दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.
इस हफ्ते टिप्पणी में धृतराष्ट्र-संजय संवाद की वापसी. हस्तिनापुर की हवा में उत्सव की महक थी. ट्वेंटी-ट्वेंटी टाइप कोई धूम-धड़ाका आयोजित हो रहा था. लेकिन लोगों को बताया गया कि ट्वेंटी-ट्वेंटी नहीं जी-ट्वेंटी होगा. इसी माहौल में धृतराष्ट्र और संजय दरबार पहुंचे थे.
पिछले ही हफ्ते फिल्मसिटी 16-ए की बैरकों में टेलीविजन मीडिया के ‘पहले आओ, पहले पाओ’ पुरस्कारों की मंडी लगी. इसकी टैग लाइन थी- ‘झोला भर के पैसा लाओ, बोरा भरके अवार्ड ले जाओ.’ किलो के भाव बिकी ट्रॉफियों में 'जहरीले ऑफ द ईयर अवार्ड' और 'डेलुलू लैंड अवार्ड' के विजेता भी घोषित किए गए.
दूसरी तरफ 31 अगस्त को ब्रिटिश अख़बार ‘द गार्डियन’ और ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ ने ओसीसीआरपी के दस्तावेज़ों के आधार पर एक खबर छापी. इसमें दावा किया कि टैक्स हैवेन मॉरीशस में स्थित दो फंड- इमर्जिंग इंडिया फोकस फंड और ईएम रीसर्जेंट फंड ने अडाणी ग्रुप की चार कंपनियों में मोटा पैसा लगाया. इसी तरह एक और फंड बरमूडा स्थित ग्लोबल अपॉर्च्युनिटीज फंड ने भी अडाणी समूह में पैसा लगाया.
इन फंड्स में पैसा लगाने वाले दो चेहरे भी सामने आए. इनमें से एक यूएई का नासिर अली शाबान अहली और दूसरा ताइवान का चांग चुंग लिंग है. 2017 तक नासिर अहली और चांग चुंग लिंग ने अडाणी समूह में कुल 3,550 करोड़ रुपये का निवेश किया. इनके संबंध गौतम अडानी के भाई विनोद अडानी से हैं. पूरी टिप्पणी ध्यान से देखिए और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब कीजिए.
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