24 जून को प्रगति मैदान सुरंग में एक कार रोककर लूटपाट करने वाले अपराधियों के चेहरे.
एक ऑनलाइन कंपनी के डिलीवरी एजेंट ने कुछ छोटे, कुछ बड़े आपराधिक इतिहास वाले बेरोजगार युवाओं को जोड़कर इस साल की सबसे सनसनीखेज लूट को अंजाम दिया. लुटियंस दिल्ली के इलाके में यह वारदात 24 जून को दिन दहाड़े की गई. फिल्मी अंदाज में बाइक पर आए युवकों ने एक कार रोकी और लाखों रुपयों से भरा बैग लूट लिया.
अब तक सामने आई जानकारी के मुताबिक क्राइम ब्रांच, चाणक्यपुरी ने आठ लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. इनके नाम हैं- इरफ़ान अली, अनुज मिश्रा, अमित बाला, कुलदीप, प्रदीप, विशाल, उस्मान अली और सुमित छोले. क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के मुताबिक उस्मान अली इस पूरे मामले का मास्टर माइंड है.
मास्टरमाइंड उस्मान अली
25 वर्षीय उस्मान अली का परिवार बुराड़ी के कौशिक एन्कलेव में रहता है. हम जब अली के घर पहुंचे उस वक्त मातम का माहौल था. उस्मान की बहन ने हमें बताया, ‘‘पहले वो ऐमज़ॉन और मिस्सू जैसे शॉपिंग ऐप के लिए डिलीवरी का काम करता था. तीन-चार महीने पहले उसने काम छोड़ दिया. फिर चिकन बेचने का ठेला लगाने लगा. इस बीच वो परिवार से दूर रहने लगा. हमें बताया कि चंदन विहार में कमरा किराये पर लिया था. वह कभी कभार ही घर आता था. और थोड़ी ही देर में निकल जाता था.’’
पास में बैठी उस्मान की 55 वर्षीय मां आशा कहती हैं, ‘‘हमने उसे मारा-पीटा, सब कुछ किया लेकिन वो घर पर रुकता नहीं था. एक दिन मैं उसके किराये वाले कमरे पर भी गई. वहां मुझे देखकर उसके दोस्त और उस्मान अपने कमरे से भाग गए. उसने गलती की है. जुआ खेलकर कर्जे में डूब गया है. इसी वजह से यह सब किया. पहले कर्जा देने वालों को समझ नहीं आया कि वो पैसे कहां से देगा?, लेकिन अब तो कोई पूछने तक नहीं आ रहा.’’
11वीं तक की पढ़ाई करने वाले उस्मान अली के साथ इस वारदात में उसका चचेरा भाई इरफान भी शामिल था. उस्मान को आईपीएल के दौरान सट्टा खेलने की लत लग गई थी. इसमें वह लाखों रुपए हार गया. इससे उसके ऊपर कर्ज हो गया था. कर्जदार तगादा कर रहे थे. कर्ज चुकाने के लिए उसने लूट की प्लानिंग की.
उस्मान के बारे में बुराड़ी थाने के एक अधिकारी कहते हैं, ‘‘छोटे-मोटे मामलों में उसका नाम आया है. लेकिन उस पर कोई केस दर्ज नहीं हुआ. हालांकि, उसका आपराधिक किस्म के लोगों से उठना-बैठना था.’’
उस्मान के साथ उसका चचेरा भाई इरफ़ान अली भी गिरफ्तार हुआ है. आठवीं तक की पढ़ाई करने वाला इरफान, बुराड़ी में ही नाई का काम करता था. यह भी उस्मान की तरह जुए में लाखों रुपए हार गया था. कर्ज के चक्र से निकलने के लिए वह उस्मान के लूट के आइडिया में शामिल हो गया.
क्राइम ब्रांच के अधिकारी न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, ‘‘उस्मान डिलीवरी ब्यॉय का काम कर चुका था. उसे पता था कि चांदनी चौक के कई इलाकों में आंगड़िया के जरिए लाखों रुपए का नकद लेनदेन होता है. आंगड़िया के जरिए कई बार मनीलॉन्ड्रिंग को भी अंजाम दिया जाता है. उस्मान ने ये बात विशाल नाम के अपने एक साथी को बताई. इसके बाद दोनों ने लूट की योजना बनाई और रेकी करने लगे. आठवीं तक पढ़ा विशाल ऑटो ड्राइवर काम काम करता है. उस पर पहले भी चोरी आदि के मामले दर्ज हैं.’’
क्राइम ब्रांच के मुताबिक करीब एक महीना तक यही तीनों (उस्मान, इरफान और विशाल) अपनी योजना पर काम कर रहे थे. फिर इन्होंने प्रदीप से संपर्क किया. उत्तर प्रदेश के बागपत जिले के रहने वाले प्रदीप पर अलग-अलग थानों में 37 मामले दर्ज हैं. इसमें से चार आर्म्स एक्ट के तहत और बाकी लूट और चोरी के हैं.
