छोटे नवाब के किस्से और अंजना की बुलडोज़र छाप रिपोर्टिंग

दिन ब दिन की इंटरनेट बहसों और खबरिया चैनलों के रंगमंच पर संक्षिप्त टिप्पणी.

WrittenBy:अतुल चौरसिया
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संजय ने इस बार धृतराष्ट्र को छोटे नवाब की कहानी सुनाने का प्रस्ताव दिया. यह धृतराष्ट्र ने नाम थोड़ा बहुत सुन रखा था. संजय ने कहा चराग़े हिंद थे छोटे नवाब. बड़े-बड़े अरमान पाले थे लोगों ने छोटे नवाब से. सियासत को बदलने निकले थे, फिलहाल सियासत ने छोटे नवाब को पूरी तरह अपने रंग में रंग लिया है. देखिए छोटे नवाब की पूरी कहानी.

लगे हाथ कुछेक टिप्पणी खबरिया चैनलों और उनके एंकर-एंकराओं पर. कुछ लोगों के लिए बेशर्मी ही उनका आभूषण हैं. ये बात अमन चोपड़ा जैसे लोगों पर शब्दश: लागू होती है. तो ध्यान से देखिएगा टिप्पणी का यह हिस्सा.

दिल्ली के जहांगीरपुरी में अतिक्रमण की कार्रवाई 20 अप्रैल को हुई. अलवर में अतिक्रमण की कार्रवाई इसके तीन दिन पहले 17 अप्रैल को हो चुकी थी. लेकिन इस ज़हरीले आदमी ने इस पूरी खबर को 22 अप्रैल का बताया. इतना ही नहीं, इसे दिल्ली में मस्जिद पर हुई कार्रवाई का बदला बताया.

बीते हफ्ते ग्राउंड रिपोर्टिंग की दुनिया में एक जलजला आया. तीन मिनट में बांग्लादेशी, रोहिंग्या का पुलित्ज़र विनिंग इन्वेस्टिगेशन करके लौटी आज तक की एंकर अंजना ओम कश्यप की घंटा रिपोर्टिंग पर विशेष टिप्पणी क्योंकि न तो आपको सबूत की जरूरत है, ना ही तथ्य की. बस इनके देखे हुए तीन घर हैं और तीन हाथ की जुबान है. उस जुबान से जिसे मन में आया बांग्लादेशी, जिसे मन किया रोहिंग्या का सर्टीफिकेट. रिपोर्टिंग के नाम पर घंटा देखना हो तो यह जरूर देखिए.

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