शान नालंदा की, नाश NTA का और सत्यानाश मीडिया का

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
Date:
   

पिछला पूरा हफ्ता शिक्षा, परीक्षा और ज्ञानबाजी के प्रकोप में रहा. इस प्रकोप की चपेट में देश के प्रधानमंत्री से लेकर फिल्मसिटी सोलह ए की बैरकें भी रही. हुड़कचुल्लुओं ने पहले से ही चल रही एक यूनिवर्सिटी को हिंदुत्व के पुनरोत्थान का प्रस्थान बिंदु बना दिया. इसे आठ सौ सालों का सबसे स्वर्णिम दिन घोषित कर दिया. 

इसके अलावा भी हफ्ते में बहुत कुछ हुआ. यूजीसी की नेट परीक्षा रद्द हो गई. इसकी सीबीआई जांच होगी. सीएसआईआर यूजीसी की नेट परीक्षा भी स्थगित हो गई. नीट की पीजी परीक्षा भी स्थगित हो गई. 

वहीं, एक एक वाकया दी लल्लनटॉप पर दरपेश हुआ. नाना पाटकर का इंटरव्यू था और नाना ने राजदीप सरदेसाई को रगड़ दिया. 

आपका ध्यान नाना की टिप्पणी पर गया होगा. पर हम आपको कुछ औऱ दिखाना चाहते हैं. आपको नाना की टिप्पणी के बाद बजने वाली तालियों पर गौर करना चाहिए. वो तालियां जिन्हें एकायक रोकने की जरूरत सौरभ द्विवेदी को महसूस हुई.

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