इस हफ्ते चर्चा में बातचीत के मुख्य विषय तमिलनाडु में उत्तर भारतीयों पर हमलों की अफवाह, मोहन भागवत द्वारा ग्रंथों में संशोधन का प्रस्ताव और एशियानेट न्यूज़ पर पुलिस की कार्यवाही रहे. इसके अलावा ईडी के बीआरएस की एमएलसी के. कविता को दिल्ली शराब घोटाले में पूछताछ के लिए तलब किया जाना, अभिनेता सतीश कौशिक का दिल का दौरा पड़ने से निधन, अमशीपुरा फेक एनकाउंटर मामले में सेना की अदालत द्वारा एक कैप्टन को उम्र कैद, ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को मिल रही जान से मारने धमकियां, सीबीआई की आरजेडी नेता लालू प्रसाद यादव व उनके परिवार से पूछताछ, शी जिनपिंग का तीसरी बार चीन के राष्ट्रपति चुना जाना और जर्मनी के हैमबर्ग शहर में एक बंदूकधारी द्वारा आतंकी हमले आदि सुर्खियों का भी ज़िक्र हुआ.
बतौर मेहमान इस चर्चा में स्वतंत्र पत्रकार अलीशान जाफरी, वरिष्ठ पत्रकार हृदयेश जोशी और न्यूज़लॉन्ड्री के सह-संपादक शार्दूल कात्यायन जुड़े. चर्चा का संचालन अतुल चौरसिया ने किया.
अतुल अलीशान से पूछते हैं, “तमिलनाडु में उत्तर भारतीयों पर हमले से जुड़ी अफवाह के जो चार पांच विडियो थे, इस पर आल्ट न्यूज ने एक फैक्ट चेक स्टोरी जारी की जिसमें ये पाया गया कि ये सारे विडियोज अलग अलग जगहों के थे, और अलग अलग जगहों की घटनाओं को बिहारियों के ऊपर हुआ हमला बताया गया. इसके बाद ये सारी स्थिति उत्तर भारत बनाम दक्षिण भारत की बहस में फंस गई. आप इस घटना को फॉलो कर रहे थे, इसके घटनाक्रम क्या थे? क्या कुछ ऐसा है जिससे ये समझ आए कि इस सब को बहुत ऑर्गेनाइज तरीके से रचा गया था, जिसमें किसी तरीके के राजनीतिक उद्देश्य शामिल थे?”
जवाब में अलीशान जाफरी कहते हैं, "जब तेजस्वी यादव स्टालिन के जन्मदिन के लिए तमिलनाडु जाने वाले थे, उसी के आसपास ये खबर शुरू हुई. एक आदमी ने फेसबुक पर दावा किया था कि दो भाइयों में एक की हत्या हो गई है, दूसरे को भी मारा है और दोनों बिहारी हैं. फिर एक व्यक्ति तमिलनाडु भाजपा के अध्यक्ष को टैग करके लगातार दो-तीन दिन तक यही पोस्ट करता रहा. उसके बाद लोकल बिहारी चैनल और स्क्रिप्टेड वीडियो बनाने वाले यूट्यूब चैनलों ने इसे उठाया और तब बीजेपी से जुड़े छोटे बड़े नेताओं ने इस खबर को बड़े पैमाने पर उठाना शुरू किया."
इस पर बात रखते हुए हृदयेश कहते हैं, "हम सभी सोशल मीडिया पर अपनी राय प्रकट कर रहे हैं, और राय प्रकट करने में ज्यादातर लोग वो होते हैं जिन्हें उस मसले पर कुछ पता भी नहीं होता है. जैसे-जैसे समय बीतता जा रहा है, मुझे ऐसा लग रहा है कि मैं अपने आपको शेल में जाता हूं महसूस कर रहा हूं. कुछ बोलने का मन नहीं करता है क्योंकि वहां अगर मैं ये लिख रहा हूं कि ग्लोबल वार्मिंग से समस्या हो रही है, तो पलट कर मुझ पर हमला होता है कि तुम ये इसलिए लिख रहे हो कि वहां पर इस दल की सरकार है."
इसी में आगे अपनी बात जोड़ते हुए शार्दूल कहते हैं, “अगर हम ये मान भी लें कि भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व ये सब नहीं चाह रहा, इतनी तो बात स्पष्ट है कि ये सब उनके कार्यकर्ताओं और जो एक तरह का ईकोसिस्टम इन्होंने बनाया है, ये उसकी सहजवृत्ति बन गई है. वो जरा सा भी समझदार राजनेता की तरह बर्ताव नहीं करते हैं और तुरंत हमलावर हो जाते हैं. दूसरी बात ये लोग झूठ और सच में अंतर करना भूल गए हैं और उनका इकोसिस्टम कहीं न कहीं उनके नियंत्रण से बाहर हो रहा है. ये बात किसी से नहीं छिपी है क्योंकि इस मामले में राजनीति की नजर से देखें तो केंद्रीय नेतृत्व को कोई फायदा नहीं हो रहा है.”
सुनिए पूरी चर्चा.
टाइम कोड
00:00:00 - 00:12:22 - हेडलाइंस व जरूरी सूचनाएं
00:12:22 - 00:40:32 - तमिलनाडु में उत्तर भारतीयों की हत्या की अफवाह
00:40:32 - 00:52:30 - एशियानेट न्यूज के दफ्तर पर छापा
00:52:30 - 01:11:55 - सब्सक्राइबर्स के मेल
01:12:25 - 01:25:24 - मोहन भागवत का बयान
01:25:24 - 01:31:50 - सलाह और सुझाव
पत्रकारों की राय क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए
आलीशान जाफरी
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पंजाब स्टोरीज पर शेखर गुप्ता तवलीन सिंह आदि के आर्टिकल्स
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भगवत शरण उपाध्याय की किताब - भारतीय समाज का ऐतिहासिक विश्लेषण
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प्रोड्यूसर - चंचल गुप्ता
एडिटिंग - उमराव सिंह