लोकसभा में पूछे गए एक सवाल में सरकार ने बताया कि 2018-19 से फसल बीमा के दावों का भुगतान लंबित है.
2019-20 में जहां किसानों ने 27,394 करोड़ रुपए के नुकसान का दावा किया, वहीं 2020-21 में यह राशि घट कर 9,725.24 करोड़ रुपए (प्रोविजनल) हो गई. पीएमएफबीवाई के तहत स्वीकार्य दावों का भुगतान आमतौर पर संबंधित बीमा कंपनियों द्वारा 'फसल काटने के प्रयोग'/कटाई अवधि के पूरा होने के दो महीने के भीतर किया जाता है.
अपने जवाब में सरकार ने कहा, "हालांकि कुछ राज्यों में दावे के निपटारे में देरी की वजह से उपज के आंकड़ों के हस्तांतरण में देरी, प्रीमियम सब्सिडी में उनके हिस्से को देर से जारी करना, बीमा कंपनियों और राज्यों के बीच उपज संबंधी विवाद भी है, लेकिन एक प्रमुख कारण राज्यों में सब्सिडी का बकाया होना है.
कृषि मंत्री ने कहा कि कुछ राज्यों ने प्रीमियम सब्सिडी का अपना हिस्सा जारी नहीं किया है. भारी वित्तीय बोझ का हवाला देते हुए कई राज्य पिछले कुछ वर्षों में प्रीमियम के अपने हिस्से का भुगतान करने में नियमित नहीं रहे हैं. एक अलग प्रश्न के जवाब में सरकार ने कहा है कि फसल बीमा भुगतान में राज्यों की सब्सिडी का लगभग 4,744 करोड़ रुपए बकाया है, जो कुल लंबित दावों की राशि से अधिक है. अपने जवाब में सरकार ने आंकड़ों के इस बेमेल की व्याख्या नहीं की है.
(साभार- डाउन टू अर्थ)