससे पता चलता है कि बैंक को सूचना भी नहीं दी गई थी."
न्यूज़लॉन्ड्री ने एसबीआई और केनरा बैंक से संपर्क किया. अगर कोई प्रतिक्रिया मिलती है तो इस कॉपी को अपडेट कर दिया जाएगा.
विजया स्कूल के मालिक अर्जुन किंद्रा ने दावा किया कि एनटीए ने "22 अप्रैल को दिल्ली में पूसा रोड पर हमारे लिए केवल एक ओरिएंटेशन प्रोग्राम आयोजित किया था. हमारे केंद्र से, अधीक्षक और उनके दोनों डिप्टी इसमें शामिल हुए थे. एनटीए ने उस कॉन्फ्रेंस में सब कुछ चर्चा की, लेकिन उन्होंने बुनियादी जानकारी साझा नहीं की कि प्रश्नपत्रों के दो सेट होंगे और परीक्षा के दिन उन्हें कैसे प्राप्त किया जाएगा. उसके बाद, उन्होंने केंद्रों से कोई संवाद नहीं किया. हमें सिटी कोर्डिनेटर से सारी जानकारी मिली."
झा ने परीक्षा से एक दिन पहले, 4 मई को सुबह करीब 10 बजे अधीक्षक और उनके सहायकों के साथ बैठक बुलाई. अगले दिन प्रश्नपत्रों का स्थान साझा किया गया. लेकिन झा ने उन्हें केनरा बैंक और सीबीआई दोनों से मेटल केस इकट्ठा करने के लिए कहा, ऐसा आरोप विजया स्कूल के उप अधीक्षक संजीव कुमार और पर्यवेक्षक ललित कुमार और अमित भारद्वाज ने लगाया, जिन्हें उस केंद्र के लिए प्रश्न पत्र इकट्ठा करने के लिए नियुक्त किया गया था.
झा ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि वह “भ्रमित” थे, जबकि एनटीए ने उन्हें केवल एसबीआई से प्रश्न पत्र लेने के लिए कहा था. “परीक्षा के दिन, एनटीए ने सुबह एक टेक्स्ट मैसेज भेजा कि हमें एसबीआई बैंक से प्रश्न पत्र उठाना है. लेकिन मैंने अपना मोबाइल नहीं देखा क्योंकि मैं परीक्षा में व्यस्त था. और परीक्षा से एक दिन पहले, मुझे दोनों बैंकों से एक संदेश मिला था कि उनके पास गोपनीय सामग्री रखी गई है. लेकिन उन्होंने (एनटीए) यह भी नहीं बताया था कि हमें किस बैंक से प्रश्न पत्र लेना है. इसलिए, मैं भ्रमित हो गया और दोनों बैंकों से प्रश्न पत्र ले लिए.”
जब हमने उनसे पूछा कि एनटीए ने प्रश्नपत्रों के बारे में जानकारी कब दी थी, तो झा ने कहा, "हो सकता है कि उन्होंने अपनी ब्रीफिंग में इस बारे में बताया हो. लेकिन मुझे यह स्पष्ट नहीं था. मुझे बक्से खोलने के बाद ही पता चला कि ये प्रश्नपत्रों के दो अलग-अलग सेट हैं."
उपाधीक्षक संजीव कुमार ने दावा किया कि उन्होंने झा से यह भी पूछा था कि ये सभी बक्से क्यों थे. "झा ने हमें बताया कि इसमें कुछ पुस्तिकाएं भी थीं. हमने उनसे पूछा कि कौन सी पुस्तिका वितरित की जानी थी. उन्होंने बस हमें स्कूल जाने के लिए कहा. फिर हमने उनसे और कोई सवाल नहीं पूछा."
पर्यवेक्षक ललित कुमार ने इस सब के क्रम पर मतभेद जताया, लेकिन उन्होंने कहा कि "हमें यह भी नहीं पता था कि दो अलग-अलग बैंकों में प्रश्नपत्रों के दो सेट हैं. हमें बस इतना पता था कि हमें धातु के बक्से एकत्र करने थे. मुझे लगा कि शायद हम जो एकत्र कर रहे हैं वह एक ही प्रश्नपत्र के दो हिस्से हैं."
भारद्वाज ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.
