इनमें से नौ मामले आई-टी विभाग से, 15 ईडी से और 20 एनआईए से जुड़े थे.
सितंबर 2022 में मणिपुर के पत्रकार बिजॉय काकिंगताबाम के आतंकियों के साथ कथित संबंधों की जांच के दौरान राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने फ्रंटियर मणिपुर दैनिक की संपादक पाओजेल चाओबा को तलब किया.
पहले भी गिरफ्तारी, नोटिसों और हिरासत का सामना कर चुकी चाओबा ने कहा, "मेरा इस मामले से कोई संबंध नहीं था और जांचकर्ताओं ने अपनी सनक में मुझे बुलाया. यह मुझ पर दबाव डालने की एक सोची समझी चाल थी. हमारा समाचार संगठन बहुत ही स्वतंत्र है," उन्होंने कहा. चाओबा से दो बार पूछताछ की गई. एक बार 30 मिनट के लिए और फिर मणिपुर के एनआईए कार्यालय में छह घंटों के लिए.
पिछले साल इंडियन एक्सप्रेस ने एक रिपोर्ट में बताया कि 2014 के बाद से राजनेताओं के खिलाफ ईडी द्वारा दर्ज मामलों में चार गुना वृद्धि हुई है. लगभग 95 प्रतिशत ऐसे नेता विपक्षी दलों से हैं, जिन्होंने बार-बार भाजपा सरकार पर विरोधियों को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है. लेकिन केवल विपक्षी नेता ही केंद्रीय एजेंसियों की नाराजगी का सामना नहीं कर रहे हैं. 2018 के बाद से केंद्रीय एजेंसियों ने कम से कम 44 मामलों में मीडिया घरानों और पत्रकारों पर केस दर्ज किए हैं, अथवा समन या नोटिस भेजे हैं. इनमें से नौ मामले आयकर विभाग से, 15 प्रवर्तन निदेशालय से और 20 एनआईए से संबंधित थे.
हालांकि, यह पूरे आंकड़े नहीं हैं.
अधिकांश मामले स्वतंत्र रुख रखने वाले पत्रकारों और मीडिया संगठनों के खिलाफ हैं, लेकिन टाइम्स ग्रुप के प्रकाशक बीसीसीएल और इंडिया टुडे समूह जैसी सरकार की समर्थक के रूप में देखी जाने वाली मीडिया कंपनियों के शीर्ष अधिकारियों को भी इस सूची में जगह मिली है.
टैक्स सर्वे
कश्मीर में जहां राज्य एजेंसियों द्वारा कई मामले दर्ज किए जाने के साथ-साथ एनआईए ने भी कई नोटिस भेजे, वहीं आई-टी विभाग ने स्थानीय समाचार पत्र कश्मीर टाइम्स को पांच साल में कम से कम पांच नोटिस जारी किए. कश्मीर टाइम्स को पहले भी राज्य के अधिकारी टारगेट करते रहे हैं और यह अखबार वर्तमान सरकार का आलोचक रहा है.
“यह थका देने वाली प्रक्रिया है, क्योंकि हमें हर समय अदालत के चक्कर काटने पड़ते हैं. हमारे लिए काम करना मुश्किल हो गया है,” अखबार की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया.
आयकर विभाग ने 2010 के एक मामले को अदालत में सुलझा लिए जाने के बाद भी, 2013 के एक दूसरे मामले से जोड़कर 2020 में फिर से शुरू कर दिया. इसके बाद, कश्मीर टाइम्स को 2020 में तीन, 2021 में एक और 2022 में एक नोटिस मिला.
“मैं 2020 के बाद से लगभग रोज अदालत के चक्कर काट रहा हूं. निश्चित रूप से, कुछ पत्रकारों के खिलाफ कुछ मामले सही हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं है. और समस्या यह है कि आप मुकदमे से पहले दोषी साबित हो जाते हैं,” कश्मीर टाइम्स के संपादक और भसीन के पति प्रबोध जम्वाल ने कहा.
