फेक न्यूज के लिए दैनिक भास्कर के संपादक को मांगनी होगी बिना शर्त माफी, हाईकोर्ट ने जुर्माना भी लगाया

मद्रास हाईकोर्ट ने संपादक को अख़बार के पहले पन्ने पर शुद्धिपत्र प्रकाशित करने के लिए कहा है. साथ ही कड़ी नसीहत भी दी है. 

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तमिलनाडू में बिहार के प्रवासी श्रमिकों पर हमले को लेकर फर्जी ख़बर प्रकाशित करने के लिए मद्रास हाईकोर्ट ने दैनिक भास्कर के संपादक को कड़ी फटकार लगाई है. लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, संपादक को अदालत और तमिलनाडु के लोगों के सामने बिना शर्त माफी मांगने और इस पर एक शुद्धिपत्र अखबार के प्रकाशनों के पहले पन्ने पर प्रकाशित करने का भी आदेश दिया है.

कोर्ट ने कहा, “याचिकाकर्ता को सभी प्रकाशनों के पहले पेज/होमपेज पर एक शुद्धिपत्र भी प्रकाशित करना होगा, जिसमें कहा जाएगा कि उन्होंने एक फर्जी खबर सत्यता की पुष्टि किए बिना प्रकाशित की है और किसी को भी इसे फॉलो या पोस्ट नहीं करना चाहिए. इसके लिए अदालत और तमिलनाडु की जनता से बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए.”

जस्टिस एडी जगदीश चंद्रा ने सत्यता की पुष्टि किए बिना या मामले की संवेदनशीलता को समझे बिना एक संवेदनशील समाचार प्रकाशित करने की प्रथा की भी निंदा की. 

उन्होंने कहा,  ‘मीडिया और प्रेस को पत्रकारिता से जुड़े सिद्धांतों को अपनाना चाहिए. केवल अपने व्यावसायिक हित को बढ़ावा देने के लिए सनसनीखेज खबरों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय सार्वजनिक हित का ध्यान रखने की जरूरत है. अभिव्यक्ति की आज़ादी के तहत उनके जो कर्त्तव्य हैं, उसका उन्हें अनुपालन करना चाहिए.’

गौरतलब है कि गौरतलब है कि इससे पिछले हफ्ते, अखबार के संपादक प्रसून मिश्रा ने अदालत में अग्रिम जमानत याचिका दायर की थी. जिसमें कहा गया था कि प्रकाशन का दो समूहों के बीच दहशत या दुश्मनी फैलाने का कोई इरादा नहीं था. बाद में उन्हें मामले में अग्रिम जमानत दे दी गई थी.  

इसी मामले पर सुनवाई करते हुए आज कोर्ट ने ये आदेश दिए. 

मालूम हो कि दैनिक भास्कर ने 2 मार्च को ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया था. वीडियो में कहा गया था कि हिंदी में बात करने के लिए तमिलनाडु में बिहारी मजदूरों को निशाना बनाया जा रहा है.  

गौरतलब है कि भास्कर की यह फर्जी खबर तिरुपुर में ट्रेन की पटरियों पर एक प्रवासी श्रमिक की मौत से संबंधित थी. इस घटना के कारण तिरुपुर शहर में भारी विरोध प्रदर्शन हुआ था, जिसकी गूंज बिहार में भी महसूस की गई थी. भाजपा और राजद-जदयू सरकार के बीच इस प्रसंग के कारण राजनीतिक युद्ध शुरू हो गया था.

मामले में उच्च-स्तरीय जांच के बाद, यह साबित करने के लिए कि यह हत्या का मामला नहीं था तमिलनाडु पुलिस को सीसीटीवी फुटेज जारी करना पड़ा  जिसमें साफ दिख रहा था कि हादसे में मरने वाला शख्स पटरियों पर चल रहा था और ट्रेन से टकराकर उसकी मौत हुई. 

तब मीडिया के एक बड़े हिस्से ने इस घटना को प्रवासी श्रमिकों पर हमले के रूप में रिपोर्ट किया. दैनिक भास्कर ने भी इस मामले की सत्यता जाने बिना रिपोर्ट प्रकाशित की. 

न्यूज़लॉन्ड्री ने तमिलनाडु में प्रवासी श्रमिकों पर हमले की अफवाहों का विश्लेषण किया था, जिन्हें मुख्यधारा के मीडिया द्वारा फैलाई अफवाहों भी उल्लेख है. इसके बारे में आप यहां पढ़ सकते हैं. 

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