अरुण पुरी के खिलाफ आपराधिक मानहानि केस को सुप्रीम कोर्ट ने किया रद्द

साल 2007 में इंडिया टुडे पत्रिका ने ‘मिशन मिसकंडक्ट’ शीर्षक से एक लेख प्रकाशित किया था. जिसमें एडिनबर्ग में तैनात भारतीय उप महावाणिज्य दूत ओपी भोला के खिलाफ आरोप लगाए गए थे.

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इंडिया टुडे के फाउंडर और एडिटर इन चीफ अरुण पुरी के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि केस को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया. यह केस साल 2007 में प्रकाशित एक लेख को लेकर था. 

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की बेंच ने जहां इंडिया टुडे के एडिटर इन चीफ अरुण पुरी को मुकदमे से राहत दी है वहीं आर्टिकल के लेखक सौरभ शुक्ला को राहत नहीं दी. कोर्ट ने शुक्ला की याचिका को खारिज कर दिया. 

साल 2007 में इंडिया टुडे पत्रिका ने ‘मिशन मिसकंडक्ट’ शीर्षक से  एक लेख प्रकाशित किया था. जिसमें एडिनबर्ग में तैनात भारतीय उप महावाणिज्य दूत ओपी भोला के खिलाफ आरोप लगाए गए थे. 

दिल्ली हाईकोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद पुरी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था. कोर्ट में पुरी के वकील ने प्रेस और पुस्तक पंजीकरण अधिनियम, 1867 की धारा 7 का हवाला देते हुए कहा कि केस संपादक और प्रिंटर पर केवल चलाया जा सकता है. क्योंकि पुरी पत्रिका के प्रधान संपादक हैं इसलिए उन पर केस नहीं चलाया जा सकता.

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