एनटीए के निर्देशों के अनुसार, धातु के बक्से दोपहर 1.30 बजे अपने आप खुलने चाहिए थे. लेकिन किंद्रा ने कहा कि "केवल एक बॉक्स खुला. जब अन्य बक्से नहीं खुले, तो हमने एनटीए दिल्ली कार्यालय से संपर्क किया. उन्होंने हमें एक कटर से ताला काटने के लिए कहा. इसलिए, हमने ऐसा किया."
झा के एसआर सेंचुरी स्कूल में भी यही हुआ. झा ने दावा किया, "इसलिए हमने एनटीए कार्यालय को फोन किया, जिसने हमें कटर का उपयोग करके इसे खोलने के लिए कहा.” बक्से खोले जाने के बाद, झा ने पाया कि दो अलग-अलग सेट के प्रश्नपत्र थे. "तब तक, मुझे इस बारे में पता नहीं था."
हरदयाल पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल अनुराधा यादव ने मीडिया को बताया था, “हमने प्रश्नपत्रों के दो सेट एकत्र किए क्योंकि एनटीए ने हमें ऐसा करने के लिए कहा था.”
किंद्रा ने कहा कि उन्होंने केवल एक छात्र द्वारा आपत्ति जताए जाने के बाद प्रक्रिया को रोक दिया. "तब तक हमें यह भी पता नहीं था कि ये दो अलग-अलग प्रश्नपत्र हैं."
किंद्रा के स्कूल ने झा को यह पूछने के लिए फोन किया कि कौन सा प्रश्न पत्र वितरित किया जाना था. उन्होंने दावा किया, "कुछ समय बाद झा ने मुझे वापस फोन किया. उन्होंने कहा कि आप जो भी प्रश्नपत्र वितरित करना चाहते हैं, कर सकते हैं क्योंकि दोनों एनटीए से हैं."
हालांकि, पर्यवेक्षक ललित कुमार ने दावा किया कि झा ने विजया स्कूल को केवल एसबीआई प्रश्न पत्र वितरित करने के लिए कहा था. "चार छात्रों को एसबीआई प्रश्नपत्र और बाकी को केनरा बैंक के प्रश्नपत्र दिए गए. चूंकि केंद्र ने एनटीए दिल्ली कार्यालय से भी संपर्क किया था, इसलिए उन्होंने शुरू में उन्हें एसबीआई प्रश्न पत्र वितरित करने के लिए कहा और फिर कहा कि आपने जो भी प्रश्न पत्र वितरित किया है, तो ठीक है. यह सुनिश्चित करने के लिए था कि समय की और बर्बादी न हो.”
झा ने यह दावा भी किया कि यह पता चलने के बाद कि दो सेट हैं, उन्होंने स्कूलों से एसबीआई प्रश्न पत्र वितरित करने के लिए कहा था. उन्होंने कहा कि भ्रम की स्थिति थी क्योंकि केंद्रों पर बक्से आपस में मिल गए थे, जबकि एनटीए ने उन्हें एक विशेष कोड वाले प्रश्न पत्र वितरित करने के लिए कहा था.
संजीव कुमार ने कहा कि “भ्रम” के कारण परीक्षा का लगभग 25 मिनट का समय बर्बाद हुआ, इसलिए केंद्र ने उम्मीदवारों को अतिरिक्त 30 मिनट देने का फैसला किया. “हमने खुद ही ऐसा करने का फैसला किया. कोई भी छात्र यह शिकायत नहीं कर सकता कि विजया स्कूल में समय की बर्बादी हुई.”
हरदयाल पब्लिक स्कूल के अधीक्षकों ने भी दोनों बैंकों से प्रश्न पत्रों के दो सेट एकत्र किए थे. हरदयाल पब्लिक स्कूल की प्रिंसिपल अनुराधा यादव ने रिपब्लिक वर्ल्ड को बताया था, “हमने प्रश्नपत्रों के दो सेट एकत्र किए क्योंकि एनटीए ने हमें ऐसा करने के लिए कहा था.”
जब न्यूज़लॉन्ड्री ने यादव से संपर्क किया तो उन्होंने यह कहते हुए टिप्पणी करने से इनकार कर दिया कि उन्होंने काफी मीडिया साक्षात्कार दे दिए हैं.
‘एनटीए के पास राज्य में कोई कार्यालय भी नहीं है’
परीक्षा समाप्त होने के बाद शहर के समन्वयक, स्कूल अधीक्षक और पर्यवेक्षकों को एनटीए से ऑनलाइन फीडबैक फॉर्म मिलता है.
