कुश्ती संघ की ‘यौन उत्पीड़न कमेटी’ में गड़बड़ियां, महिला की जगह पुरुष प्रधान

भारतीय कुश्ती संघ की सेक्शुअल हरासमेंट कमेटी में न तो महिला सदस्यों की संख्या पूरी है न कोई स्वतंत्र सदस्य है न ही नियमानुसार महिला को इसका प्रमुख बनाया गया.

कुश्ती संघ की ‘यौन उत्पीड़न कमेटी’ में गड़बड़ियां, महिला की जगह पुरुष प्रधान
कार्तिक कक्कर
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भारतीय कुश्ती संघ में महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की शिकायत व जांच के लिए इंटरनल कंप्लेंट कमेटी (आईसीसी) नहीं है. लेकिन यहां ‘सेक्सुअल हरासमेंट’ की जांच के लिए जो कमेटी बनी है, वो महिलाओं का कार्यस्‍थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम, 2013 (POSH) के नियमों के मुताबिक नहीं है. न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि इसमें कई तरह की गड़बड़ियां हैं.

कुश्ती संघ की सेक्सुअल हरासमेंट कमेटी में अनियमितताएं 

कुश्ती संघ की वेबसाइट पर दी गई सेक्शुअल हरासमेंट कमेटी जानकारी के अनुसार, डोपिंग प्रथाओं को खत्म करने, मैच फिक्सिंग, उम्र की धोखाधड़ी, खेलों में महिलाओं के यौन शोषण और निष्पक्ष खेल को सुनिश्चित करने के लिए संघ ने एक ‘एथिक्स कमीशन’ बनाया है. इस कमेटी के संयोजक जयप्रकाश न्यूज़लॉन्ड्री को बताते हैं, “कुश्ती संघ में महिलाओं के साथ होने वाले यौन शोषण के मामले को यही कमेटी देखती है.”

क्या आप लोगों के सामने यौन शोषण के मामले आए हैं? इस पर जयप्रकाश कहते हैं, “कभी आए होंगे.”

अगर यही कमेटी यौन शोषण के मामले देखती है, तो यह आईसीसी के नियमों के खिलाफ है. POSH के आईसीसी में कम से कम चार सदस्य होने चाहिए. ज्यादा भी हो सकते हैं. उसकी कोई सीमा तय नहीं की गई है. कमेटी की प्रमुख कोई महिला होनी चाहिए और यह महिला किसी वरिष्ठ पद पर कार्यरत होनी चाहिए. साथ ही कमेटी की 50 प्रतिशत सदस्य महिलाएं होनी चाहिए और एक सदस्य स्वतंत्र यानी संघ से बाहर का होना चाहिए. न्यूज़लॉन्ड्री ने पाया कि भारतीय कुश्ती संघ ने इन नियमों को नजरअंदाज कर सेक्शुअल हरामेंट कमेटी का निर्माण किया है.

संघ की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक यहां मौजूद ‘सेक्शुअल हरासमेंट कमेटी’ के चेयरमैन वीएन प्रसूद हैं. प्रसूद, संघ में जनरल सेक्रेटरी हैं. भारतीय कुश्ती संघ में जॉइंट सेक्रेटरी के पद पर आसीन ओलम्पियन जय प्रकाश, इस कमेटी के संयोजक हैं.

कमेटी के तीन सदस्य, विशाल सिंह, देबेन्द्र कुमार साहू और साक्षी मलिक हैं. विशाल और देबेन्द्र कुश्ती संघ के एग्जीक्यूटिव मेंबर हैं, वहीं साक्षी संघ के लिए ही खेलती हैं. वे स्वयं भी प्रदर्शन में शामिल हैं.

मुख्यतः POSH केंद्रित काम करने वाली वकील ईशा शेखर ने हमें बताया, “यदि समिति कानून की आवश्यकताओं के अनुसार नहीं बनाई गई है, तो यह उल्लंघन है. यहां जिन नियमों का पालन नहीं हुआ वो बेहद आवश्यक हैं.”

कमेटी की प्रमुख महिला होनी चाहिए 

कुश्ती संघ द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक महिलाओं के होने वाले सेक्शुअल हरासमेंट को लेकर बनी कमेटी के प्रमुख वीएन प्रसूद हैं.

