लिलिपुटियन नेताओं के बीच गुलीवर जैसे गांधी और G-20 में मीडिया

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
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जी-ट्वेंटी सम्मेलन का आयोजन सफल रहा. नेता महात्मा गांधी की समाधि पर लाइन लगाकर फूल चढ़ाने पहुंचे. प्रधानमंत्री ने फिर से ऐलान किया कि डेमोक्रेसी उनकी रग-रग में बहती है, क्योंकि उनका संबंध मदर ऑफ डेमोक्रेसी से है. लेकिन प्रधानमंत्री की लोकतंत्र की इस अवधारणा में मीडिया अनुपस्थित है. जाने वो कौन सा लोकतंत्र है जहां मीडिया से बातचीत की मनाही है. भारत में मीडिया को प्रतिबंधित करने का जवाब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हनोई में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दिया.

जी-ट्वेंटी के सफल आयोजन के बाद उम्मीद थी कि दुनिया भर के नेता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मीडिया से बातचीत करेंगे लेकिन ऐसा हो न सका. सारे नेताओं को उनके घर रवाना करने के बाद प्रधानमंत्री ने देश के मीडिया से बात करने की बजाय उसे दर्शन देने का निर्णय किया. उनके दर्शन पाकर दरबारी मीडिया कृतकृत्य हुआ. प्रधानमंत्री को भरोसा है कि दरबारी मीडिया उनकी जेब में है. यह मीडिया उनसे सवाल पूछने की बजाय उनकी मिजाजपुर्सी पसंद करता है.

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