एनडीटीवी के पूर्व मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार के साथ साक्षात्कार.
भारत के मीडिया परिदृश्य में साल 2014 के बाद से बड़े बदलाव आने शुरू हुए थे. बदलाव का यह सिलसिला साल 2022-23 तक आते-आते काफी घटनास्पद और रपटीला हो गया. देश के प्रतिष्ठित मीडिया संस्थान एनडीटीवी का निजाम बदल गया. अब यह देश के सबसे अमीर व्यापारिक घराने अडाणी समूह की संपत्ति है. बदलाव की इस आपाधापी में देश के कद्दावर टेलीविजन पत्रकार रवीश कुमार भी एनडीटीवी से अलग हो गए.
हमने रवीश कुमार से पूछा कि ऐसा क्यों किया? उनका जवाब था, “ऐसा नहीं है कि मैंने भावनात्मक रूप से यूं ही छोड़ दिया. मैंने काफी वक्त लिया 23 अगस्त के बाद. बहुत सी ऐसी चीजें होती हैं जो शब्दों में नही दिखाई देती हैं लेकिन आप हवा में महसूस कर सकते हैं कि कुछ बदल रहा है.”
बात यह भी हुई कि आखिर देश के सबसे लोकप्रिय और भरोसेमंद टेलीविजन पत्रकार को दूसरे मीडिया संस्थानों ने नौकरी के लायक क्यों नहीं समझा. रवीश कुमार ने खुद के बेरोजगार होने की परिस्थिति को मीडिया के हालात के मद्देनजर दिलचस्प व्याख्या की.
इस सिलसिले में एक बात आई कि देश के सबसे ताकतवर और लोकप्रिय प्रधानमंत्री ने बहुत सारे टेलीविजन वालों को इंटरव्यू दिया लेकिन रवीश कुमार को इसके लायक नहीं समझा. रवीश कहते हैं, “अब अगर अक्षय कुमार की किस्मत मे ही इंटरव्यू है तो रवीश कुमार क्या करे. लेकिन यह बहुत दुखद है कि यह मीडिया भी उनकी जीत में एक महत्वपूर्ण कारक था. उनकी लोकप्रियता में, बहुत सारे झूठ को सच में बदलने में इस मीडिया की भूमिका थी. फिर भी प्रधानमंत्री ने एक ओपन प्रेस कॉन्फ्रेंस करने की हिम्मत नहीं जुटाई.
एक सवाल लाजिमी था कि एनडीटीवी की नई निजामत जिस अडाणी समूह के पास है उसके मुखिया गौतम अडानी कह चुके हैं कि पत्रकारिता और मैनेजमेंट के बीच में जो लक्ष्मण रेखा होगी उसे हम एनडीटीवी मे बनाए रखेंगे. उनकी इस बात पर रवीश कुमार को भरोसा क्यों नहीं हुआ?
न्यूज़लॉन्ड्री को दिए गए इस इंटरव्यू में रवीश कुमार ने गौतम अडाणी के तमाम इंटरव्यूज़, एनडीटीवी का अधिग्रहण, एनडीटीवी को ग्लोबल ब्रांड बनाने की मंशा, अपने इस्तीफे, अपने पूर्व सहकर्मियों के हमलों आदि पर खुलकर बात की.
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