बुलडोजर का संक्रमण उत्तर प्रदेश की सीमा पार कर मध्य प्रदेश तक पहुंच गया. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी योगी का अनुसरण किया. व्यापक पैमाने पर बुलडोजर की कार्रवाईयां कीं. लेकिन क्या वो बुलडोजर के पोस्टरबॉय बन पाए?
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने घरों पर भी बुलडोजर
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और उनके मंत्री बुलडोजर की कार्रवाई को सही ठहराते हुए कहते हैं कि घरों को इसलिए गिराया गया क्योंकि वह अवैध रूप से बने हैं. हालांकि न्यूज़लॉन्ड्री ने इन दावों की धरातल पर जाकर पड़ताल की और पाया कि यह सही नहीं है.
विदिशा जिले के इस्लामनगर गांव को ही लीजिए. यहां रहने वाले 80 साल के अब्दुल खान खेत में मजदूरी कर गुजर-बसर करते हैं. वह गांव के किनारे एक झोपड़ी में रहते थे, लेकिन साल 2016-17 में उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत पक्का घर मिल गया. लगभग चार साल बाद, 20 मार्च, 2021 को शिवराज सिंह की सरकार ने घर को अवैध घोषित कर दिया और उस पर बुलडोजर चलवा दिया.
धरगा पंचायत के सहायक सचिव मुकेश कुमार कहते हैं, “अब्दुल खान का नाम 2016-17 में प्रधानमंत्री आवास योजना की लिस्ट में आया. उनकी जमीन को चार बार ‘जियोटैग’ किया गया और उन्हें घर बनाने के लिए तीन किश्तों में 1,20,000 रुपये दिए गए थे. सरकार ने उस इलाके में बिजली आने पर उन्हें कनेक्शन भी दे दिया और पानी के लिए हैंडपंप भी लगवा दिया था. लेकिन पिछले साल (2021 में) अचानक से प्रशासन और वनविभाग ने उनके घर को अवैध बता कर तोड़ दिया. वो उस इलाके में 40 सालों से रह रहे थे. अब अचानक वो जगह अवैध हो गई? अब वो बेचारे सड़क पर आ गए हैं. प्रशासन ने इस दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने कई अन्य घरों पर भी बुलडोजर चलवा दिया.”
45 वर्षीय शफ़ीक़ खान का घर भी पीएम आवास योजना के तहत ही बना था. वह कहते हैं, “हमारा घर तैयार हो गया था. हम उसमें रहने के लिए जाने ही वाले थे कि उसके पहले ही हमारे मकान पर बुलडोजर चल गया. जिस दिन मेरा घर गिरा उस दिन मैं मजदूरी करने के लिए शाजापुर में था. पत्नी ने फोन पर बताया कि मकान पर बुलडोजर चला दिया गया है. हमें यह घर सरकार ने दिया था, पंचायत ने जांच की थी, सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी की थी. लेकिन अचानक फिर रातों रात वह जगह अवैध हो गई? अगर अवैध ही थी तो पंचायत ने घर बनाने की वहां इजाजत क्यों दी?"
सवाल यह है कि एक सरकारी योजना के तहत स्वीकृत और निर्मित घर, सत्यापन के बाद कैसे अवैध हो सकते हैं? इसका जवाब सरकार के पास नहीं है.
अवैध जमीन बताकर मुस्लिम परिवारों के घरों को तोड़ा गया लेकिन शायद असल वजह ये नहीं थी.
बुलडोजर आने से दो दिन पहले, इस्लामनगर से करीब चार किलोमीटर दूर मुरवास के सरपंच, संतराम धौलपुरिया की हत्या कर दी गई थी. पुलिस ने हत्या के आरोप में फकीर मोहम्मद खान और उसके परिवार के तीन सदस्यों को गिरफ्तार किया था.
हिंदू सरपंच की हत्या के अगले दिन भाजपा और विहिप के कार्यकर्ताओं ने मुरवास में विरोध प्रदर्शन किया. प्रदर्शन का परिणाम यह हुआ कि सरकार ने मुरवास, इस्लामनगर और आसपास के गांवों में 42 घरों पर बुलडोजर चला दिए. इन घरों में 13 घर ऐसे थे जो प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने थे.
भाजपा सरकार ने एक अपराध के लिए स्थानीय मुस्लिम समुदाय को दंडित किया. उन्होंने घरों पर बुलडोजर चलाने के लिए मुस्लिम घरों को चुना और उनके ठीक बगल में बने हिंदू घरों को कुछ नहीं किया.
