पत्रकार अनिल यादव की गिरफ्तारी के एक दिन बाद सपा के मीडिया प्रकोष्ठ ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार स्वतंत्र पत्रकारों को परेशान कर रही है.
लखनऊ में पुलिस ने न्यूज़ नेशन के पूर्व पत्रकार अनिल यादव को गिरफ्तार किया है. यह गिरफ्तारी पत्रकार मनीष पांडे द्वारा समाजवादी मीडिया सेल के खिलाफ दर्ज कराई गई शिकायत के बाद हुई है.
यादव इससे पहले अपने उन आरोपों को लेकर सुर्खियों में थे जिसमें उन्होंने कहा था कि न्यूज़ नेशन चैनल ने संवाददाताओं को निर्देश दिया कि वे भाजपा की आचोलना न करें और खबरों को सांप्रदायिक एंगल से करें.
स्थानीय चैनल न्यूज़ वन इंडिया के लखनऊ स्थित रेजिडेंट एडिटर मनीष पांडे ने 23 नवंबर को एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि समाजवादी मीडिया सेल का ट्विटर हैंडल सोशल मीडिया पर उन्हें गाली दे रहा है. पुलिस ने मामले में यादव की भूमिका बताते हुए उन्हें 25 नवंबर को तड़के सुबह गिरफ्तार कर लिया. जबकि समाजवादी पार्टी के साथ-साथ पत्रकार अनिल यादव ने इन आरोपों से इनकार किया है.
लखनऊ हजरतगंज के एसीपी अरविंद कुमार वर्मा न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “हमने जांच के दौरान अनिल यादव की संलिप्तता पाई, इसलिए प्राथमिकी के आधार पर कार्रवाई की गई.”
वह आगे कहते हैं, “जांच अभी भी चल रही है और प्रक्रिया में है.” यह पूछे जाने पर कि क्या ट्वीट के आईपी एड्रेस का पता लगाया गया था या यह यादव का मोबाइल नंबर था जो ट्विटर अकाउंट से जुड़ा हुआ पाया गया? इस पर वर्मा ने कहा कि अभी जांच चल रही है, इसलिए अभी कुछ भी खुलासा नहीं कर सकते.
यादव को जमानत मिलने के बाद 30 नवंबर को रिहा कर दिया गया था.
पांडे की शिकायत में यादव का जिक्र नहीं था, लेकिन न्यूज़ नेशन के पूर्व पत्रकार ने आरोप लगाया कि एक 'सरकारी' पत्रकार ने समाजवादी पार्टी के खिलाफ शिकायत की थी.
यादव की गिरफ्तारी के एक दिन बाद सपा के मीडिया प्रकोष्ठ ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार स्वतंत्र पत्रकारों को परेशान कर रही है.
समाजवादी पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा, “अनिल यादव और उनकी पार्टी के बीच कोई संबंध नहीं है.” यह पूछे जाने पर कि पुलिस को यादव को सपा के ट्विटर अकाउंट से जुड़ा हुआ बताने पर क्या मिलेगा? इस पर चौधरी कहते हैं कि शायद पत्रकार ने एसपी के अकाउंट के पोस्ट पर टिप्पणी की होगी या रीट्वीट किया होगा.
यादव का न कोई उल्लेख करते हुए पांडे की शिकायत में कहा गया था कि पार्टी के मीडिया सेल ने उन्हें तब निशाना बनाया जब उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर उस बात पर आपत्ति जताई, जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाले गोरखनाथ मठ को राजनीतिक उद्देश्यों को शामिल किया गया था.
दरअसल, समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने हिंदुस्तान अखबार की एक रिपोर्ट को शेयर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने अवैध खनन के आरोपियों की मदद की थी. और सवाल किया कि ऐसी गतिविधियों में मठ का हिस्सा क्या है.
पांडे ने कहा कि यह टिप्पणी तब और खराब हो गई जब उन्होंने आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार और उत्तर प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव नवनीत सहगल की एक तस्वीर पोस्ट करते हुए कहा कि उनकी मुस्कुराहट से कई लोगों को दिल में जलन हुई.
उन्होंने कहा, “उन्होंने मुझ पर हमला करना शुरू कर दिया और गंदी टिप्पणियां करने लगे... मैंने इसे नजरअंदाज कर दिया लेकिन हालात बदतर हो गए. वे मुझे दलाल और चाटू कहने लगे. मैंने एफआईआर दर्ज कराई क्योंकि ऐसी टिप्पणी समाजवादी पार्टी के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से सही नहीं हैं. पुलिस को जांच करनी चाहिए.”