2018 के बाद टैक्स विभाग ने कम से कम नौ समाचार संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की है.
इसकी शुरुआत हुई थी क्विंट के संस्थापकों राघव बहल और रितु कुमार के कार्यालयों और घरों में 22 घंटे की तलाशी के साथ. आयकर विभाग ने बेंगलुरु में द न्यूज़ मिनट के कार्यालय में भी एक सर्वेक्षण किया, क्योंकि क्विंट की मूल फर्म क्विंटिलियन उसकी एक निवेशक है.
2020 में ऑनलाइन पोर्टल एचडब्ल्यू न्यूज़ नेटवर्क की मूल कंपनी थियो कनेक्ट पर मुंबई में छापा मारा गया. तलाशी करीब 50 घंटों तक चलती रही. न्यूज़लॉन्ड्री को पता चला है कि टैक्स विभाग ने मामला दर्ज नहीं किया, लेकिन वह लगातार इस समाचार संगठन को नोटिस भेज रहे हैं.
आईटी विभाग ने 2021 में न्यूज़लॉन्ड्री में भी दो बार सर्वे किया था, और तब से अब तक 34 नोटिस भेज चुका है.
दिल्ली की एक अदालत ने नवंबर 2022 में न्यूज़लॉन्ड्री के सीईओ अभिनंदन सेखरी और अन्य के खिलाफ आईटी विभाग की शिकायत को खारिज कर दिया था. विभाग ने न्यूज़लॉन्ड्री पर स्वेच्छा से कर चोरी करने का प्रयास करने और फर्जी मूल्यांकन रिपोर्ट तैयार करने का आरोप लगाया था. हालांकि, एडिशनल चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट अनुराग ठाकुर ने पाया कि आरोपी व्यक्तियों द्वारा किसी भी प्रकार की कोई आपराधिक साजिश नहीं रची गई थी।.
अदालत ने कहा कि टैक्स से बचने का कोई प्रयास नहीं किया गया क्योंकि कंपनी ने खातों या वित्तीय विवरणों में प्रीमियम पर शेयरों के आवंटन का खुलासा नहीं करने या खातों, बैलेंस शीट और आयकर रिटर्न में "गलत प्रविष्टि" करने जैसा कोई काम नहीं किया था. अदालत ने यह भी कहा कि शिकायत में उल्लिखित सारी जानकारी न्यूज़लॉन्ड्री के बहीखातों में पहले ही दे दी गई थीं.
टैक्स अधिकारियों ने उसी साल जुलाई में दैनिक भास्कर के भोपाल, अहमदाबाद और जयपुर कार्यालयों पर कई छापे मारे. छापों के कुछ महीनों पहले दैनिक भास्कर की रिपोर्ट्स में सरकार के कोविड प्रबंधन का पर्दाफाश किया गया था.
जुलाई 2021 में लखनऊ-स्थित टीवी समाचार चैनल भारत समाचार के कार्यालयों पर भी छापे मारे गए. आईटी विभाग ने सितंबर 2021 में 12 घंटे के लिए न्यूज़क्लिक परिसर का "सर्वे" भी किया.
लेकिन सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोरीं इस साल फरवरी में दिल्ली और मुंबई में बीबीसी कार्यालयों में कथित कर चोरी को लेकर किए गए टैक्स सर्वे ने. यह कदम बीबीसी द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने वाली एक डॉक्यूमेंट्री प्रसारित करने के एक महीने बाद उठाया गया.
एनआईए
मई 2020 में, गुवाहाटी के एक डिजिटल पत्रकार मनश बरुआ को एनआईए ने एक्टिविस्ट नेता अखिल गोगोई से जुड़े एक मामले के सिलसिले में बुलाया था. यह मामला 2019 में असम में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में हुए प्रदर्शनों से जुड़ा था. बरुआ के अनुसार तीन अधिकारियों ने उनसे छह घंटे तक पूछताछ की.
