पीएम की रैली के लिए पत्रकारों से मांगा गया ‘चरित्र प्रमाण पत्र’ आदेश वापस

बिलासपुर सीआईडी ने इससे पहले एक नोटिस जारी कर कहा था कि चरित्र सत्यापन का प्रमाण पत्र देना होगा. और रैली या बैठक में पत्रकारों के जाने का निर्णय भी सीआईडी ही लेगी.

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार यानी दशहरे के दिन हिमाचल प्रदेश के दौरे पर रहेंगे. पीएम इस दौरे पर बिलासपुर में एक नए एम्स का उद्घाटन करेंगे और साथ ही एक रैली को भी संबोधित करेंगे.

पीएम के इस दौरे को लेकर पुलिस ने एक अजीबो-गरीब आदेश निकाला है. आदेश के मुताबिक पत्रकारों को पीएम की रैली को कवर करने के लिए “चरित्र प्रमाण पत्र” देना होगा. हालांकि इस आदेश पर विवाद बढ़ने के कारण पुलिस विभाग ने मंगलवार को आदेश वापस ले लिया.

बिलासपुर के जिला जनसंपर्क अधिकारी (डीपीआरओ) कुलदीप गुलेरिया ने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया कि बिलासपुर आए सीएम जयराम ठाकुर ने पत्रकारों से बातचीत के बाद इस आदेश को वापस लेने को कहा है.

खुद हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू ने भी ट्वीट कर बताया, “प्रधानमंत्री के 5 अक्टूबर, 2022, के हिमाचल प्रदेश दौरे को कवर करने के लिए सभी पत्रकारों का स्वागत है. हिमाचल प्रदेश पुलिस उनके कवरेज को सुगम बनाएगी. किसी भी असुविधा के लिए खेद है.”

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क्या था सीआईडी का आदेश?

बिलासपुर सीआईडी द्वारा प्रधानमंत्री की रैली को लेकर एक नोटिफिकेशन जारी किया गया था. इस नोटिफिकेशन में जिला जनसंपर्क अधिकारी (डीपीआरओ) को सभी प्रेस संवाददाताओं, फोटोग्राफरों, वीडियोग्राफरों और दूरदर्शन व आकाशवाणी की टीमों की सूची के साथ-साथ, उनके “चरित्र सत्यापन का प्रमाण पत्र” भी देने को कहा गया.

नोटिस में कहा गया, “चरित्र सत्यापन का प्रमाण पत्र पुलिस उपाधीक्षक, सीआईडी, बिलासपुर के कार्यालय में 1 अक्टूबर तक दे दिया जाए. रैली या बैठक में पत्रकारों के जाने का निर्णय इस (सीआईडी) कार्यालय द्वारा किया जाएगा.”

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डीपीआरओ कुलदीप कहते हैं, “यह जानकारी सीआईडी और एसपीजी सुरक्षा के मद्देनजर मांग रहे हैं. जिला मान्यता प्राप्त पत्रकारों से कोई पत्र नहीं मांगा गया है. शिमला से आ रहे पत्रकारों को सूचना एवं जनसंपर्क विभाग वेरिफाई कर रहा है. सिर्फ उन पत्रकारों से पत्र मांगा गया है जो मान्यता प्राप्त नहीं हैं.”

डीपीआरओ ‘चरित्र प्रमाण पत्र’ को लेकर कहते हैं, “यह गलत जानकारी है कि चरित्र प्रमाण पत्र मांगा गया. असल में जो मान्यता प्राप्त पत्रकार नहीं हैं, उनसे कहा गया है कि वह अपने संस्थान के लेटरहेड पर लिखाकर लाएं कि वह अधिकृत हैं इस रैली को कवर करने के लिए.”

पत्रकारों का पक्ष

बिलासपुर जिले में अधिकतर पत्रकारों को सीआईडी के आदेश के बारे में जानकारी नहीं है. मान्यता पत्र पत्रकारों ने कहा कि उनसे तो कोई ‘प्रमाण पत्र’ नहीं मांगा गया. पंजाब केसरी की पत्रकार गीतांजलि शर्मा कहती हैं, “मुझे इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. और न ही डीपीआरओ ने कभी कोई प्रमाण पत्र देने के लिए कहा है.”

बता दें कि सूचना एवं जनसंपर्क विभाग हिमाचल प्रदेश की वेबसाइट के मुताबिक, बिलासपुर जिले से सिर्फ 9 पत्रकार ही मान्यता प्राप्त हैं.

अजीत समाचार के पत्रकार कश्मीर सिंह कहते हैं, “हमने 29 सितंबर को डीपीआरपो कार्यालय में आधार कार्ड, दो फोटो और प्रेस आईडी कार्ड जमा कर दिया था पास बनाने के लिए. बाद में पता चला कि प्रमाण पत्र भी जमा करना है.”

बिलासपुर पंजाब केसरी के अन्य पत्रकार बंशीधर न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “पास बनाने के लिए चरित्र प्रमाण पत्र, आधार कार्ड मांगा जा रहा है. अगर आपके पास मान्यता पत्र है तो चरित्र प्रमाण पत्र नहीं देना होगा.”

बंशीधर आगे कहते हैं, “यह पहली बार है जब इस तरह का प्रमाण पत्र मांगा जा रहा है. हमारे संस्थान ने मेरे बारे में कवरेज को लेकर डीपीआरओ को मेल कर दिया है. पास बनता है तो ठीक है नहीं तो जय माता दी.”

हिमाचल अभी-अभी पोर्टल के स्थानीय पत्रकार कहते हैं, “डीपीआरओ द्वारा एक पत्र के लिए कहा गया, जो हमने अपने संस्थान से मांगा है. पत्र के साथ आधार कार्ड और दो फोटो मांगे गए हैं.”

डीपीआरओ कुलदीप कहते हैं, “यह कोई नया नहीं है कि पत्रकारों से उनके संस्थान के लेटरहेड पर कवरेज को लेकर पत्र मांगा गया है. पहले भी ऐसा होता रहा है. इस बार सिर्फ इसे बड़ा मुद्दा बना दिया गया. वैसे भी अब तो आदेश वापस हो गया है तो अब कोई भी पत्रकार आवेदन कर के कवरेज कर सकता है.”

वह आगे कहते हैं, “दिल्ली या चंडीगढ़ से आने वाले पत्रकार को स्थानीय कोई नहीं जानता. इसलिए संस्थान से पत्र मांगा गया था. आईडी कार्ड का क्या है, यह तो कोई भी बना सकता है.”

बिलासपुर दूरदर्शन के पत्रकार अजय उपाध्याय भी डीपीआरओ की बात से सहमति जताते हुए कहते हैं, “यह कोई नया नहीं है. संस्थान का लेटरहेड मांगा गया है, ताकि यह पता चल सके कि कौन पत्रकार है और कौन नहीं."

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