क्या चूक रहे चौहान? ‘नो नॉनसेंस’ से पकड़ी ‘कट्टर हिंदुत्व’ की राह

प्रदेश के मुख्यमंत्री अपनी नई छवि को लेकर काफी खुश हैं. इस छवि को पुख्ता करने की गरज से मध्य प्रदेश के हर जिले में बुलडोजर की कार्रवाई की गई है.

Article image

मध्य प्रदेश सरकार को कवर करने वाले पत्रकार हरीश दिवेकर कहते हैं, “मुख्यमंत्री द्वारा सार्वजनिक मंचों पर यह कहना कि जमीन में गाड़ दूंगा, माफिया प्रदेश छोड़ दें, मकान खोदकर मैदान बना दूंगा यह सब सख्त प्रशासक की छवि को दिखाता है. साथ ही इस तरह के बयान से अधिकारी समझ लेते है कि उन्हें क्या करना है.”

एक पत्रकार जिन्होंने प्रदेश में हुई हिंसाओं को कवर किया है वह कहते हैं, “कई जिलाधिकारियों ने मुझे बताया है कि उनके ऊपर बुलडोजर की कार्रवाई करने का दबाव है, क्योंकि ऊपर से आदेश है. कुछ अधिकारी ज्यादा से ज्यादा घर गिराकर सीएम की गुड लिस्ट में आना चाहते हैं.”

ऐसे किसी आदेश के दावे की पुष्टि न्यूज़लॉन्ड्री नहीं कर पाया. मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव एसआर मोहंती कहते हैं, “इस तरह की कार्रवाइयों के लिए कोई आदेश जारी नहीं होता. और ऐसा भी नहीं है कि अधिकारी ज्यादा से ज्यादा बुलडोजर की कार्रवाई कर रहे हैं, यह तो हर कलेक्टर पर निर्भर करता है.”

वह आगे कहते हैं, “प्रदेश में मुखिया मुख्यमंत्री होता है. इसलिए आदेश सिर्फ उसी का चलता है.”

सीएम के ओएसडी सत्येंद्र खरे द्वारा न्यूज़लॉन्ड्री को दिए बुलडोजर अभियान से जुड़े दस्तावेज के मुताबिक, प्रदेश में एक अप्रैल, 2020 से जून 2022 तक 2535 आरोपियों के विरुद्ध 949 अपराध दर्ज किए गए. सरकार ने बताया कि बुलडोजर की कार्रवाई से 25,191 एकड़ शासकीय भूमि मुक्त कराई गई.

सरकार ने अलग-अलग तरह की कार्रवाई को लेकर आंकड़े दिए है. यह तो साफ है कि भले ही बुलडोजर को लेकर कोई लिखित आदेश नहीं है लेकिन सरकार अपने बुलडोजर की कार्रवाइयों के आंकड़े इकट्ठा कर रही है.

शिवराज ‘मामा’ की छवि?

2020 में जोड़तोड़ के बाद सत्ता में वापसी के बाद से शिवराज सिंह अपनी छवि को लेकर काम कर रहे हैं. अब वो पूरी तरह से राजनीति पर ध्यान दे रहे है. इसके पीछे 2018 की हार अहम कारण है. माना जाता है कि भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की निगाह में भी शिवराज अब चुनाव-जिताऊ चेहरा नहीं रह गए हैं, लेकिन हटाया नहीं गया.

बीजेपी के एक विधायक कहते हैं, “ईमानदार छवि और कद के कारण ही उन्हें चौथी बार सीएम बनाया गया, वरना बीजेपी में चेहरों की कमी नहीं है. हाल फिलहाल में ऐसे नेताओं को बीजेपी ने आगे किया है जिसके बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा.”

एक राष्ट्रीय टीवी चैनल के पत्रकार कहते हैं, “राजनीति में हर आदमी महत्वाकांक्षी होता है. शिवराज भी सीएम से आगे बढ़ने के लिए काम कर रहे हैं. मोदी के बाद भाजपा में शिवराज ही जो चार बार मुख्यमंत्री बने हैं. लेकिन हाल के दिनों में जिस तरह से मोदी के बाद योगी की हवा चली है. उससे भी शिवराज के ऊपर अपनी छवि बदलने का दबाव पड़ा है.”

वो पत्रकार कहते हैं, “शिवराज की छवि चमकाने के लिए मुंबई की एक पीआर कंपनी हायर की गई है. यह सब उनको अगला चुनाव जिताने और सीएम पद की दावेदारी में बने रहने के लिए हो रहा है.”

2018 के चुनावों में हार के बाद शिवराज सिंह चौहान का कद थोड़ा कम हुआ है. लेकिन उसका असर बहुत ज्यादा नहीं है. दूसरी तरफ कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए नरोत्तम मिश्रा, गोपाल भार्गव जैसे नेताओं को इनाम भी मिला है.

