26 अप्रैल को भलस्वा लैंडफिल साइट पर आग लगने से स्थानीय लोगों की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर पड़ा है.
मंगलवार को दिल्ली के भलस्वा लैंडफिल साइट पर भीषण आग लगने के बाद से ही स्थानीय निवासियों को आर्थिक और शारीरिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
मामला 26 अप्रैल का है जहां शाम करीब 4 बजे कूड़े के पहाड़ पर आग गई. देखते ही देखते आग ने इतनी तेजी पकड़ ली कि वह आसपास की बस्ती तक पहुंच गई और वहां रहने वाले लोगों को अपनी झुग्गी खाली करके भागना पड़ा.
न्यूज़लॉन्ड्री की टीम ने भलस्वा लैंडफिल साइट का दौरा किया. जहां हमने पाया कि लोग झुग्गियां छोड़कर चले गए. फिलहाल केवल तीन झुग्गियों में लोग रह रहे हैं जो कूड़े के पहाड़ से थोड़ी ही दूरी पर हैं.
जहान आरा बीबी अपने परिवार के साथ इन तीन झुग्गियों में से एक में रहती हैं. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “कूड़े के पहाड़ की बायीं तरफ आग लगनी शुरू हुई. उस समय शाम के 4 बज रहे थे. धीरे-धीरे आग बढ़ने लगी और आगे की तरफ दो झुग्गियों को अपनी चपेट में ले लिया.”
जहान आरा बीबी आगे बताती हैं, “पीछे तीन झुग्गियों में आग लग गई. वे लोग अपनी जान बचाकर भाग गए. हमारी झुग्गी पहाड़ से थोड़ी ही दूर पर है लेकिन डर के कारण हम रातभर नहीं सो पाते. हमारी भी कबाड़ की बोरी जल गई.”
भलस्वा लैंडफिल साइट के आसपास झुग्गियों में रहने वाले अधिकतर लोग पहाड़ पर चढ़कर कबाड़ा बीनते हैं. कबाड़ की ये बोरियां वे पहाड़ के पास ही रखते हैं जहां झुग्गियां हैं.
न्यूज़लॉन्ड्री की टीम जब 27 अप्रैल को घटनास्थल पर पहुंची तो पाया कि जहरीले काले घने धुएं ने इलाके को घेर लिया. लोगों को सांस लेने में दिक्कत का सामन करना पड़ रहा था. करीब 4:30 बजे एक और विस्फोट हुआ और नीचे की तरफ आग तेज हो गई.
दिल्ली दमकल विभाग के असिस्टेंट डिविजनल अफसर, सीएल मीणा मौके पर मौजूद थे. उन्होंने न्यूज़लॉन्ड्री को बताया, “हमें 26 अप्रैल की शाम 5:47 बजे सूचना मिली. जिसके बाद हम घटना स्थल पर पहुंचे. रात को हवा के कारण आग तेजी से फैलने लगी. इस दौरान दमकल की 12 से 13 गाड़ियों ने आग बुझाने का प्रयास किया. जब 6-7 घंटे बाद भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका तब रात को ही और गाड़ियां भेजी गईं. बुधवार की सुबह से यहां छह गाड़ियां काम कर रही थीं. दो गाड़ियां सबसे ऊपर जहां एमसीडी और जेसीबी भी काम कर रही थीं. बाकी गाड़ियां आवासीय क्षेत्र में प्लास्टिक और मलबे को बुझाने में जुटी थीं.”
आग लगने के पीछे की वजह बताते हुए सीएल मीणा कहते हैं, “इस कूड़े के ढ़ेर में गीला और सूखा हर तरह का कूड़ा है. उसमे से लगातार मीथेन गैस निकलती है. गर्मी और हवा के कारण अकसर आग लग जाती है.”
30 वर्षीय रहीमा बीबी पिछले 25 साल से भलस्वा लैंडफिल साइट के पास रह रही हैं और वहीं कबाड़ चुनने का काम करती हैं. आग लगने के कारण उनका जमा किया सारा कबाड़ जलकर राख हो गया. रहीमा कहती हैं, “मैं मेहनत से सारा दिन पहाड़ पर चढ़कर कबाड़ चुनती हूं. आग लगने से मेरा 50 बोरी कबाड़ जल गया है. मेरा पति नहीं है. मैं अपने बच्चों को खाना कैसे खिलाऊं? सरकार हमारी सुनती भी नहीं है.”
वह आगे बताती हैं, “मंगलवार की दोपहर 12 बजे पहाड़ के ऊपर की तरफ आग लगी थी. मुझे लगा दमकल की गाड़ी आकर पानी छिड़क जाएगी. मगर पानी वाला नहीं आया. जब आग फैल गई तब गाड़ी आई और चली गई. बुधवार सुबह वापस आग लग गई. दमकल की गाड़ियां बार-बार आती -जाती रहीं लेकिन आग दोबारा लग गई.”
32 वर्षीय राबिया बीबी को 26 अप्रैल की रात से सांस लेने में दिक्कत हो रही है. वह कहती हैं, “मेरी आंखें जल रही हैं और घबराहट से बदन कांप रहा है.”
राबिया भी कबाड़ा बीनने का काम करती हैं. वह आगे बताती हैं, “पहले हमारी झुग्गी भी कूड़े के पहाड़ के पास बनी थी लेकिन कुछ ही सालों में पहाड़ की ऊंचाई बढ़ गई है. कूड़ा ऊपर से गिरता है. खासकर बारिश के मौसम में. हमारी झुग्गी कूड़े में धस गई.”