झा ने कहा कि सारी जानकारी एनटीए के साथ “उसी दिन साझा की गई थी. मेरी ड्यूटी खत्म हो गई थी. लेकिन अब कार्रवाई करना उनकी जिम्मेदारी है.”
ललित कुमार ने दावा किया, “मैंने एनटीए को लिखा था कि परीक्षा केंद्र पर समन्वय बेहतर हो सकता था… मैंने यह भी जानकारी साझा की थी कि किस रोल नंबर पर कौन सा प्रश्न पत्र वितरित किया गया था.” उन्होंने कहा कि एजेंसी से उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. “शायद चीजें बेहतर हो सकती थीं, अगर एनटीए ने खुद हमें प्रशिक्षित किया होता. वे इस परीक्षा का आयोजन करते हैं, उन्हें लोगों को खुद ही प्रशिक्षित करना चाहिए.”
संजीव कुमार ने भी इसी तरह की चिंता जताई. “हमने अपने स्कूल में सीबीएसई से लेकर राज्य तक कई परीक्षाएं आयोजित की हैं… लेकिन वे सभी हमारे साथ समन्वय करने के लिए अपने अधिकारी भेजते हैं. प्रत्येक केंद्र पर, वे कम से कम दो से तीन समन्वयक भेजते हैं. वे पर्यवेक्षकों के रूप में राजपत्रित अधिकारियों और रैंडम जांच के लिए उड़न दस्ते भेजते हैं. लेकिन नीट परीक्षा के लिए ऐसा कुछ नहीं हुआ. पर्यवेक्षक भी स्थानीय ही थे.”
“सीबीएसई परीक्षाओं के मामले में, उनके पास क्षेत्रीय कार्यालय हैं. हम अपने प्रश्नों के लिए कभी भी उनसे संपर्क कर सकते हैं. लेकिन एनटीए के पास राज्य में कार्यालय भी नहीं हैं. इसके अलावा, अन्य परीक्षाओं में, एजेंसियां जिला मजिस्ट्रेट के साथ समन्वय करने के लिए नोडल अधिकारी भेजती हैं. वे हर चीज को समझाने के लिए कई बैठकें आयोजित करते हैं.”
हरियाणा के एक जिला आयुक्त ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, “कई परीक्षाओं में, जैसे कि हेड कांस्टेबल के लिए भी, राज्य के मुख्य सचिव सभी जिला मजिस्ट्रेटों के साथ उचित प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए बैठकें करते हैं. क्योंकि अगर जिम्मेदारी किसी सरकारी कर्मचारी पर है, तो उसका पूरा करियर दांव पर है. लेकिन एनटीए ने इन सभी प्रक्रियाओं को दरकिनार कर दिया और पूरी जिम्मेदारी एक निजी स्कूल पर डाल दी. उनकी जवाबदेही क्या है?”
‘कोई बैठक नहीं’ और बदली रणनीति
एक सिटी कोऑर्डिनेटर नीट-यूजी के लिए शहर में सभी परीक्षा-संबंधी गतिविधियों की निगरानी करता है. वह एनटीए और उस शहर के सभी परीक्षा केंद्रों के बीच मुख्य कड़ी होता है, उसके पास परीक्षा से संबंधित सभी जानकारी होती है, वह अधीक्षकों और पर्यवेक्षकों के प्रबंधन, मार्गदर्शन और प्रशिक्षण के लिए जिम्मेदार होता है और सभी केंद्रों का प्रबंधन करता है. परीक्षा के शांतिपूर्ण संचालन को सुनिश्चित करने के लिए स्थानीय पुलिस और जिला मजिस्ट्रेट या डिप्टी कमिश्नरों के साथ समन्वय करना भी उनका कर्तव्य है. एक समन्वयक लगभग 30 केंद्रों का प्रबंधन करता है, और अधिक केंद्रों के मामले में कई समन्वयक होते हैं. आमतौर पर, एक केंद्र की क्षमता 500 से अधिक छात्रों की होती है.
एनटीए यह जिम्मेदारी उस शहर में स्थित किसी निजी स्कूल या किसी संस्थान के प्रमुख को सौंपता है. और यह अन्य परीक्षाओं के संचालन से अलग है.