बुलडोजर की कार्रवाइयां इन दिनों कम हो गई हैं. वरिष्ठ पत्रकार गिरिजा शंकर कहते हैं, “बुलडोजर कोई टिकाऊ मुद्दा नहीं है और स्टेट मशीनरी इन सबके लिए नहीं बनी है.”

चौहान के ओएसडी सत्येंद्र खरे न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “पहले जब चंबल में डकैतों का राज था. तभी भी सीएम ने ठान लिया था कि एमपी में डकैत नहींं रहेंगे जिसके बाद उन्होंने उनका सफाया कर दिया. वैसे ही हम माफियाओं के खिलाफ अभियान चला रहे हैं.”

नरोत्तम से खटास और कांग्रेस ने दिया वॉकओवर

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में रामनवमी के जुलूस के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा हुई. हिंसा के अगले ही दिन प्रशासन ने लोगों के घरों पर बुलडोजर चलवाना शुरू कर दिया. तलाब चौक पर स्थित जामा मस्जिद में लगे सीसीटीवी फुटेज जो न्यूज़लॉन्ड्री ने खुद देखा है. उसमें साफ दिख रहा है कि भीड़ द्वारा पत्थरबाजी की शुरूआत की गई. लेकिन बावजूद इसके पुलिस ने मस्जिद परिसर में बनी दुकानों को तोड़ दिया साथ ही कई बेगुनाह लोगों के घरों पर बुलडोजर चला दिया.

इस घटना के 25 दिनों बाद कांग्रेस का एक प्रतिनिधिमंडल प्रभावित परिवार से मिलने के लिए घटनास्थल पर गया. पार्टी ने 25 दिन का इंतजार किया, जबकि जिस इलाके में यह हिंसा हुई वहां कांग्रेस पार्टी के विधायक रवि जोशी हैं. खरगोन जिले की छह विधानसभी सीटों में से पांच पर साल 2018 में कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की थी.

जिस घटना की चर्चा पूरे देश में हो रही थी उस जिले में कांग्रेस पार्टी के चार विधायक होने के बावजूद वह पीड़ित परिवारों तक नहीं पहुंच पाए. न्यूज़लॉन्ड्री को कई ऐसे कई परिवार मिले उन्होंने बताया कि घर टूट जाने के बावजूद विधायक उनसे मिलने तक नहीं आए.

कांग्रेस मीडिया प्रमुख केके मिश्रा कहते हैं, “बतौर विपक्षी दल हमने बुलडोजर के जरिए बेगुनाह लोगों के घरों को गिराए जाने के मुद्दे को पुरजोर तरीके से उठाया है. हमारा प्रतिनिधिमंडल हिंसा वाली जगहों पर गया और पीड़ित लोगों से भी मिला.”

विपक्ष कमजोर है लेकिन कई बार शिवराज के मंत्रिमंडलीय सहयोगी और गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा के बयान विपक्ष की कमी को पूरा कर देते है. एक वक्त था जब मिश्रा हर दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस करते थे. अजाकल बंद कर दिया है. एक पत्रकार कहते हैं, “नरोत्तम और शिवराज में पैचअप हो गया है.”

भोपाल में पत्रकारों और बीजेपी-कांग्रेस के दफ्तर में नरोत्तम मिश्रा के बारे में अब प्रचलित है कि मिश्रा अपनी मर्जी से एक कांस्टेबल का भी ट्रांसफर नहीं कर पाते. उनके आदेश मुख्य सचिव और सीएम ऑफिस में अटके रहते हैं. एक अधिकारी के मुताबिक एक बार मिश्रा ने चौहान से पूछ लिया था कि उनके अधिकार क्या हैं.

मिश्रा के पीछे अमित शाह का वरदहस्त माना जाता है. कहते हैं कि शाह के संरक्षण के कारण ही मिश्रा के तमाम बड़बोले बयानों के बावजूद पार्टी ने कभी उन्हें कुछ नहीं बोला.

देश की राजनीति में हिंदुत्व की जो लहर है उसके थपेड़ों से शिवराज भी बहुत ददिनों तक बच नहीं सकते. सौम्य, शिष्ट, विनम्र और सर्वसुलभ अब भाजपा ही नहीं रह गई है तो शिवराज कैसे रह सकते हैं. ‘बुलडोजर मामा’ उसी की परिणति है.

(यह ग्राउंड रिपोर्ट सीरीज़ एनएल सेना प्रोजेक्ट के तहत की जा रही है. यदि आप इस सीरीज़ को समर्थन देना चाहते हैं तो यहां क्लिक करें.)

Also see
article image‘बुलडोजर न्याय’ की रियासत बन गया मामा का मध्य प्रदेश
article imageप्रयागराज हिंसा: जावेद मोहम्मद के घर पर हुई बुलडोजर कार्रवाई कितनी सही?
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like