POSH के नियमों के मुताबिक, आंतरिक कमेटी की प्रमुख संस्थान से जुड़ी किसी वरिष्ठ महिला को होना चाहिए. अगर संस्थान में कोई वरिष्ठ महिला कर्मचारी नहीं है, तो ऐसी स्थिति को लेकर भी कानून में स्पष्ट निर्देश हैं. 

POSH अधिनियम आगे कहता है कि यदि संस्थान में कोई वरिष्ठ स्तर की महिला कर्मचारी नहीं है, तो संस्थान अपने दूसरे यूनिट से वरिष्ठ महिला को ले. अगर यह भी मुमकिन नहीं है तो किसी और संस्थान से एक वरिष्ठ महिला कर्मचारी लाना होगा.

कोई बाहरी सदस्य नहीं 

POSH के नियमों के मुताबिक आईसीसी में एक सदस्य बाहर से होना चाहिए. जो किसी गैर-सरकारी संस्था से हो या महिलाओं को लेकर काम करती हो. यहां कोई भी बाहरी सदस्य नहीं है.

कुश्ती संघ की समिति में केवल एक महिला हैं.

जैसा कि पहले जिक्र हुआ, POSH अधिनियम के नियमों के अनुसार कुल सदस्यों में से कम से कम आधी महिलाएं होनी चाहिए. इस मामले में 2 से 3 सदस्य महिलाएं होनी चाहिए थीं. यहां कमेटी में सिर्फ एक महिला हैं, साक्षी मालिक. जो खुद इस मामले में आरोप लगा रही हैं और जंतर मंतर पर चल रहे प्रदर्शन में शामिल हैं.

नियमों के मुताबिक कमेटी न होने पर अधिवक्ता नंदिता राव कहती हैं, “यदि भारतीय कुश्ती संघ सरकार से अनुदान प्राप्त करता है, तो वह यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत कार्यस्थल नहीं होने का दावा नहीं कर सकता. यदि वे खुद कहते हैं कि यह यौन उत्पीड़न समिति है, तो यह अधिनियम की धारा 4 के अनुपालन के लिए बाध्य है. जब कानून खुद कहता है कि समिति में महिलाओं की संख्या अधिक होनी चाहिए, अध्यक्ष एक महिला होनी चाहिए, और एक बाहरी सदस्य होना चाहिए - तो इसका  उद्देश्य निष्पक्षता सुनिश्चित करना है. अगर एसोसिएशन साफ-साफ नाफ़रमानी नहीं भी कर रहा, तो भी यह नैतिक रूप से नियमों का उल्लंघन है. क्योंकि कानून एक निष्पक्ष और स्वतंत्र समिति का गठन करने के लिए एक बेंचमार्क स्थापित कर रहा है, और आपकी समिति उस बेंचमार्क को बिल्कुल भी पूरा नहीं कर रही, इसका मतलब है कि प्रभावी रूप से आपके पास कोई समिति नहीं है.”

गौरतलब है कि 18 जनवरी को बजरंग पूनिया, साक्षी मलिक, विनेश फोगाट समेत कई अंतरराष्ट्रीय स्तर के कुश्ती खिलाड़ियों ने भारतीय कुश्ती संघ के खिलाफ दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर सबको चौंका दिया. आज यानी 19 जनवरी को लगातार दूसरे दिन भी यह विरोध प्रदर्शन जारी रहा. पहले दिन मीडिया से बात करते हुए भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष भाजपा सांसद बृजभूषण सिंह और संघ के दूसरे पदाधिकारियों पर खिलाड़ियों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था.

विनेश फोगाट ने बताया कि अध्यक्ष ने एक नहीं बल्कि कई लड़कियों का शोषण किया है. इसमें आगे जोड़ते हुए साक्षी मालिक कहती हैं, ‘‘लखनऊ में जानबूझकर कैंप रखा जाता है क्योंकि उनका (बृजभूषण सिंह का) वहां घर है और शोषण आसानी से हो सकता है.’’

सिंह ने खिलाड़ियों द्वारा लगाए गए तमाम आरोपों से इंकार किया है. उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “किसी भी महिला खिलाड़ी के साथ यौन शोषण नहीं हुआ. अगर हुआ तो कोई सामने क्यों नहीं आया?’’

विनेश फोगट ने दावा किया है कि हम सही जगह पर उन महिला खिलाड़ियों का नाम बताएंगे, जिनका यौन शोषण हुआ है.

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