कर्नाटक चुनाव: कांग्रेस की जीत, दक्षिण से भाजपा का सफाया और जेडीएस की सिमटती जमीन

2024 में होने वाले आम चुनावों का सेमीफाइनल माने जा रहे इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 135 सीट, भाजपा को 66 सीट और जेडीएस को मात्र 19 सीटों पर ही जीत मिली है. 

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कर्नाटक के चुनावी परिणाम आ चुके हैं. कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिल चुका है तो वहीं भारतीय जनता पार्टी को इस बार जनता ने विपक्ष में बैठा दिया है. वहीं, किंगमेकर का सपना पाले बैठी जनता दल सेक्युलर (जेडीएस) के न सिर्फ सपने टूटे हैं बल्कि राजनीतिक जमीन में भी सिमट गई है.  2024 में होने वाले आम चुनावों का सेमीफाइनल माने जा रहे इन विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को 135 सीट, भाजपा को 66 सीट और जेडीएस को मात्र 19 सीटों पर ही जीत मिली है. वहीं दो सीटों पर निर्दलीय विधायकों को जीत मिली है तो अन्य दो में से एक कल्याण राज्य प्रगति पक्ष तो दूसरी सर्वोदय कर्नाटक पक्ष ने जीती है. वोट शेयर की बात करें तो कांग्रेस को 42.9 फीसदी, भाजपा को 36 फीसदी और जेडीएस को 13.29 फीसदी वोट प्राप्त हुए हैं.

गौरतलब है कि कर्नाटक के विधानसभा चुनाव इस बार काफी रोमांचक और कड़े मुकाबले वाले थे. सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी जहां शुरुआत में कमजोर नजर आ रही थी वहीं कांग्रेस के शुरू से हौसले बुलंद थे. हालांकि, इस बीच कांग्रेस की ओर से जारी चुनावी घोषणापत्र के एक वादे ने उन्हें विवादों में ला दिया. साथ ही भाजपा को जैसे संजीवनी सी मिल गई. बजरंग दल पर बैन लगाने की बात को भाजपा घर-घर तक पहुंचाने के लिए दिन रात मेहनत करने लगी थी. इसके बाद से माना जाने लगा था कि कांग्रेस को इसका नुकसान उठाना होगा और शायद वह सत्ता तक पहुंच भी न पाए. लेकिन अब परिणाम साफ हो चुके हैं.  आइए जानते हैं विधानसभा की प्रमुख सीटों के परिणाम. 

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कांग्रेस के दिग्गजों का हाल

सिद्धारमैयाः कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री ने इस बार वरुणा सीट से चुनाव लड़ा. सन 1983 से लेकर 2018 तक सिद्धारमैया कुल 11 चुनाव लड़ चुके हैं, जिसमें से 8 जीते हैं और 3 में उनको हार का सामना करना पड़ा है. अब एक बार फिर सिद्धारमैया को जीत मिली है. उन्होंने भाजपा के वी. सोम्मना को 46 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है. 

डीके शिवकुमार: कर्नाटक कांग्रेस के प्रमुख का ये 8वां चुनाव था. जिसमें उन्होंने कनकपुरा की सीट से जनता दल सेक्युलर के बी. नागाराजू को करीब सवा लाख वोटों से मात दी है. शिवकुमार अब तक के अपने राजनीतिक कार्यकाल में सन 1989 से लेकर अब एक भी चुनाव नहीं हारे हैं.  

जी परमेश्वराः कांग्रेस के इस दिग्गज ने इस बार कोटागिरी सीट से चुनाव लड़ा. वे सन 1989 से 2018 तक कांग्रेस पार्टी के तमाम पदों पर कार्यरत रह चुके हैं. उन्होंने जनता दल सेक्युलर के पीआर सुधाकर लाल को 14 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी है. 

सिद्धारमैया (दाएं), जी. परमेश्वरा (मध्य) और डीके शिवकुमार (बाएं)

एमबी पाटिल:  बाबलेश्वर सीट से चुनाव लड़ने वाले इस कांग्रेसी दिग्गज भाजपा के विजयकुमार पाटिल को 15 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है.  पाटिल ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1991 में की थी. वे साल 2013 में सिद्धारमैया की सरकार में इरीगेशन मंत्रालय संभाल रहे थे. साथ ही वे 2018 में कुमार स्वामी कैबिनेट में भी गृहमंत्री रहे हैं.  