बुधवार को पूरा दिन इलाके का एक्यूआई लेवल 300 के पार रहा. जिसका मतलब है कि हवा की गुणवत्ता ‘अतिगंभीर’ श्रेणी में रही. दिल्ली की भलस्वा लैंडफिल में आग लगने के मामले को लेकर दिल्ली सरकार ने दिल्ली पॉल्यूशन कंट्रोल कमिटी (डीपीसीसी) से रिपोर्ट मांगी है. यह इस साल आग लगने की चौथी घटना है. इससे पहले दिल्ली के गाजीपुर लैंडफिल साइट पर 28 मार्च को आग लगी थी.
आगामी एमसीडी चुनाव के चलते सियासत भी तेज हो रही है. दिल्ली सरकार ने एमसीडी के कामकाज की निंदा करते हुए कहा कि लैंडफिल साइट में लगी आग एमसीडी में हो रहे भ्रष्टाचार के कारण है. दिल्ली के कूड़े के पहाड़ पिछले 15 सालों की एमसीडी की लापरवाही का नतीजा हैं.
मामले पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने लैंडफिल साइट पर लगने वाली आग की घटनाओं पर अपनी नाराजगी जताई. उन्होंने कहा, “बीजेपी के लोगों को सबसे पहले भलस्वा में जाकर सर्वे करना चाहिए. चूंकि आखिर 15 साल में उन्होंने क्या किया कि आज दिल्ली के लोगों को इस तरह की भीषण आग से जूझना पड़ रहा है. उन्होंने 15 साल बुलडोजर चलाए होते, तो आज ये कूड़े के पहाड़ खड़े नजर नहीं आ रहे होते.”
झुग्गी में रहने वाले एक अन्य शख्स शेख हमीदुल कहते हैं, “हर साल दो या तीन बार आग लगने की घटना होती है. लेकिन कुछ उपाय नहीं किया जाता. इस पहाड़ के कारण कॉलोनी में मच्छर और बदबू रहती है. लोग रोजाना बीमार पड़ते हैं. हम खत्ते में कूड़ा बीनने का काम करते हैं. हम कितनी बार अपने बच्चों का इलाज कराएंगे?”
स्थानीय निवासी 45 वर्षीय रामचरण ने हमें बताया, “मैं 1990 से देख रहा हूं कोई भी सरकार इस पर ध्यान नहीं दे रही है. यहां बस्ती बसी हुई है. कूड़े के पहाड़ में आग लगती रहती है. लेकिन ये नहीं सोचते कि यहां रहने वाले लोगों का क्या होगा. हरियाणा और पंजाब में पराली जलती है तो सरकार कहती है कि दिल्ली का दम घुटता है. लेकिन जब आपके ही राज्य में आग लग रही है तब सरकार का दम नहीं घुटता. भलस्वा से लगी सदानंद कॉलोनी के सभी निवासी परेशान हैं. नेता आते हैं. लोगों को आश्वासन देकर, खिला पिलाकर चले जाते हैं.”
बस्ती सुरक्षा मंच संगठन से जुड़े शेख अकबर अली भलस्वा के लोगों के बीच काम कर रहे हैं. उन्होंने आग लगने के पीछे एक और वजह की ओर इशारा किया. अकबर ने कहा, “दिल्ली में कूड़ाघर की जगह कॉम्पैक्टर मशीन लगाई जा रही हैं, जिसमें सिर्फ लोग आते हैं और अपना कूड़ा डालकर चले जाते हैं. जिसके चलते सूखा कूड़ा बिना छटाई के लैंडफिल में चला जाता है. पहले कबाड़ी वाले हर घर से कूड़ा उठा कर ढ़ालाओ (कूड़ाघर) में जाकर उस कूड़े को अच्छे से छांटा करते थे. लेकिन अब सूखे और गीले कूड़े में छंटाई न होने के चलते आग लगने की घटनाए बढ़ गई हैं.”
बता दें दो दिन तक संघर्ष के बाद दमकल विभाग के अधिकारी 28 अप्रैल की सुबह आग बुझा पाए. लेकिन इस आग पर काबू पाने में नाकाम रहने पर दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) ने गुरुवार को उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी) पर करीब 50 लाख रुपए का जुर्माना लगाया है.
बार-बार आग लगने के मामले को लेकर न्यूज़लॉन्ड्री ने भलस्वा क्षेत्र के नगर पार्षद सुरेंदर खरब से बात की. उन्होंने कहा, “जो लोग कूड़ा बीनने के लिए लैंडफिल पर जाते हैं उनमे से कोई बीड़ी पीकर वहीं गिरा देता होगा इस वजह से आग लग जाती है. हम लोगों को जागरूक करने की कोशिश करते हैं. लेकिन अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए झुग्गी के लोग कूड़े के पहाड़ पर चढ़ जाते हैं.”
घटना के दौरान झुग्गियों में लगी आग के सवाल पर सुरेंदर कहते हैं, “ये झुग्गियां अवैध हैं. ये बढ़ती जा रही हैं. ये लोग वहीं कचरा बीनते हैं और वहीं झोपड़ी बना लेते हैं.”
वहीं आम आदमी पार्टी एमसीडी प्रभारी दुर्गेश पाठक ने भी हम से बात की है. दुर्गेश कहते हैं, “भलस्वा लैंडफिल साइट भाजपा के भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा उदाहरण है. पिछले तीन सालों में भाजपा ने लगभग 440 करोड़ रूपए इस लैंडफिल साइट को हटाने में लगाए हैं लेकिन एक इंच का भी बदलाव नहीं आया है.”
दुर्गेश कहते हैं कि अगर हम एमसीडी में आए तो 440 करोड़ रूपए कम नहीं होते. नीयत साफ होनी चाहिए. आम आदमी पार्टी की नीयत साफ है. हम एमसीडी में आते ही भलस्वा लैंडफिल साइट पर काम शुरू कर देंगे.