बारिश न होना चिंता की बात है. पिछले साल इस समय तक 36.02 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी थी, जो इस बार केवल 19.59 लाख हेक्टेयर ही हो पाई है.
बारिश न होने का सबसे अधिक खामियाजा महाराष्ट्र को भुगतना पड़ रहा है. आंकड़े बताते हैं कि जून के चौथे सप्ताह तक महाराष्ट्र में पिछले साल 32.12 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ की बुई हो बुवाई चुकी थी, लेकिन इस साल केवल 17.53 लाख हेक्टेयर ही बुवाई हो पाई है.
मध्य भारत के राज्य मध्य प्रदेश में 5.65 लाख हेक्टेयर के मुकाबले आधी से भी कम 2.56 लाख हेक्टेयर, ओडिशा में 2.19 लाख के मुकाबले 1.21 लाख, छत्तीसगढ़ में 2.93 लाख हेक्टेयर में खरीफ की बुवाई केवल एक चौथाई (55 हजार हेक्टेयर) ही बुवाई हो पाई है.
मध्य भारत के अलावा उत्तर भारत के उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान भी खरीफ फसलों के प्रमुख उत्पादक राज्य हैं. यहां भी फसलों की बुवाई काफी कम हुई है. जैसे कि उत्तर प्रदेश में 30.51 लाख के मुकाबले 29.449 लाख हेक्टेयर, पंजाब में 19.48 लाख के मुकाबले आधे से कम यानी 7.99 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 14.50 लाख के मुकाबले 10.28 लाख हेक्टेयर, हरियाणा में 9.22 लाख हेक्टेयर के मुकाबले 9.22 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो पाई है.
अकेला गुजरात ऐसा राज्य है, जहां इस साल के खरीफ सीजन में पिछले साल के मुकाबले अधिक बुवाई रिकॉर्ड की गई है. पिछले साल गुजरात में 8.63 लाख हेक्टेयर के मुकाबले इस साल जून के चौथे सप्ताह तक 12.03 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है.
धान की फसल पर संकट
खरीफ सीजन की प्रमुख फसल धान यानी चावल है. अब तक आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल इस समय तक 36.02 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी थी, जो इस बार केवल 19.59 लाख हेक्टेयर ही हो पाई है. इस सीजन तक सबसे अधिक धान की बुवाई पंजाब में होती है.
पंजाब में पिछले साल जून के चौथे सप्ताह तक 15.74 लाख हेक्टेयर में धान की बुवाई हो चुकी थी, लेकिन इस साल लगभग एक चौथाई यानी 4.34 लाख हेक्टेयर में ही धान की बुवाई हो पाई है.
उत्तर प्रदेश में 2.95 लाख के मुकाबले 2.61 लाख हेक्टेयर, ओडिशा में 1.42 लाख हेक्टेयर के मुकाबले आधी से कम 4.34 लाख हेक्टेयर, नागालैंड में 1.07 लाख के मुकाबले 88 हजार हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 78 हजार के मुकाबले 45 हजार हेक्टेयर में ही धान की बुवाई हो पाई है. मध्य प्रदेश एक प्रमुख धान उत्पादक राज्य है, लेकिन कृषि मंत्रालय के पास मध्य प्रदेश का आंकड़ा नहीं है.
(डाउन टू अर्थ से साभार)