इंडिया टुडे ने स्टिंग ऑपरेशन में दिखाया था कि 2016 में कर्नाटक के कई विधायकों ने राज्यसभा चुनाव में वोट देने के लिए रिश्वत ली थी.
सुप्रीम कोर्ट ने पत्रकार अरुण पुरी, राजदीप सरदेसाई और शिव अरूर के खिलाफ मानहानि के मुकदमे पर रोक लगा दी है. यह मुकदमा 2016 में एक कथित ‘कैश फॉर वोट’ घोटाले को उजागर करने वाले स्टिंग ऑपरेशन के खिलाफ किया गया था.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट में दिखाया गया था कि कर्नाटक के कुछ विधायकों ने 2016 के राज्यसभा चुनाव में वोट देने के लिए रिश्वत ली थी.
तब इस मामले में राज्य के पूर्व विधायक बीआर पाटिल ने पुरी, सरदेसाई और अरूर के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दायर किया था.
बताते चलें कि, दिसंबर 2023 में कर्नाटक हाईकोर्ट ने बचाव पक्ष की याचिका खारिज करते हुए मामले की सुनवाई पर रोक लगाने से मना कर दिया था. इसके बाद, फैसले को चुनौती देते हुए तीनों पत्रकारों ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की पीठ ने मामले की सुनवाई की. अदालत ने कर्नाटक सरकार से जवाब मांगते हुए आपराधिक मानहानि मामले की सुनवाई पर रोक लगा दी.
वरिष्ठ वकील एस मुरलीधर पुरी, सरदेसाई और अरूर की तरफ से अदालत में पेश हुए थे.
हाई कोर्ट के 18 दिसंबर के आदेश को न्यायमूर्ति आर नटराज ने पारित किया था जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी.
अपने फैसले में न्यायमूर्ति नटराज ने कहा था कि कार्यक्रम दिखाने वाले पत्रकारों ने फर्जी ग्राफिक्स दिखाए थे और बीआर पाटिल के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां की थीं. अदालत ने माना था कि आरोपियों ने प्रथम दृष्टया शिकायतकर्ता की मानहानि करने के लिए एक फर्जी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड बनाया था.
बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक, सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि, “प्राधिकरणों को पुरी की उपस्थिति के लिए तब तक जबरदस्ती नहीं करनी चाहिए जब तक रिपोर्ट दिखाने में उनकी भूमिका स्थापित न कर दी जाए. मामले में अभी और जांच की जरूरत है.”