कांग्रेस की नई मीडिया टीम: टीम नई, तेवर नई

कांग्रेस पार्टी ने महीना भर पहले अपनी पूरी कम्युनिकेशन टीम का नए सिरे से गठन किया है. उसका एक लेखाजोखा.

Article image

पवन खेड़ा कहते हैं, “हम सोशल मीडिया के जरिए हर दिन अपनी बात करोड़ों लोगों तक पहुंचा रहे हैं. राजनीति में संवाद बहुत जरूरी है इसलिए हम हर दिन भाजपा सरकार की नाकामियों को उजागर कर रहे हैं.”

वह आगे कहते हैं, “मीडिया द्वारा बीजेपी और नरेंद्र मोदी की आर्टिफीशियल इमेज बनाई गई है. जिसको हम हर दिन काउंटर कर रहे हैं. अब हम रिएक्टिव और प्रोएक्टिव संवाद पर ज़ोर दे रहे हैं.”

एक तरफ जहां कांग्रेस के प्रवक्ता टीवी चैनलों पर पार्टी की बात प्रमुखता से रख रहे हैं, वहीं जयराम रमेश पार्टी की छवि को सुधारने के लिए विभिन्न चैनलों के संपादकों से लगातार मुलाकात भी कर रहे हैं. संपादकों के साथ मुलाकात को पार्टी के कई नेताओं और पत्रकारों ने पुष्टि की है.

एक पत्रकार कहते हैं, “जयराम रमेश और विनीत पुनिया अलग-अलग चैनलों के संपादकों के साथ बैठक कर रहे हैं. उम्मीद हैं इस बैठक का कुछ परिणाम टीवी चैनलों पर देखने को मिलेंगे.”

खेड़ा कहते हैं, “ऐसी बैठके पहले भी होती रही हैं. हमने चैनलों से बैठक में फेक न्यूज़ न दिखाने और समाज को बांटने वाले कंटेंट से परहेज करने की बात कही है.”

ज़ी न्यूज़ के खिलाफ कार्रवाई के कुछ दिनों बाद पवन खेड़ा ने एक ट्वीट किया जिसके कई अर्थ निकाले जा रहे हैं. उन्होंने लिखा, “हर एक दिन, हर शब्द जो आप कह रहे हैं, हर खेल जो आप खेल रहे है, हम आपको देख रहे हैं”

कांग्रेस पार्टी की नई रणनीति के अनुसार पार्टी या उसके नेताओं के खिलाफ फेक न्यूज़ चलाने वालों पर अब जवाब देने के अलावा कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी. पार्टी के प्रवक्ताओं को हर विषय पर पार्टी का पक्ष रखने के लिए शोध टीम रिसर्च करके देगी. साथ ही यह टीम चैनलों की निगरानी भी कर रही है.

इस समय कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ताओं की जो सूची है उसमें वह नेता शामिल है जो आक्रमक शैली में जवाब देते हैं. गौरव वल्लभ, सुप्रिया श्रीनेत, अल्का लांबा, रागिनी नायक, पवन खेड़ा, अलोक शर्मा के चेहरे प्रमुखता से देखे जा सकते हैं. खेड़ा कहते हैं, “प्रवक्ता पार्टी की पहचान हैं. लोग प्रवक्ताओं से ही पार्टी को जानते हैं. हमारे प्रवक्ताओं को अब जनता सुनना चाहती है. सभी की अलग-अलग खूबी है, जिसे लोग पंसद कर रहे हैं.”

पार्टी ने टीवी चैनलों के स्व नियमन संस्था एनबीडीएसए को पत्र लिखकर ज़ी के खिलाफ शिकायत की साथ ही कार्रवाई करने की भी मांग की. इस तरह की शिकायत पार्टी द्वारा पहली बार की गई है. पवन खेड़ा कहते हैं, “पार्टी हर वह कदम उठा रही है जो कानूनन सही है, इसलिए हमने पहले एफआईआर दर्ज कराई और फिर चैनल की शिकायत की.”

कांग्रेस को लेकर मीडिया का रूख

वरिष्ठ पत्रकार राशिद किदवई कहते हैं, “कांग्रेस में कपिल सिब्बल, शशि थरूर जैसे नेताओं के व्यक्तिगत संबंध मीडिया से अच्छे हैं, इसलिए कभी इन नेताओं के खिलाफ मीडिया में खबरें नहीं आती हैं. अगर आती भी है तो ज्यादा बात नहीं होती. इसके उलट कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी या राहुल गांधी ने कभी मीडिया से बेहतर संबंध नहीं बनाए. उन्होंने अपने कुछ खास लोगों के भरोसे मीडिया को आउटसोर्स किया.”