प्रियंक खड़गे: कांग्रेस अध्यक्ष मलिकार्जुन खड़गे के बेटे के मुकाबले पर सबकी नजर थी. उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के मणिकांता राठौर को चित्तापुर सीट से चित कर दिया है. वे 13 हजार से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते हैं. प्रियंक ने राजनीति में कदम 2009 में रखा था. हालांकि, उन्हें पहली बार हार मिली थी. वह 2013 में हुए विधानसभा चुनावों में जरूर जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे.  

ईश्वर खंडारेः ये खंडारे का तीसरा चुनाव है. इस बार भी उन्होंने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी को मात दी है. उन्होंने प्रकाश खंडारे को भालकी सीट से 27 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी है.  खंडारे ने पहली बार 2004 में चुनाव लड़ा था. इसके बाद 2008 में भी में उन्होंने भाजपा के प्रत्याशी को हराया था.  

दिनेश गुंडू रावः कांग्रेस के इस दिग्गज की ये जीत बड़ी दिलचस्प है. गांधीनगर सीट से वे मात्र 105 वोट से भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार के खिलाफ जीते हैं. राव ने अपना पहला चुनाव 1999 में लड़ा था. ये उनकी छठी जीत है. वे इससे पिछले सारे चुनाव जीतने में कामयाब हुए हैं.  

विनय कुलकर्णीः इन्हें कांग्रेस ने धारवाड़ सीट से उम्मीदवार बनाया था. उन्होंने भाजपा के अमृत अयप्पा देसाई को 18 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी है.  

ईश्वर खंडारे (बाएं), प्रियंक खड़गे (बाएं से दूसरे), बाबूराव चिंचानसुर (बाएं से तीसरे) और दिनेश गुंडु राव (दाएं)

बाबूराव चिंचानसूरः मार्च में ही भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने वाले बाबूराव को यहां अपेक्षित सफलता नहीं मिली. उन्हें जनता दल सेक्युलर के उम्मीदवार शरण गौड़ा से गुरमिकाल सीट से करीब ढाई हजार वोटों से हार मिली. बाबूराव अब तक 4 चुनाव लड़ चुके हैं. उन्हें 2018 के भी हार का सामना करना पड़ा था. तब उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था. 2022 में बीजेपी ने उनको एमएलसी का टिकट दिया था. जिसमें वे जीत गए थे. हालांकि, बाद में मार्च 2023 में चुनावों से ऐन पहले उन्होंने भाजपा को छोड़ कांग्रेस का हाथ पकड़ लिया था.  

बीबी चिम्मनकट्टीः बदामी सीट से चुनाव लड़ रहे इस कांग्रेसी दिग्गज ने भाजपा उम्मीदवार एसटी पाटिल को 9 हजार से ज्यादा वोट से हराया है. चिम्मनकट्टी 1978 से 2013 तक कुल 5 बार बदामी सीट से चुनाव लड़ चुके हैं. हालांकि, साल 2018 में सिद्धारमैया के इस सीट से लड़ने के चलते उन्हें यहां से चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला था.  

मेटी हुल्लप्पा: बागलकोट सीट से उन्होंने भाजपा उम्मीदवार वीरभद्र (वीरन्ना) को करीब 6 हजार वोट से हराया है. उनका यह तीसरा चुनाव था. इससे पहले वे 2013 में जीत पाने में कामयाब हो गए थे तो वहीं 2018 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. 

पी रवि कुमार गौड़ा ने मांड्या सीट से जनता दल सेक्युलर के बी. आर. रामचंद्र को 2 हजार से ज्यादा वोट से हराया है. इससे पहले वे साल 2019 में भी चुनाव जीत चुके हैं.  

ए आर कृष्णमूर्ति ने भाजपा के एन. महेश को करीब 60 हजार से ज्यादा वोट से मात दी है.