लखनऊ के हजरतगंज पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 153-ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 295-ए (धार्मिक भावनाओं को आहत करने के इरादे से जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कार्य), 500 (मानहानि), 505 (2) (सार्वजनिक शरारत के लिए बयान), 504 (शांति भंग करने के इरादे से जानबूझकर अपमान) और आईटी अधिनियम की धारा 66 (आपत्तिजनक संदेश भेजना) के तहत केस दर्ज किया गया है.
इस बीच, यादव ने कहा कि पुलिस उनके घर पर रात में कई पुलिसकर्मियों के साथ आई और उन्हें थाने ले गई. पुलिस अधिकारियों ने कहा कि वह बहुत अधिक क्रांतिकारी बन रहे हैं. यादव ने आरोप लगाया कि उन्हें हिरासत में पीटा गया. हालांकि, एसीपी वर्मा ने इन आरोपों से इनकार किया है.
यादव ने कहा, “जेल में बिताए पांच दिन पांच साल के बराबर हैं. मैं गैर-भाजपा शासित राज्य में जाऊंगा. आजकल हर कोई डरा हुआ है और मैं भी”. बता दें कि यादव अपनी पत्नी, तीन बच्चों और मां के साथ रहते हैं.
पत्रकार ने कहा, "उन्होंने (पुलिस) सोचा कि अगर वे रात में ऐसा करते हैं, तो ज्यादा लोगों को पता नहीं चलेगा. एक स्थानीय पुलिस स्टेशन था, लेकिन वे मुझे दूसरे पुलिस स्टेशन ले गए. उन्होंने कहा कि उन्हें ऊपर से आदेश मिले हैं. मुझे नहीं बताया कि वह क्यों ले जा रहे हैं, न ही मेरे परिवार को ही बताया गया कि क्यों गिरफ्तार किया. पूरी रात हवालात में रखा गया.”
यह पूछे जाने पर कि क्या उनका समाजवादी पार्टी से कोई लेना-देना है. इस पर अनिल यादव ने कहा, “अगर मैं यह करता तो मुझे पैसे मिल रहे होते. मुझे यूट्यूब चैनल शुरू करने की आवश्यकता क्यों है? पुलिस ने ट्वीट्स के आईपी एड्रेस की जांच क्यों नहीं की?
इस बीच, पांडे ने कहा कि उन्हें बाद में पता चला कि यादव को मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है. उन्होंने कहा, “न्यूज़ नेशन छोड़ने के बाद मैंने अनिल से बात की थी और उनको समझाया था. मैंने समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी. मुझे जो पता है, उसके अनुसार कई पत्रकार समाजवादी पार्टी के लिए काम करते हैं. कई लोग भाजपा के लिए भी काम करते हैं लेकिन भाजपा इसकी घोषणा करती है जबकि सपा आधिकारिक तौर पर घोषणा नहीं करती है.”
पांडे ने कहा कि एफआईआर दर्ज होने के बाद एसपी मीडिया सेल ने उनके ट्वीट पर टिप्पणी करना बंद कर दिया है. उन्होंने कहा, “यह कहना गलत है कि उन्हें (यादव) को इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि वह सरकार के खिलाफ बोलते हैं. कई पत्रकार ऐसा करते हैं, जैसा कि मैं करता हूं.”
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समाजवादी पार्टी मीडिया सेल के ट्विटर हैंडल से की गई अभद्र टिप्पणियों और उसमें अनिल यादव की संलिप्तता का कोई पुख्ता प्रमाण सामने नहीं आया है. क्या अभद्र टिप्पणी अनिल यादव ने की थी, क्या अनिल यादव समाजवादी पार्टी मीडिया सेल के साथ काम करते हैं. इन सभी सवालों का कोई स्पष्ट जवाब न तो लखनऊ पुलिस दे रही है न ही समाजवादी पार्टी. पुलिस के पास ऐसे कौन से सबूत हैं जिससे उसे पता चला कि अनिल यादव समाजवादी पार्टी मीडिया सेल का ट्विटर हैंडल चला रहे हैं.
अगर शिकायत पार्टी के मीडिया सेल के खिलाफ की गई तो फिर पार्टी के किसी पदाधिकारी के खिलाफ क्यों कोई कार्रवाई नहीं की गई? इन सवालों पर लखनऊ पुलिस बस इतना कह कर पल्ला झाड़ रही है कि जांच अभी जारी है.
यह रिपोर्ट पहले अंग्रेजी में प्रकाशित हो चुकी है.