“उन्होंने मुझसे पूछा कि अखिल के साथ मेरे संबंध कैसे हैं और मैं उससे फोन पर इतनी बात क्यों करता हूं. मैंने उनसे कहा कि मैं एक पत्रकार हूं और वह एक कार्यकर्ता हैं और हम खबरों के सिलसिले में बात करते हैं. लेकिन उन्होंने कहा कि हमें बात नहीं करनी चाहिए," बरुआ ने कहा और दावा किया कि उन्हें धमकी दी गई थी.
एनआईए ने 2018 से कम से कम 20 पत्रकारों के खिलाफ कार्रवाई की है.
2021 में किसान आंदोलन के दौरान पंजाब में कम से कम 12 पत्रकारों को एनआईए के सामने पेश होने के लिए नोटिस मिला था- अधिकांश को यह नोटिस व्हाट्सएप पर मिला था. यह मामला प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस से जुड़े गुरपतवंत सिंह पन्नून से संबंधित था.
"मुझे बुलाने का मुख्य कारण यह था कि मैं किसानों के विरोध की रिपोर्टिंग मुख्यधारा की मीडिया से अलग तरीके से कर रहा था. मैं अपनी रिपोर्ट के माध्यम से दिखा रहा था कि कैसे यह सिर्फ सिख विरोध नहीं है, यह किसानों का विरोध है. मैं पहले कनाडा में रहा हूं और खालिस्तानियों के खिलाफ हमेशा मुखर रहा हूं, इसलिए जब उन्होंने मुझे फोन किया तो मुझे बहुत आश्चर्य हुआ," बलतेज पन्नू ने कहा, जो तब फ्रीलांस पत्रकार थे.
वहीं मणिपुर में पिछले साल कम से कम तीन पत्रकारों को उग्रवादियों से कथित संबंधों की जांच के सिलसिले में एनआईए ने तलब किया.
पिछले साल अगस्त में, स्थानीय पत्रकार संगठनों ने मीडिया के कामकाज में एनआईए के कथित हस्तक्षेप को लेकर विरोध किया था. उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, मणिपुर के राज्यपाल ला गणेशन और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया को भी लिखा कि एनआईए द्वारा पूछताछ के लिए बुलाए गए तीन पत्रकारों में से एक वांगखेमचा सामजाई को "डराया गया" और उनका "उत्पीड़न" किया गया.
इम्फाल टाइम्स के संपादक रिंकू खुमुकचम को भी तलब किया गया था. "मुझे गवाह के रूप में उपस्थित होने के लिए कहा गया था, लेकिन जब मैं वहां गया तो मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया गया जैसे मैं एक आरोपी हूं. वे हमें डराने-धमकाने के इरादे से बुला रहे थे," उन्होंने आरोप लगाया और कहा कि उनसे बार-बार आतंकियों के साथ कथित संबंधों के बारे में पूछा जा रहा था.
कश्मीर में एनआईए ने 2020 के बाद कम से कम तीन पत्रकारों और एक मीडिया हाउस के खिलाफ कार्रवाई की है. 2020 में एनआईए ने एक टेरर फंडिंग मामले में कई स्थानों पर ग्रेटर कश्मीर के कार्यालयों पर छापा मारा. 2021 में, फोटोजर्नलिस्ट मनन गुलजार दर को एक आतंकवादी साजिश में उनकी कथित भूमिका के लिए एजेंसी ने गिरफ्तार कर लिया.
2022 में कश्मीर वाला के संस्थापक फहद शाह पर एनआईए ने एक मामला दर्ज किया था. और इस साल मार्च में, पत्रकार इरफान महराज को एजेंसी ने एक कथित टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया.
ईडी के मामले
फरवरी में आयकर विभाग के तीन दिवसीय सर्वे के बाद, प्रवर्तन निदेशालय ने पिछले महीने बीबीसी इंडिया के खिलाफ विदेशी मुद्रा नियमों के कथित उल्लंघन का मामला दर्ज किया. न्यूज़लॉन्ड्री को पता चला है कि निदेशालय में पूछताछ के लिए बीबीसी के कम से कम छह कर्मचारियों को भी बुलाया गया है, जिनमें बीबीसी इंडिया के निदेशक भी शामिल हैं.
