पीड़ित बच्चे नहीं जानते कि वह एचआईवी से ग्रस्त हैं, हर पांच मिनट में हो रही एक की मौत

रिपोर्ट में जारी आंकड़ों को देखें तो 2020 में कम से कम 300,000 बच्चे एचआईवी संक्रमित हुए थे, जिसका मतलब है कि हर दो मिनट में एक बच्चा इस बीमारी की चपेट में आता है.

WrittenBy:ललित मौर्या
Date:
Article image

एचआईवी के उपचार पर भी पड़ा है कोरोना का व्यापक असर

रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 2020 की शुरुआत में कोरोना के चलते एचआईवी सेवाओं में भारी कमी आई थी. जहां एचआईवी से बुरी तरह प्रभावित देशों में शिशुओं की जांच में 50 से 70 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई थी, जबकि 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के उपचार की शुरुआत में 50 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई थी.

यही नहीं लॉकडाउन के दौरान महिलाओं के प्रति बढ़ते हिंसा के मामलों, स्वास्थ्य सुविधाओं में आती कमी और जरूरी सामान की कमी ने एचआईवी संक्रमण की वृद्धि में योगदान दिया था. यही नहीं कई देशों में स्वास्थ्य सुविधाओं के वितरण और गर्भवती महिलाओं में एचआईवी परीक्षण और एंटीरेट्रोवायरल उपचार में कमी का भी अनुभव किया था. उदाहरण के लिए दक्षिण एशिया में 2020 के दौरान गर्भवती महिलाओं के बीच एआरटी कवरेज 71 फीसदी से घटकर 56 फीसदी पर पहुंच गया था.

इस महामारी के खिलाफ हुई प्रगति के बावजूद पिछले कुछ दशकों में बच्चे और किशोर इस मामले में अभी भी पिछड़े हुए हैं, जिन्हें अभी भी पर्याप्त उपचार और सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं. वैश्विक स्तर पर इस बीमारी के लिए उपलब्ध एआरटी की बात करें तो जहां गर्भवती महिलों को 85 फीसदी और 74 फीसद वयस्कों को यह उपचार मिल पा रहा है, वहीं बच्चों में यह कवरेज अभी भी काफी कम है.

जहां दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा 95 फीसदी बच्चों को यह उपचार मिल रहा है. वहीं मध्य पूर्व और उत्तरी अफ्रीका में 77 फीसदी, पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 59 फीसदी, पूर्वी और दक्षिणी अफ्रीका में 57 फीसदी, दक्षिण अमेरिका और कैरिबियन में 51 फीसदी, जबकि पश्चिम और मध्य अफ्रीका में केवल 36 फीसदी संक्रमित बच्चों के लिए एंटीरेट्रोवायरल उपचार उपलब्ध है. ऐसे में जरूरी है कि इस महामारी से संक्रमित बच्चों पर विशेष ध्यान दिया जाए जिससे ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान इस महामारी से बचाई जा सके.

(डाउन टू अर्थ से साभार)

Also see
article image‘मानसिक बीमारी ठीक करने में सरकार से ज्यादा समाज की भूमिका’
article imageबाल विवाह के चलते हर साल हो रही है 22 हजार से ज्यादा बच्चियों की मौत

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like