 भाजपा के प्रमुख चेहरे

भास्कर राव (बाएं), सीटी रवि (मध्य) और एल सी नागराज (दाएं)

बासवराज बोम्मईः येदियुरप्पा के बाद साल 2021 में प्रदेश की बतौर मुख्यमंत्री कमान संभालने वाले बोम्मई ने शिग्गांव से जीत हासिल कर ली है. उन्होंने कांग्रेस के पठान यासिर अहमद खान को 35 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है.  बोम्मई पहली बार 1998 में विधायक चुने गए थे. इसके बाद वे 2044 का चुनाव जीत और फिर 2008 में जनता दल यूनाइटेड छोड़कर उन्होंने भारतीय जनता पार्टी का थामन दाम लिया. 

विजयेंद्र येदियुरप्पाः पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियरप्पा के बेटे और उनकी राजनीतिक विरासत के उतराधिकारी विजयेंद्र ने अपने पहले चुनाव में ही जीत हासिल कर ली है. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार एसपी नागराज गौड़ा को 11 हजार से ज्यादा वोट से हराया है. विजेंद्र भारतीय जनता युवा मोर्चा कर्नाटका के जनरल सेक्रेटरी भी रह चुके हैं. 

आर अशोकाः पदमनाभा नगर से चुनाव लड़ रहे भाजपा के इस दिग्गज ने कांग्रेस के रघुनाथ नायडू को 55 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है. 2008 में इन्हें भारतीय जनता पार्टी ने स्वास्थ्य मंत्री बनाया था. 2022 में उन्हें भाजपा ने प्रदेश का उप-मुख्यमंत्री भी बनाया था.   

वी सोमन्नाः भाजपा के इस दिग्गज ने चामराजनगर और वरुणा सीट से चुनाव लड़ा. चामराजनगर सीट से उन्हें 7533 वोट से हार का सामना करना पड़ा है और वरुणा सीट से भी वे कांग्रेस के दिग्गज सिद्धारमैया से 46 हजार से ज्यादा वोटों से हार गए हैं. वी सोमन्ना अब तक 5 बार चुनाव लड़ चुके हैं और वह सन 1983 से सक्रिय राजनीति में है. 

सीटी रविः भाजपा के इस दिग्गज को कांग्रेस के एचडी तमैया से करीब 6 हजार वोटों से हार का सामना करना पड़ा है. उन्होंने चिकमंगलूर से चुनाव लड़ा था. इससे पहले वे चार चुनाव लड़ चुके हैं. पहली बार उन्होंने 1999 में चुनाव लड़ा था, जिसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा था. हालांकि, इसके बाद 2004 में सीटी रवि को चिकमंगलूर सीट से जीत हासिल हुई थी. 

बी आर पाटिल: बीजापुर (सिटी) से पाटिल ने कांग्रेस के अब्दुल हमीद को 8 हजार से ज्यादा वोटों से हराया है. उन्होंने अपनी सक्रिय राजनीति की शुरुआत 1994 में थी. वह 2 बार विधायक, दो बार सांसद, संसदीय कमेटी के अलावा पार्टी में विभिन्न पदों का दायित्व निभा चुके हैं.  

जे आर लक्ष्मण राव ने कांग्रेस के केएम कलप्पा को 25 हजार से ज्यादा वोट से हरा दिया है. उन्होंंने गोकक सीट से चुनाव लड़ा था. वे अब तक 4 चुनाव लड़ चुके हैं. 

वर्तुर प्रकाशः भाजपा का यह चेहरा चुनाव में अपनी सीट हार गया. पार्टी ने उन्हें कोलार विधानसभा से उतारा था. यहां कांग्रेस के कोथुर जी मंजुनाथ ने जीत हासिल की है. उन्होंने जेडीएस के सी.एम.आर श्रीनाथ को हजार से अधिक वोटों से हराया है. वहीं, वर्तुर प्रकाश करीब 51 हजार वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे हैं. प्रकाश इससे पहले 2008 और 2013 का विधानसभा चुनाव जीते हैं. वहीं, 2018 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.  

एलसी नागराजः भाजपा के इस विवादित चेहरे को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा. पार्टी ने इन्हें मधुगिरी से टिकट दिया था. जहां जनता दल सेक्युलर और कांग्रेस का दबदबा है.  यहां से कांग्रेस के के.एन. राजन्ना ने जीत हासिल की है. उन्होंने जेडीएस के एमवी वीरभद्रैया को 35 हजार से ज्यादा वोटों से मात दी. वहीं पोंजी स्कीम में रुपये ठगने और एक व्यवसायी से रिश्वत में 4.5 करोड़ रुपये लेने के आरोपी पूर्व सिविल सेवक नागराज को मात्र 15 हजार वोट ही मिले.  

