मुस्लिम छात्रों पर ‘सांप्रदायिक टिप्पणी’ करने वाली शिक्षिका पर अब प्राथमिकी दर्ज

बच्चों के परिवार ने कहा कि अगर विद्यालयों में यही हाल रहा तो हम अपने बच्चों को पढ़ने के लिए कैसे भेजेंगे?

WrittenBy:प्रत्युष दीप
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दिल्ली के एक सरकारी विद्यालय की शिक्षिका के खिलाफ कक्षा में ‘सांप्रदायिक टिप्पणी’ करने के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की गई है. इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के एक निजी विद्यालय की शिक्षिका द्वारा एक मुस्लिम बच्चे को उसके सहपाठियों से पिटवाने का वीडियो सामने आया था, जिसकी खूब आलोचना हुई थी. 

फिलहाल, चारों बच्चों के परिवार की शिकायत के बाद शिक्षिका हेमा गुलाटी के खिलाफ गांधी नगर पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज की गई है. भारतीय दंड संहिता की धारा 153A (दो समुदायों के बीच धर्म के आधार पर नफरता फैलाना), 295A और 298A (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के लिए सविचार शब्दों का प्रयोग करना) के तहत मामला दर्ज किया गया है. 

9वीं कक्षा के चार छात्रों ने गुलाटी पर आरोप लगाया कि बीते बुधवार को उसने चंद्रयान-3 की सफलता पर बात करते हुए मुस्लिम छात्रों का अपमान किया. 

छात्रों के मुताबिक, शिक्षिका ने उन्हें कहा, “कुरान में लिखी गई सारी बातें गलत हैं. तुम लोगों के दिल में ज़रा भी हमदर्दी नहीं है. तुम लोग मासूम जानवर को मारते और खाते हो. देश विभाजन के समय तुम लोग पाकिस्तान क्यों नहीं गए? आज़ादी की लड़ाई में तुम्हारे समुदाय का कुछ भी योगदान नहीं है.”

न्यूज़लॉन्ड्री ने विद्यालय के प्रधान अध्यापक और शिक्षिका गुलाटी से बात करने की कोशिश की, लेकिन दरवाजे पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने अंदर नहीं जाने दिया. 

वहीं, पुलिस ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया. पुलिस के मुताबिक, मामले की जांच की जा रही है. चारों परिवार के शिकायतकर्ताओं का कहना है कि पुलिस ने उन्हें शिकायत की प्रति भी देने से मना कर दिया.  

डीसीपी रोहित मीणा ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया कि यह एक सरकारी स्कूल है. बाल कल्याण अधिकारी और काउंसलर मिलकर पीड़ित एवं उसके परिवार की मदद में जुटे हुए हैं. 

पीड़ितों में से एक की बहन ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि उन्होंने पिछले सप्ताह ही विद्यालय से इस मामले पर बात की, लेकिन जब कोई कार्रवाई होती नहीं दिखी तो उन्हें पुलिस के पास जाना पड़ा. पीड़ित छात्रों के परिवार ने कहा कि प्रधान अध्यापक और शिक्षिका ने गलती के लिए माफी मांगी, लेकिन वे माफी नहीं कार्रवाई चाहते हैं. 

एक अन्य छात्र के एक रिश्तेदार ने कहा, “हम चाहते हैं कि किसी भी स्कूल में ऐसे शिक्षक न रहें. ऐसा हाल रहा तो हम अपने बच्चों को स्कूल कैसे भेजेंगे.” 

एक और छात्र की मां ने कहा कि उसे घटना के बारे में तब पता चला जब स्कूल के बाद उसका बेटा अजीब से सवाल करने लगा.

इस विद्यालय से पढ़ चुकी हुमा अंसारी इस वाकये पर हैरानी जताती हैं. वे कहती हैं, “यहां के ज्यादातर लोगों ने इसी विद्यालय से पढ़ाई की है. कभी भी हमें ऐसी घटना देखने को नहीं मिली थी.”

यहीं से पढ़ाई कर चुकी फरदीन बताती हैं, “जब मैं यहां थी तो मेरे साथ इस तरह की कोई घटना नहीं हुई. मुझे नहीं पता कि अब विद्यालय को क्या हो गया है.” 

इसी दौरान परिवार के सदस्यों का दावा है कि विद्यालय के अधिकारियों ने बच्चों से मंगलवार को इस मामले में सवाल किया.

पीड़ित छात्र की एक बहन ने आरोप लगाया, “मेरे भाई ने मुझे बताया कि आज वरिष्ठ अधिकारी विद्यालय में आए थे और इन चार छात्रों से पूछा गया कि शिक्षिका के इस व्यवहार से सिर्फ इन्हीं लोगों को क्यों चोट पहुंची है?”

बाल अधिकारों के पैरोकार और शिक्षाविद अशोक अग्रवाल न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं कि विद्यालयों में ऐसी घटनाएं तेजी से बढ़ रही हैं. ऐसा सिर्फ एक जगह नहीं हो रहा है, लगभग हर विद्यालय का यही हाल है.

अग्रवाल ने विद्यालयों के वातावरण को हर समुदाय के छात्रों के लिए बेहतर बनाने पर बल दिया. उन्होंने कहा, “कुछ दिन पहले दिल्ली के यमुना क्षेत्र के एक सरकारी विद्यालय के मुस्लिम छात्र ने मुझे बताया कि कैसे हिंदू छात्रों ने उसे डराने के लिए कक्षा में जय श्री राम के नारे लगाए.”

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