इस्लामनगर के 32 वर्षीय मोहम्मद हसीन का भी घर तोड़ दिया गया. वह कहते हैं, "अगर यहां के सारे घर अवैध थे तो सारे घर क्यों नहीं तोड़े? ऐसा तो हो नहीं सकता कि एक मोहल्ले में एक ही जगह बने हुए चार घर अवैध हों और एक घर वैध हो.”
हसीन जिस वैध घर की बात कर रहे थे वह उनके पड़ोसी वीरेंद्र सिंह का है. ये उस इलाके में बना एकमात्र पक्का घर है जो अभी भी खड़ा है. जब हम वहां पहुंचे तो वीरेंद्र घर पर नहीं थे. यह पूछे जाने पर कि उनके घर पर बुलडोजर क्यों नहीं चला? वह कहते हैं, “सभी के मकान तोड़ दिए गए थे, हमारा घर भी तोड़ दिया गया था. बस थोड़ा सा हिस्सा बचा था.”
एक तरफ शिवराज सिंह चौहान की सरकार मुसलमानों के खिलाफ ही सामूहिक बुलडोजर की कार्रवाई कर रही है, वहीं दूसरी तरफ मुरवास में हुई घटना के जैसे या उससे भी बड़े वीभत्स अपराध करने वाले हिंदुओं के साथ उनका व्यवहार अलग है.
इसका एक ताजा उदाहरण मई 2022 का है, जब भाजपा कार्यकर्ता दिनेश कुशवाहा ने “मुसलमान” होने के संदेह में एक बुजुर्ग व्यक्ति को पीट-पीट कर बेरहमी से मार डाला. बाद में मृतक की पहचान 65 साल के भंवरलाल जैन के रूप में हुई. जैन अपने परिवार के साथ राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के किले की यात्रा के दौरान लापता हो गए थे. भंवरलाल के छोटे भाई राजेश जैन कहते हैं, “मेरे भाई को बेरहमी से पीटा जा रहा था. वीडियो बहुत छोटा था. हमने हत्या का पूरा सीसीटीवी फुटेज देखा. उस आदमी ने मेरे भाई को प्रताड़ित कर मार डाला.”
वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने भाजपा कार्यकर्ता के घर पर एक बुलडोजर भेजा और धमकी दी कि अगर कुशवाहा ने आत्मसमर्णण नहीं किया तो वह उनके घर पर बुलडोजर चला देंगे. जिसके बाद 21 मई को कुशवाहा ने आत्मसमर्पण कर दिया. उनके आत्मसमर्पण करने पर पुलिस ने बुलडोजर को वापस बुला लिया.
मानसा पुलिस स्टेशन के थाना प्रभारी केएल डांगी न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, ”हमने घर को नहीं गिराया क्योंकि वह घर कुशवाहा के पिता, मां और भाई के नाम पर है. हम उन घरों को नहीं गिरा सकते जिसका मालिकाना हक कई लोगों के पास है. अगर यह घर सिर्फ कुशवाहा के नाम पर होता तो हम इस पर बुलडोजर चला देते.”
राजेश जैन कहते हैं, "एक बार के लिए भी गृह मंत्री या मुख्यमंत्री या उनके कार्यालय से किसी ने हमसे संपर्क नहीं किया. अगर आरोपी मुस्लिम होता तो उसका घर निश्चित रूप से गिरा दिया गया होता, बिना किसी जांच के कि घर उसके नाम पर है या नहीं. कुशवाहा ने बेरहमी से मेरे भाई की हत्या की है.”
जब मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से पूछा गया कि भंवरलाल के हत्यारे के घर पर बुलडोजर क्यों नहीं चला? तो जवाब में नरोत्तम मिश्रा ने कहा, “आरोपी को पकड़ लिया गया है. मृतक जैन समाज के व्यक्ति थे. वे भटक गए थे और भटकने के बाद में वो अपना परिचय ठीक से नहीं दे पा रहे थे. वो कुछ शब्दों पर अटकते थे. मृतक के परिवार वालों ने यह जानकारी दी कि वो मंदबुद्धि थे.”
न्यूज़लॉन्ड्री ने मिश्रा को उनकी सरकार द्वारा मुसलमानों की संपत्तियों को चुन-चुन कर गिराने, और “बुलडोजर न्याय” की वैधता को लेकर विस्तार से प्रश्न भेजे हैं. उनकी ओर से कोई भी जवाब आने पर इस खबर में जोड़ दिया जाएगा.
