भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ इस साल पत्रकारिता में उत्कृष्टता के लिए दिए जाने वाले रामनाथ गोयनका पुरस्कार समारोह में मुख्य अतिथि थे. इस अवसर पर उन्होंने मजाक में कहा था कि उनके स्टाफ ने उन्हें हिदायत दी है कि वह ट्विटर न देखें क्योंकि वहां उनकी काफी ट्रोलिंग होती है. जस्टिस चंद्रचूड़ पहले भी ऐसा कह चुके हैं.
मार्च में उन्होंने कहा था कि जज सोशल मीडिया पर होने वाली ट्रोलिंग से अछूते नहीं हैं. मार्च में ही 13 सांसदों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर बताया था कि कैसे मुख्य न्यायाधीश पर एक "ट्रोल आर्मी द्वारा हमला किया जा रहा है, जो संभवतः महाराष्ट्र में सत्ताधारी पार्टी के प्रति सहानुभूति रखते हैं." जस्टिस चंद्रचूड़ तब शिवसेना के विभाजन का मामला सुन रहे थे.
इस पत्र को भेजने वाले सांसदों में राघव चड्ढा (आम आदमी पार्टी), प्रियंका चतुर्वेदी (शिवसेना-उद्धव), जया बच्चन (समाजवादी पार्टी) और दिग्विजय सिंह (कांग्रेस) आदि शामिल थे. जिन्होंने अपराधियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की थी.
तो क्या इस तरह की कोई ट्रोल आर्मी मौजूद है?
न्यूज़लॉन्ड्री ने जस्टिस चंद्रचूड़ के खिलाफ होने वाली ट्रोलिंग को समझने के लिए, मिशिगन यूनिवर्सिटी के शेरिल अग्रवाल और जॉयजीत पाल के सहयोग से 1 जनवरी से 20 अप्रैल तक के आंकड़ों का विश्लेषण किया.
हमने उन ट्वीट्स को खोजा जो कि इनमें से किसी हैशटैग के साथ किए गए थे: #NotMyCJI, #CJIDYChandrachud, #CJI और #Chandrachud, साथ ही उन ट्वीट्स को भी जिनमें "चंद्रचूड़" शब्द शामिल था.
इससे हमें 7,53,848 ट्वीट्स का एक डेटासेट मिला, जिनमें से 1,16,669 मूल पोस्ट थे, जिसका अर्थ है कि वे रीट्वीट नहीं थे. कम से कम 268 ट्वीट्स को पांच बार कॉपी-पेस्ट किया गया- जो दर्शाता है कि यह संगठित रूप से किए गए थे.
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