ईडी ने पिछले पांच वर्षों में कम से कम 15 पत्रकारों और मीडिया घरानों के खिलाफ कार्रवाई की है, जिनमें छापे मारना, मनी लॉन्ड्रिंग के मामले दर्ज करना और समन भेजना आदि शामिल है.
निदेशालय ने 2018 में पत्रकार उपेंद्र राय के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. राय अब इससे आगे बढ़ चुके हैं और उन्होंने इस साल एक नया टेलीविजन चैनल भारत एक्सप्रेस शुरू किया है.
2019 में ईडी ने अगस्ता वेस्टलैंड मामले में अपनी चौथी चार्जशीट दायर की, और इंडियन एक्सप्रेस के पूर्व पत्रकारों राजू संथानम, मनु पब्बी और शेखर गुप्ता को नामजद किया. ईडी का आरोप था कि प्रभाव में आकर अखबार ने एक लेख की भाषा में तल्खी कम कर दी थी. वर्तमान में द प्रिंट के प्रमुख गुप्ता ने ईडी के आरोपों को "100% असत्य, हास्यास्पद और पूरी तरह से बेतुका" बताया था.
उसी साल ईडी ने मीडिया दिग्गज और क्विंट के संस्थापक राघव बहल के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. 2021 में प्रवर्तन निदेशालय ने ऑनलाइन समाचार पोर्टल न्यूज़क्लिक के कार्यालय पर छापा मारा.
"यहां जांच की प्रक्रिया ही सजा है," वरिष्ठ पत्रकार परंजय गुहा ठाकुरता ने कहा. गुहा को न्यूज़क्लिक के नियमित कंट्रीब्यूटर और सलाहकार होने के कारण एजेंसी द्वारा तलब किया गया था. “मैं पिछले छह सालों के सैकड़ों कागजात और बैंक स्टेटमेंट वहां ले गया. इस प्रक्रिया में घंटों लग गए," उन्होंने कहा.
कुछ महीने बाद, निदेशालय ने यूपी पुलिस की एक एफआईआर के आधार पर पत्रकार सिद्दीकी कप्पन के खिलाफ मामला दर्ज किया. कप्पन पहले ही पांच महीने से जेल में थे.
उसी वर्ष, इंडिया टुडे के सीएफओ दिनेश भाटिया को भी ईडी ने टीआरपी में कथित हेरफेर के मामले में पूछताछ के लिए बुलाया था.
अगस्त 2021 में, ईडी ने पश्चिम बंगाल में टाइम्स समूह के अखबार एइ शोमोय के संपादक सुमन चट्टोपाध्याय के खिलाफ भी मामला दर्ज किया. शारदा घोटाले की जांच के तहत ईडी ने चट्टोपाध्याय के खिलाफ चार्जशीट दायर की. उन्हें 2018 में भी सीबीआई ने आई-कोर नामक कंपनी से जुड़े "चिट फंड घोटाले" के लिए गिरफ्तार किया था, और उन्होंने 400 से अधिक दिन जेल में बिताए थे.
ईडी ने आधिकारिक गोपनीयता अधिनियम के तहत दर्ज एक मामले के संबंध में फ्रीलांस पत्रकार राजीव शर्मा को भी गिरफ्तार किया. जुलाई 2021 में दिल्ली पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की गई. ईडी की जांच के अनुसार शर्मा ने कथित रूप से गोपनीय और संवेदनशील जानकारी चीनी खुफिया अधिकारियों को सौंपी थी जिसके बदले उन्हें पैसे मिले थे. एजेंसी ने कहा कि शर्मा ने कथित तौर पर चीनी नागरिकों द्वारा चलाई जा रही शेल कंपनियों से ''हवाला'' के जरिए पैसे हासिल किए थे.