मुख्यमंत्री के कार्यालय से सवाल किया गया कि सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के तहत बने घरों को क्यों गिराया?. इस पर मुख्यमंत्री के ओएसडी सत्येंद्र खरे कहते हैं, "मुझे लगता है कि आपको गलत जानकारी मिली है. अगर पीएमएवाई के तहत बनाए गए इतने घरों पर बुलडोजर चला दिया गया होता? तो यह सार्वजनिक रूप से सामने आ जाता. हमें एक पीएमएवाई घर के गिराए जाने के बारे में एक शिकायत मिली और हमने इसके पुनर्निर्माण को मंजूरी दी. मैं आपको जवाब देने को बाध्य नहीं हूं, लेकिन मैं आपके सवालों को मुख्यमंत्री को भेज दूंगा.”
हालांकि, वकील एहतेशाम हाशमी कहते हैं कि "बुलडोजर अभियान" अवैध है. उन्होंने बुलडोजर अभियान के तहत गिराए गए घरों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
वह कहते हैं, “हमारा देश संविधान द्वारा शासित होता है. हम पुलिस राज्य नहीं हैं. संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार प्रत्येक नागरिक को जीवित रहने और स्वतंत्रता का अधिकार है. जिसका अर्थ है कि बिना कानूनी प्रक्रिया के किसी को भी दंडित नहीं किया जा सकता है. बीजेपी सरकार देश में पुलिस राज लाने पर आमादा है. अगर आप इस तरह की प्रथाओं का पालन करना चाहते हैं तो संविधान को फाड़ दो, और अदालतों को बंद कर दो.”
उन्होंने नारे लगाए ‘मुल्ले काटे जाएंगे’
इस्लामनगर के हसीन को अभी भी यह समझ में नहीं आया कि शिवराज सिंह चौहान के प्रशासन ने उनके गांव में घरों को क्यों तोड़ा? वह कहते हैं, “हमारा गांव मुरवास से 3-4 किमी दूर है और हममें से कोई भी वहां हुई हिंसा में शामिल भी नहीं था. यहां तक कि हमारी पंचायत भी अलग है.”
हसीन याद करते हुए बताते हैं कि 20 मार्च की मनहूस सुबह कुछ पुलिसकर्मी उनके गांव आए और ग्रामीणों से कहा कि वे अपने घर छोड़ दें, क्योंकि उन्हें तोड़े जाने के लिए चिह्नित किया गया था. उन्होंने न तो कोई आदेश दिखाया और न ही कोई कारण बताया.
हसीन बताते हैं, “बीस मिनट बाद गांव में लगभग 200 पुलिसकर्मी थे. उनके पास बंदूकें और आंसू गैस के गोले थे. मैंने 20-25 वन विभाग और स्थानीय अधिकारियों को भी देखा. वे दो ट्रैक्टर और तीन बुलडोजर साथ लाए थे. हमारे कुछ बुजुर्गों ने उनसे बात करने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया. कुछ पुलिस वाले हमारा मजाक उड़ाकर हंस रहे थे.”
हसीन ने आरोप लगाया कि अधिकारियों के साथ आए कुछ अन्य लोग मुसलमानों को लूटने और मारे दिए जाने के लिए चिल्ला रहे थे. उन लोगों ने, "लूट लो इन कटुओं को" और "मुल्ले काटे जाएंगे" जैसे शब्दों का प्रयोग किया.
वैसे तो शिवराज सरकार के निशाने पर ज्यादातर मुसलमान ही हैं लेकिन कई हिंदुओं को भी इसका नुकसान उठाना पड़ा है. कटनी के सावरकर वार्ड में रहने वाली 60 साल की निराशा बाई लोगों के घरों में बर्तन धोकर अपना जीवन यापन करती हैं. इस साल 20 अप्रैल को रामनवमी के जुलूसों के बाद प्रदेश के कई हिस्सों में हिंसा हुई. जैसा अन्य जगहों पर किया गया, वैसे ही निराशा के घर को भी अवैध घोषित किया गया और फिर उस पर बुलडोजर चला दिया गया.
