“फर्जी खबरों का निर्धारण करना केवल सरकार के हाथों में नहीं होना चाहिए: आईटी नियमों में प्रस्तावित बदलाव पर एडिटर्स गिल्ड

गलत खबरों से निपटने के लिए पहले से ही कई कानून मौजूद हैं: एडिटर्स गिल्ड.

“फर्जी खबरों का निर्धारण करना केवल सरकार के हाथों में नहीं होना चाहिए: आईटी नियमों में प्रस्तावित बदलाव पर एडिटर्स गिल्ड
  • whatsapp
  • copy

एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया (ईजीआई) का कहना है कि “फर्जी खबरों का निर्धारण करना केवल सरकार के हाथों में नहीं होना चाहिए और अगर ऐसा होता है तो इससे सेंसरशिप की स्थिति पैदा हो जाएगी. गलत खबरों से निपटने के लिए पहले से ही कई कानून मौजूद हैं, लेकिन यह नई प्रक्रिया प्रेस की आजादी को कमजोर करती है. इसके अलावा केंद्र सरकार, पीआईबी या तथ्यों की जांच करने के लिए अधिकृत किसी अन्य एजेंसी को व्यापक अधिकार देगी ताकि ऑनलाइन मध्यवर्ती संस्थाओं को ऐसी सामग्री को हटाने के लिए मजबूर किया जा सके, जो सरकार को समस्याग्रस्त कर सकती है.”

मंगलवार को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमआईटीवाई) ने सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 में प्रस्तावित संशोधन पेश किया था. आईटी मंत्रालय द्वारा जारी किया गया यह संशोधन यह सुनिश्चित करेगा कि जिस खबर को फर्जी माना जाएगा, उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से हटाना होगा.

ईजीआई, एमआईटीवाई द्वारा किए गए आईटी नियम 2021 में संशोधन से चिंतित है. एमआईटीवाई समाचार रिपोर्टों की सत्यता निर्धारित करने के लिए पीआईबी को अधिकार देता है. साथ ही ऑनलाइन मध्यस्थों और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को फर्जी समझी जाने वाली सामग्री को हटाने का भी निर्देश देता है, लेकिन एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया को लगता है कि यह सेंसरशिप के समान है.

बीती 17 जनवरी को आईटी मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड किए गए नए मसौदे में ऑनलाइन गेमिंग मंचों के लिए भी नियमों पर विमर्श की समय सीमा को बढ़ाया गया था.

न्यूज़लॉन्ड्री ने इस मामले पर पहले रिपोर्ट भी की थी कि किस प्रकार पीआईबी के कई ‘फैक्ट-चेक’, सरकार की आलोचना करने वाली खबरों का खंडन थे, ख़ास तौर पर कोविड रणनीति को लेकर.

Also see
व्यंग ट्वीट को सही मानकर मीडिया ने पाक क्रिकेटर बाबर आजम के खिलाफ चलाई खबरें
हेट स्पीच के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में लड़ाई लड़ रहे पत्रकार कु़र्बान अली क्या कहते हैं?

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like