सुप्रीम कोर्ट ने फर्जी खबर फैलाने के मामले में दर्ज एफआईआर रद्द करवाने के लिए नुपुर शर्मा और राहुल रौशन को हाईकोर्ट में अपील करने को कहा.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ऑपइंडिया की संपादक नुपुर शर्मा और सीईओ राहुल रौशन की गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. दोनों पर तमिलनाडु में बिहार के प्रवासियों पर हो रही हिंसा की कथित रूप से झूठी खबर प्रकाशित करने का आरोप है. इसके बाद तमिलनाडु में एफआईआर दर्ज की गई थी.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के मुख्य न्यायधीश डीवाई चंद्रचूड़ और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने यह आदेश दिया कि अगले चार हफ्ते तक नुपुर शर्मा और राहुल रौशन की गिरफ्तारी नहीं की जाए.
हालांकि, न्यायालय ने कहा कि वह एफआईआर रद्द करने पर विचार नहीं करेगी. इसके लिए दोनों आरोपी संबंधित हाईकोर्ट में अपील कर सकते हैं. अदालत ने कहा कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 482 के तहत दोनों लोगों के पास प्रभावी वैकल्पिक उपाय मौजूद हैं.
मामला बीते महीने मार्च का है, जब तमिलनाडु में कथित तौर पर बिहार के प्रवासी मजदूर पर हमले का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल किया जा रहा था. जिसमें बिहारी मजदूरों को हिंदी बोलने की वजह से मारने-पीटने का दावा किया जा रहा था. हालांकि, यह दावा झूठा था.
मजदूरों के साथ हिंसा के इस झूठे दावे को ऑपइंडिया की वेबसाइट पर भी प्रकाशित किया गया था. इसके बाद तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) पार्टी के आईटी विंग के सदस्य सूर्य प्रकाश की शिकायत पर राज्य की पुलिस ने वेब पोर्टल ऑपइंडिया की संपादक नुपुर शर्मा और सीईओ राहुल रौशन के खिलाफ फर्जी खबर फैलाने का मामला दर्ज कर लिया था.