अगस्त और दिसंबर 2022 में ईडी ने कोलकाता टीवी के संस्थापक कौस्तुभ रे की तलाशी ली. रे को 2018 में सीबीआई ने भी गिरफ्तार किया था. ईडी का मामला केनरा बैंक की अध्यक्षता वाले बैंकों के एक कंसोर्टियम को कथित रूप से धोखा देने से जुड़ा था. कोलकाता टीवी को टीएमसी के करीबी के रूप में जाना जाता है और इसके संपादकीय भाजपा विरोधी होते हैं.
जुलाई 2022 में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के कथित उल्लंघन के लिए टाइम्स समूह के प्रकाशक बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लिमिटेड (बीसीसीएल) के कम से कम दो शीर्ष प्रबंधकों से पूछताछ की गई. कंपनी की कार्यकारी समिति के अध्यक्ष शिवकुमार सुंदरम और सीएफओ हिमांशु अग्रवाल से कथित तौर पर एजेंसी के दिल्ली मुख्यालय में कई बार पूछताछ की गई थी.
पिछले साल भी ईडी ने पीएमएलए अधिनियम के संबंध में भारत भर में कई स्थानों पर नेशनल हेराल्ड के कार्यालयों पर छापे मारे थे. कांग्रेस नेताओं सोनिया और राहुल गांधी से भी पूछताछ की गई क्योंकि वे नेशनल हेराल्ड की मॉनिटरिंग कंपनी से जुड़े हुए हैं.
अक्टूबर 2022 में, ईडी ने तेलुगु दैनिक आंध्र प्रभा और इंडिया अहेड चैनल से जुड़े परिसरों की भी तलाशी ली. दिल्ली की शराब नीति में कथित अनियमितताओं को लेकर ईडी और सीबीआई ने दोनों संस्थाओं के प्रबंध निदेशक गौतम मूथा से पूछताछ भी की थी.
उसी महीने, ईडी ने एफसीआरए के तहत पंजीकरण के बिना कथित रूप से विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए राणा अयूब के खिलाफ शिकायत दर्ज की.
इस साल ईडी के रांची जोनल कार्यालय ने भारत वार्ता पत्रिका के संपादक रवींद्र नाथ तिवारी को नोटिस भेजा. तिवारी ने कथित तौर पर पंकज मिश्रा से मुलाकात की थी, जिन पर राज्य में अवैध स्टोन माइनिंग का आरोप है. ईडी ने तिवारी से इस मुलाकात का ब्यौरा मांगा था.
'ईडी से विश्वास उठ गया'
यूपी पुलिस द्वारा यूएपीए और ईडी द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के कारण 850 दिन जेल में बिताने वाले पत्रकार सिद्दीकी कप्पन ने जमानत पर रिहा होने के बाद न्यूज़लॉन्ड्री के साथ एक इंटरव्यू में अपना अनुभव साझा किया था.
उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान एक अधिकारी ने उनसे कहा कि वह पूछे गए सभी सवालों और उनके जवाब एक ए4 शीट पर लिखें. “उन्होंने मुझ पर 'जस्टिस फॉर हाथरस' वेबसाइट बनाने और उसके लिए क्राउडफंडिंग करने का आरोप लगाया. इस वेबसाइट के बारे में मुझे उस दिन तक पता भी नहीं था, और मैंने इसे कभी खोला भी नहीं था. मैंने उन्हें यह बताया लेकिन उन्होंने मुझ पर झूठ बोलने का आरोप लगाया."
“मुझे ईडी पर थोड़ा-बहुत विश्वास था क्योंकि वह एक प्रमुख एजेंसी है जो अच्छी है. लेकिन उस दिन मेरा सारा विश्वास उठ गया.”
न्यूज़लॉन्ड्री ने केंद्रीय एजेंसियों के कम्युनिकेशन विभागों से बात करने के लिए संपर्क किया, लेकिन उनकी कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली. यदि वह उत्तर देते हैं तो यह रिपोर्ट अपडेट कर दी जाएगी.