क्राइम ब्रांच के अधिकारी के मुताबिक, “प्रदीप इस घटना का मुख्य साजिशकर्ता था. वह, फिरौती के एक मामले में 8 साल तक जेल में रहा था और 2 साल पहले ही जेल से रिहा हुआ.’’
प्रदीप ने ही छह और लोगों को इस साजिश में साथ जोड़ा और कुलदीप ने इन्हें हथियार उपलब्ध करवाए.
The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.
Contributeकुलदीप
जहांगीरपुर का रहने वाला 26 वर्षीय कुलदीप कभी ठेले पर सब्जी बेचता था. उसका लंबा आपराधिक रिकॉर्ड है. राजधानी दिल्ली में उसके ऊपर 16 मामले दर्ज हैं. इसमें लूट, छिनैती, चोरी और आर्म्स एक्ट जैसे केस शामिल हैं. इसमें से 10 मामले आदर्श नगर थाने में, पांच जहांगीपुरी थाने में वहीं एक विकासपुरी थाने में दर्ज हैं. दोस्त उसे लुंगड़ के नाम से बुलाते थे.
अन्य आरोपी
इस मामले के एक और आरोपी 26 वर्षीय अनुज मिश्रा, भलस्वा डेयरी का रहने वाला है. प्रदीप के जरिए वह इन लोगों से जुड़ा. घटना के वक़्त एक बाइक को वही चला रहा था. दिल्ली जल बोर्ड में कॉन्ट्रैक्ट के जरिए मैकेनिक का काम करने वाला मिश्रा भी पूर्व में आर्म्स और लूट के मामलों में आरोपी रहा है.
न्यूज़लॉन्ड्री को प्राप्त जानकारी के मुताबिक मिश्रा पर जहांगीरपुरी, आर के पुरम, मॉडल टाउन, आदर्श नगर और महेंद्र पार्क में लूट और आर्म्स एक्ट के तहत पांच केस दर्ज हैं.
एक अन्य आरोपी सुमित छोले भी गिरफ्तार हुआ है. यह भी उस्मान के घर के पास ही कौशिक एन्क्लेव में रहता था. सुमित ने 12वीं तक पढ़ाई की है. यह भी ठेले पर सब्जी बेचने का काम करता था. कभी-कभार शादी-विवाह में वेटर का काम भी करता था. घटना के वक्त यह प्रगति मैदान सुरंग में मौजूद नहीं था लेकिन कई बार रेकी के लिए उस्मान और विशाल के साथ चांदनी चौक गया था.
घटना में शामिल अमित बाला, प्रदीप के जरिए इस लूट में शामिल हुआ. अनपढ़ अमित बाला ही लूट के वक़्त हथियार लिए खड़ा था. बाला इस ग्रुप से लूट से दो दिन पहले ही जुड़ा था. वह उस्मान के बुराड़ी वाले फ्लैट पर इस घटना को अंजाम देने वाले सभी आरोपियों से मिला था. यहीं पर लूट की योजना को अंतिम रूप दिया गया.
साजिश का अड्डा: उस्मान का बुराड़ी स्थित फ्लैट
बुराड़ी के चंदन विहार की 47 नंबर गली में बनी पांच मंजिला इमारत की दूसरी मंजिल पर उस्मान किरायेदार के रूप में रहता था. इसके ज्यादातर कमरों में अभी ताले लटके हुए हैं और मालिक भी यहां नहीं रहते हैं. आसपास के लोग बात करने से कतराते हैं.
उस्मान का कमरा बंद पड़ा था. दरवाजे से झांकने पर कमरे में बिखरा हुआ सामान नजर आता है. जिसे देखकर लगता है कि काफी दिनों से बंद पड़ा है.
इमारत के पास में ही एक दुकान है. जहां उस्मान और उसके साथी अक्सर सिगरेट पीने आते थे. दुकानदार रविंद्र राणा कहते हैं, ‘‘नाम तो मुझे किसी का नहीं मालूम. लेकिन पिछले दस दिनों से यहां भीड़ बढ़ गई थी. तीन चार नए लोग आ गए थे. वे मेरी दुकान पर आते थे, सिगरेट लेते थे और चले जाते थे. एकाध को देखकर शंका होती थी लेकिन कभी सोचा नहीं कि इतने बड़ी घटना को अंजाम देंगे ये लोग.’’
क्राइम ब्रांच के अधिकारी बताते हैं, ‘‘उस्मान के ही कमरे में पूरी साजिश रची गई. इन्होंने तीन स्तर से प्लानिंग की थी. पहले तो कलेक्शन एजेंट के बारे में पूरी जानकारी जुटाई. उसके बाद हथियारों का इंतजाम किया. फिर लूट के दौरान चार लोग आगे गए और बाकियों ने पीछे से ध्यान रखा.’’
विशाल की दिलचस्प कहानी
इन आरोपियों की गिरफ्तारी की दो अलग कहानी हमें क्राइम ब्रांच और बुराड़ी थाने के एक अधिकारी बताते हैं.