भास्कर रावः चामराजपेट सीट से भाजपा के इस दिग्गज को कांग्रेस के जमीर अहमद खान के हाथों करारी हार मिली. वे करीब 54 हजार वोटों से हारे हैं. भास्कर राव 1990 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने 2019-20 के दौरान बैंगलोर सिटी के कमिश्नर के रूप में भी काम किया है.  

जनता दल सेक्युलर के दिग्गजों का हाल 

एच डी कुमारस्वामी (बाएं), जीटी देवगौड़ा (मध्य), निखिल कुमारस्वामी (दाएं)

एचडी कुमार स्वामीः कर्नाटक के दो बार मुख्यमंत्री रहे कुमार स्वामी को चन्नपटना सीट से जीत मिली है. उन्होंने भाजपा के सी.पी. योगेश्वर को 15 हजार से अधिक वोटों से हराया है. वहीं, कांग्रेस के गंगाधर एस को यहां करीब 15 हजार वोट मिले. स्वामी पहली बार 1996 में लोकसभा के सदस्य चुने गए थे. अब तक वे 10 चुनाव लड़ चुके हैं, जिनमें से उन्हें 3 चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. 

निखिल कुमार स्वामी: कुमार स्वामी के बेटे को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है. वे राम नगर सीट से कांग्रेस प्रत्याशी इकबाल हसन से 10 हजार से ज्यादा वोट से हार गए हैं. बता दें इस सीट से कुमारस्वामी की पत्नी और निखिल की मां अनीता विधानसभा पहुंचती रही हैं. निखिल की यह लगातार दूसरी हार है. इससे पहले वे 2019 में मंडया से लोकसभा का चुनाव भी हार गए थे. निखिल एक अभिनेता भी रहे हैं.

जीटी देवेगौड़ा: इन्होंने चामुंडेश्वरी सीट से कांग्रेस के एस. सिद्धदेवगौड़ा को 25 हजार से अधिक वोटों से हराया है. वहीं भाजपा के कवीश गौड़ा 50 हजार वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे हैं. देवगौड़ा ने 1970 में कांग्रेस पार्टी से राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. हालांकि, बाद में वे जेडीएस में शामिल हो गए.वे जेडीएस और कांग्रेस की सरकार में सन 2018 से 2019 के बीच में मंत्री भी रह चुके हैं. 

हरीश गौड़ा: जीटी देवगौड़ा के बेटे को हुनसुर सीट से सफलता मिली है. उन्होंने कांग्रेस के मंजुनाथ को करीब ढाई हजार वोट से चुनाव हराया है.  

भाजपा का बागियों का हाल 

जगदीश शेट्टार (दाएं) और लक्ष्मण सावदी (बाएं)

जगदीश शेट्टारः भाजपा के बागी शेट्टार टिकट नहीं मिलने के चलते चुनावों से पहले कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे. शेट्टार को हालांकि चुनावी सफलता नहीं मिल पाई. उन्हें हुबली धारवाड़ सेंट्रल से भाजपा के प्रत्याशी के खिलाफ उतारा गया था. जिससे वे 34 हजार से अधिक वोटों से हार गए. गौरतलब है कि 2008 में बीजेपी की जीत के बाद शेट्टार को विधानसभा के स्पीकर के रूप में मौका मिला था. बाद में इस्तीफा देकर 2009 में येदुरप्पा सरकार के कैबिनेट में शामिल हो गए थे. 

लक्ष्मण सावदी: पूर्व उप मुख्यमंत्री सावदी अथानी निर्वाचन क्षेत्र के टिकट से चुनाव लड़ने की उम्मीद कर रहे थे. इसके लिए उन्होंने भाजपा के विधान परिषद सदस्य के रूप में इस्तीफा दे दिया लेकिन टिकट नहीं मिली. जिसके बाद उन्होंने पार्टी को भी अलविदा कह दिया. सावदी को कांग्रेस ने अथानी से टिकट दिया था. सावदी ने यहां भाजपा के महेश इरागनौड़ा को 76 हजार से ज्यादा वोट से हराया है. 

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