झज्जर में अन्य परीक्षाओं को संभालने वाले हरियाणा सरकार के एक अधिकारी ने कहा, “सीबीएसई से लेकर हरियाणा बोर्ड स्कूल शिक्षा, हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा और यहां तक कि राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान की परीक्षाओं तक, ये सभी संबंधित एजेंसियां परीक्षा की निगरानी और जिला मजिस्ट्रेट के साथ समन्वय करने के लिए अपने अधिकारियों को भेजती हैं. ज्यादातर मामलों में उनके द्वारा भेजे गए अधिकारी वरिष्ठ सरकारी कर्मचारी होते हैं, जिनकी नौकरी कुछ भी गलत होने पर दांव पर होती है. लेकिन एनटीए स्थिति की निगरानी के लिए अपने स्थायी अधिकारियों को नहीं भेजता है… पूरी जिम्मेदारी निजी स्कूलों के प्रिंसिपलों पर है. उन पर हर चीज की निगरानी करने का पूरा भरोसा कैसे किया जा सकता है?”
एनटीए ने दोबारा परीक्षा के लिए रणनीति बदल दी.
एजेंसी ने जिला अधिकारियों द्वारा नियुक्त दो विशेष अधिकारियों की मांग की. वे ब्लॉक विकास एवं पंचायत अधिकारी युद्धवीर और नायब तहसीलदार कीर्ति थे.
पुनः परीक्षा के दो केंद्रों में से एक केंद्रीय विद्यालय के अधीक्षक मित्ता अधिकारी ने कहा, "जब हम प्रश्न पत्र लेने गए थे, तब ये विशेष अधिकारी हमारे वाहनों का पीछा कर रहे थे." यहां तक कि सिटी कोऑर्डिनेटर भी एनटीए का ही एक कर्मचारी था. अधिकारी ने कहा, "वीएन झा की इसमें कोई संलिप्तता नहीं थी... कोऑर्डिनेटर एनटीए दिल्ली से थे. एनटीए और शिक्षा मंत्रालय के कम से कम सात अन्य अधिकारी भी थे."
दो विशेष अधिकारियों ने एक परीक्षा केंद्र के प्रिंसिपल के साथ झज्जर के डिप्टी कमिश्नर कैप्टन शक्ति सिंह के नेतृत्व में, प्रश्न पत्र एकत्र करने और वितरित करने की व्यवस्था और प्रक्रिया की समीक्षा की.
डिप्टी कमिश्नर सिंह ने कहा कि मई में जब पहली बार परीक्षा आयोजित की गई थी, तब उनके कार्यालय को प्रश्नपत्रों के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. "एनटीए सीधे अपने सिटी कोऑर्डिनेटर के साथ सभी जानकारी साझा करता है. हमारा काम सिर्फ़ उन्हें मेडिकल सहायता या धारा 144 लागू करने जैसी अतिरिक्त सहायता प्रदान करना था, वह भी तब जब उन्हें इसकी ज़रूरत हो.”
हालांकि, केंद्रों पर पुलिसकर्मी तैनात थे, लेकिन डिप्टी कमिश्नर सिंह ने कहा कि पहली परीक्षा से पहले एनटीए का कोई प्रतिनिधि उनसे मिलने नहीं आया. “पहली बार ऐसे कोई विशेष अधिकारी नियुक्त नहीं किए गए.”
झा ने यह भी कहा कि पहली बार ऐसी कोई बैठक नहीं हुई “क्योंकि हमने उन्हें (सिंह को) एक पत्र भेजा था कि हमें पुलिस अधिकारियों की ज़रूरत है. इसलिए हम उनसे नहीं मिले.”
न्यूज़लॉन्ड्री ने एनटीए कार्यालय को उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध दो संपर्क नंबरों पर कई बार कॉल किया. उन्होंने हमें जवाब पाने के लिए एनटीए के ओखला स्थित दिल्ली कार्यालय में आने को कहा. जब न्यूज़लॉन्ड्री एनटीए के कार्यालय में गया, तो हमें अंदर जाने की अनुमति नहीं दी गई, क्योंकि गार्ड ने हमें बताया कि मीडिया को परिसर में प्रवेश की अनुमति नहीं है. एनटीए की वेबसाइट पर इसके सदस्यों के कार्यालयों के संपर्क विवरण नहीं हैं. न्यूज़लॉन्ड्री ने एजेंसी को एक ईमेल भेजा है. जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट किया जाएगा.
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