वह आगे कहते हैं, “अब मीडिया को पार्टी के इतर व्यक्तिगत नेताओं द्वारा मैनेज किया जा रहा है. जैसे की नरेंद्र मोदी, केसीआर, नवीन पटनायक आदि. लेकिन कांग्रेस में ऐसा नहीं है. इतने साल सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार मीडिया को लेकर पॉलिसी नहीं बना पाई. गांधी परिवार के पास मीडिया का एक्सेस तक नहीं है फिर चाहे वह कोई भी पत्रकार या मीडिया संस्थान हो.”

“जब आप मीडिया से मिलेंगे नहीं या उन्हें साधने की कोशिश नहीं करेंगे तो कैसे संबंध अच्छे होंगे. पार्टी ने पहले बहुत से मीडिया घरानों के लोगों को सांसद बनाया लेकिन वह सिर्फ उन तक ही सीमित था,” किदवई बताते हैं.

बीजेपी के साथ ही दूसरी पार्टियां भी मीडिया को मैनेज कर रही हैं. लेकिन कांग्रेस इसमें विफल नजर आती है. हालांकि पार्टी की सरकार राजस्थान और छत्तीसगढ़ में है लेकिन मीडिया रणनीति के मामले में यह छोटे से राज्य दिल्ली की आम आदमी पार्टी से कोसों पीछे हैं.

पवन खेड़ा कहते हैं, “मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है. अगर उसके साथ खिलवाड़ किया जाएगा तो लोकतंत्र खतरे में पड़ जाएगा. हमें उम्मीद हैं कि एक दिन मीडिया भी अपनी अंतरआत्मा की आवाज सुनेगा और सच दिखाएगा.”

यह मामला इतना आसान नहीं है. पार्टी की राज्य इकाई के नेता अपने ही राज्य में मीडिया पर खर्च करना चाहते हैं. दूसरे राज्यों में नहीं. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं, “मीडिया को विज्ञापन देने के मामले पर पार्टी में बात हुई थी लेकिन राज्य स्तर के नेता अपने राज्य में विज्ञापन देना चाहते हैं, ना कि राष्ट्रीय स्तर पर. आप देखें, बीजेपी की सरकार है इसलिए वह राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया को विज्ञापन देती है. उसी तरह आप की दिल्ली में सरकार है, इसलिए वह यहां मीडिया को विज्ञापन देती है. लेकिन अन्य पार्टियों के साथ ऐसा नहीं है फिर चाहे वह ममता हो, स्टालिन हो, केसीआर हो अन्य कोई पार्टी.”

कांग्रेस पार्टी के दफ्तर में वैसे तो सभी टीवी चैनलों के रिपोर्टर बैठते हैं. सिर्फ रिपब्लिक को छोड़कर. पवन खेड़ा कहते हैं “हम रिपब्लिक, ज़ी न्यूज. टाइम्स नाउ और सीएनएन पर आनंद नरसिम्हन के शो पर नहीं जाते. बाकी चैनलों पर हम अपना पक्ष रखते हैं.”

क्या कुछ समय के लिए एक्टिव है कांग्रेस संचार टीम?

पत्रकार राशिद किदवई कहते हैं, “जब भी कोई नई टीम बनती है या कोई नया नेता आता है तो वह कुछ अलग करने की कोशिश करता है. अब देखना होगा की संचार टीम की सक्रियता कितने दिन रहती है.”

संचार और मीडिया टीम में कुल मिलाकर लगभग 100 लोग हैं. जयराम रमेश ने अभी तक अपनी टीम घोषित नहीं की है. उनको आए करीब एक महीने से ज्यादा का वक्त हो गया है. पवन खेड़ा कहते हैं जल्द ही टीम की घोषणा की जाएगी.

कांग्रेस कवर करने वाले एक टीवी पत्रकार कहते हैं, “मीडिया को विज्ञापन चाहिए जो उन्हें सत्ता पक्ष से मिल रहा है. वह तब तक इनके पक्ष की खबरें नहीं दिखाएगा जब तक उसे मोटा विज्ञापन नहीं मिल जाएगा. सिर्फ विज्ञापन ही नहीं, कुछ को सरकारी एजेंसियों का डर भी है. इसलिए सब एक पक्ष में ही बोल रहे है.”

वो आगे कहते हैं, “इस तरह के माहौल में कांग्रेस पार्टी को लगातार सक्रिय होना पड़ेगा तभी कुछ परिणाम दिखेगा.

तमाम चुनौतियों के बावजूद संचार विभाग के सचिव विनीत पुनिया बड़ी उम्मीद से कहते हैं, “2024 में सरकार बदलेगी. मैंने साल 2012 भी देखा है.”

उम्मीद पर दुनिया कायम है.

Also see
article imageबोरिस जॉनसन के इस्तीफे की वजह और ब्रिटेन की राजनीति में आगे क्या?
article image‘वे सोलह दिन’: कांग्रेस की नीतियों और संविधान से पैदा हुई चुनौतियों का टकराव

Comments

We take comments from subscribers only!  Subscribe now to post comments! 
Already a subscriber?  Login


You may also like