हालांकि उन्होंने आरोप लगाया कि अधिकारियों ने यह कहते हुए उनके घर को गिराया कि उनका पोता अवैध शराब के कारोबार में शामिल है. वह कहती हैं, “मेरे घर को गिराने से लगभग एक महीने पहले एक नोटिस मिला था. यह मेरे पोते के नाम पर था. जो कि अजीब है, क्योंकि वह यहां रहता नहीं है और यह घर मेरे नाम पर है. दो दर्जन पुलिसकर्मी और एक दर्जन अधिकारी और एसडीएम मेरे घर आए. उन्होंने कहा कि वे इसे तोड़ रहे हैं क्योंकि मेरा पोता अवैध शराब का कारोबार करता था. मैंने उन्हें बताया कि यह घर उसका नहीं है, वह मेरे साथ नहीं रहता. लेकिन उन्होंने मेरी एक नहीं सुनी. बुलडोजर चलाने के बाद वह मुझे साथ ले गए और वृद्धाश्रम में छोड़ दिया.”
अंतरधार्मिक विवाह के बाद बुलडोजर
मंडला जिले के डिंडोरी इलाके में हलीम खान के घर और तीन दुकानों पर अप्रैल 2022 में बुलडोजर चला. उनका गुनाह था कि उनके बेटे आसिफ खान ने अपने बचपन की दोस्त साक्षी साहू से भाग कर शादी की.
खान के घर बुलडोजर तब आया जब साक्षी के माता-पिता ने भाजपा और बजरंग दल के स्थानीय नेताओं के साथ, आसिफ पर "लव जिहाद" का आरोप लगाते हुए एक एफआईआर दर्ज कराई. इस शादी के विरोध में हिंदू समूहों के कार्यकर्ताओं ने डिंडोरी में विरोध प्रदर्शन किया और सड़कों पर चक्का जाम किया.
हलीम न्यूज़लॉन्ड्री से कहते हैं, “यह एक बुरा सपना था. हर कोई अचानक मेरा दुश्मन बन गया. पुलिस, बीजेपी, बजरंग दल, सब मेरे पीछे आए. उन्होंने मेरे बेटे और पूरे परिवार के खिलाफ अपहरण का केस दर्ज कराया और मुझे थाने बुलाया. मैंने उन्हें समझाया कि यह अपहरण का मामला नहीं है. आसिफ और साक्षी से भी बात कराई. पुलिस अधिकारियों और मैंने भी उन्हें वापस लौटने के लिए मनाने की कोशिश की क्योंकि स्थिति तनावपूर्ण थी. लेकिन उन्होंने मना कर दिया. हालांकि उन्होंने स्पष्ट रूप से पुलिस को बताया कि वे अपनी मर्जी से भागे थे.”
हलीम बताते हैं, “पुलिस ने मुझे तीन दिनों तक थाने में रखा और उस दौरान उन्होंने मेरे घर और दुकानों पर बुलडोजर चला दिया. उसके बाद भी स्थानीय मीडिया ने मुझे और मेरे परिवार को बदनाम करना बंद नहीं किया. मेरा पूरा परिवार बिखर गया. मेरे छोटे बेटे अकील और मैंने 12 दिन जंगलों, पहाड़ों और बस स्टॉप पर छिपकर बिताए. साक्षी ने 10 अप्रैल को मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए एक वीडियो जारी किया और बताया कि उसने अपनी मर्जी से आसिफ से शादी की है, और वह वापस आ सकते हैं.”
आखिर में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने इस मामले में 23 अप्रैल को आसिफ और साक्षी को सुरक्षा प्रदान की.
अप्रैल महीने में शिवराज सिंह के बुलडोजर अभियान में सेंधवा की सकीना इस्माइल खान का घर भी तोड़ दिया गया. सकीना ने कहा कि अधिकारियों ने उन्हें बताया कि यह उनके बेटे शाहबाज खान के "राम नवमी दंगे" में शामिल होने की सजा है.
प्रशासन ने सकीना को कोई नोटिस या आदेश नहीं दिखाया. इतना ही नहीं दंगे के वक्त शाहबाज सेंधवा जेल में बंद था. यह विचारणीय बात है कि जब वह पहले से ही जेल में बंद था, तो दंगे में कैसे शामिल हुआ? पुलिस ने शाहबाज और दो अन्य लोगों को 5 मार्च को फायरिंग की एक घटना के सिलसिले में गिरफ्तार किया था, साथ ही पुलिस ने उसकी गिरफ्तारी पर घोषणा करते हुए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी की थी.
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(इस स्टोरी के दूसरे हिस्से में हम शिवराज सिंह चौहान के "बुलडोजर अभियान" के पीछे उनकी राजनीतिक मजबूरियों की समीक्षा करेंगे.)