बुराड़ी थाने के एक अधकारी बताया कि उन्होंने 24 जून को ही विशाल को गिरफ्तार कर लिया था. उनके मुताबिक इस लूटकांड की जानकारी विशाल ने उन्हें पहले ही दे दी थी. फिर भी पुलिस इस अपराध को रोकने में नाकाम रही.
दरअसल, घटना के एक दिन पहले 23 जून को विशाल जीटीबी अस्पताल इलाज के लिए पहुंचा था. उसे गोली लगी थी. उसने बताया कि सड़क पर दो लोग आपस में बहस कर रहे थे. वह बीच बचाव करने पहुंचा तो उनमें से एक ने गोली मार दी.
गोली का मामला देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने पुलिस को सूचना दे दी. इसके बाद बुराड़ी थाने की पुलिस वहां पहुंची और विशाल से पूछताछ करने लगी. उसकी बातों से पुलिस को शक हुआ. तब पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ शुरू की. तब उसने बताया कि उसे खुद की गलती से गोली लगी है.
बुराड़ी ताने के अधिकारी हमें बताते हैं, ‘‘इस कबूलनामे के बाद हमने विशाल को अवैध हथियार रखने का आरोपी बनाया. पूछताछ में विशाल ने हमें बताया कि वे लोग एक लूट की योजना बना रहे थे. वह अपने साथियों को हथियार देने गया था. इसी दौरान गलती से गोली चल गई और वह घायल हो गया.”
अधिकारी के मुताबिक इसके बाद पुलिस ने उन लोगों को खोजना शुरू किया जो विशाल को लेकर अस्पताल आए थे. सीसीटीवी में उन्हें उस्मान अली दिखा. ये सारी जानकारी हमें 24 जून को मिली लेकिन और उसी दिन इन लोगों ने लूट की घटना को अंजाम दे दिया.”
वे कहते हैं, “25 जून को प्रगति मैदान सुरंग की लूट का वीडियो सामने आने पर हमने उस्मान और अपाचे बाइक की पहचान की. इसके बाद विशाल की लूट वाली कहानी को इस वारदात से जोड़ा. हमने ये सारी जानकारी क्राइम ब्रांच को दे दी. इसके बाद उस्मान की गिरफ्तारी हुई. फिर उस्मान की जानकारी के आधार पर बाकी लोगों की गिरफ्तारी हुई.”
क्राइम ब्रांच की कहानी
हालांकि क्राइम ब्रांच अपनी अलग कहानी बताता है. क्राइम ब्रांच, चाणक्यपुरी के एक सीनियर अधिकारी बताते हैं, ‘‘वायरल वीडियो की तहक़ीकात के दौरान एक जगह हमें उस्मान की तस्वीर दिखाई दी. हमारे एक सोर्स ने बताया कि उस्मान ऐसे मामलों में शामिल रहता है. सोर्स ने हमें यह भी जानकारी दी की उस्मान अभी कश्मीरी गेट पर है. उसके साथ अनुज मिश्रा भी था. दोनों बस लेकर फरार होने वाले थे. उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. इसके बाद हमने कुलदीप को गिरफ्तार किया जो बुराड़ी में ही था.”
अधिकारी बताते हैं, ‘‘हमारी कई टीमें काम कर रही थी. उस्मान की गिरप्तारी के बाद मिली सूचना के आधार पर नॉर्थ क्राइम ब्रांच ने इरफान अली और सुमित छोला को गिरफ्तार किया. फिर नई दिल्ली की टीम ने प्रदीप और अमित बाला को गिरफ्तार किया. विशाल को नॉर्थ ईस्ट वाली टीम ने गिरफ्तार किया. वह इस मामले के बारे में सब जानता था.’’
क्राइम ब्रांच के एक अधिकारी के मुताबिक घटना के वक़्त स्कूटी पर मौजूद दो लोग जिनके नाम सुहैल और बुरारी है, अभी भी फरार हैं, उनकी तलाश जारी है.
दिल्ली में बिगड़ती कानून-व्यवस्था
इस मामले को सुलझाकर दिल्ली पुलिस काफी उत्साह में नज़र आ रही है, लेकिन ये लूट की घटना बताती है कि दिल्ली में अपराध की स्थिति चिंताजनक है. राजधानी में बढ़ती आपराधिक घटनाएं इसकी गवाह हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2023 में 27 जून तक तक दिल्ली में हत्या के 260 मामले दर्ज किए गए हैं, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 240 मामले दर्ज हुए थे. इसी अवधि में 3,700 चेन स्नैचिंग और 740 डकैती के मामले भी सामने आए. वाहन चोरी के मामलों में दिल्ली के हालात काफी बुरे हैं. यहां हर दिन 105 से ज़्यादा गाड़ियां चोरी होती हैं.
प्रगति मैदान सुरंग की लूट के मामले में जो लोग गिरफ्तार हुए हैं. उसमें से ज़्यादातर का आपराधिक इतिहास है.
General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.
Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?