1911 में पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया लेकिन 1913 के बाद से इसे 8 मार्च को मनाया जाने लगा.
स्त्री मताधिकार
(18 अगस्त, 1907 को स्टटगार्ड, बर्लिन में अंतरराष्ट्रीय सोशलिस्ट कांग्रेस में दिए गए भाषण का एक अंश)
स्त्री मताधिकार कमीशन की कार्यवाही के बारे में मुझे आप सबको बताना चाहिए और वह प्रस्ताव आप सबके सामने रखना चाहिए जिसे पहली अंतरराष्ट्रीय समाजवादी कांफ्रेंस में अंगीकार किया गया 47 वोटों से (11 विपक्ष में) समाजवादी स्त्रियां मताधिकार को सबसे जरूरी सवाल की तरह नहीं मानतीं, जो स्त्रियों की आजादी और सामंजस्यपूर्ण विकास के रास्ते की सभी बाधाएं दूर कर देगा. यह इसलिए कि यह वह सबसे गहरी वजह को छूता भी नहीं है. निजी सम्पत्ति, जो एक मनुष्य की दूसरे मनुष्य के शोषण और दमन की वजह है. यह और भी साफ हो जाता है उन सर्वहारा पुरुषों को देखकर जो राजनीतिक रूप से तो बंधनमुक्त हैं लेकिन सामाजिक रूप से दमित और शोषित हैं.
स्त्री मताधिकार दिया जाना शोषक और शोषित के बीच वर्ग विभाजन को खत्म नहीं करता जहां से सर्वहारा स्त्री के सामंजस्यपूर्ण विकास की राह की रुकावटें पैदा होती हैं. यह उन संघर्षों को भी समाप्त नहीं करता है जो पूंजीवादी व्यवस्था के भीतर पुरुषों और महिलाओं के बीच होने वाले सामाजिक अंतर्विरोध से उनके लिंग के सदस्यों के रूप में महिलाओं के लिए पैदा होते हैं.
इसके विपरीत स्त्री लिंग की पूर्ण राजनीतिक समानता वह आधार तैयार करती है जिस पर संघर्षों को सबसे तीव्रता से लड़ा जाएगा. ये संघर्ष विविध हैं लेकिन सबसे गम्भीर और दर्दनाक है पेशेवर काम और मातृत्व के बीच का संघर्ष. हम समाजवादियों के लिए इसलिए महिला मताधिकार अंतिम लक्ष्य नहीं हो सकता क्योंकि यह बुर्जुआ महिलाओं के लिए है. हालांकि हम अपने अंतिम लक्ष्य की ओर लड़ाई के एक चरण के रूप में इसके अधिग्रहण के लिए सबसे अधिक उत्सुकता से रहे हैं.
मताधिकार प्राप्त करने से बुर्जुआ महिलाओं को पुरुष विशेषाधिकारों के रूप में बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी जो उनके शैक्षिक और व्यवसायिक अवसरों को सीमित करता है. यह महिला सर्वहारा वर्ग को वर्ग शोषण और वर्ग शासन के खिलाफ उनकी पूरी मानवता हासिल करने के प्रयास में हथियारों से लैस करती है. यह उन्हें सर्वहारा वर्ग द्वारा राजनीतिक सत्ता हासिल करने में पहले की तुलना में कहीं ज्यादा भाग लेने में सक्षम बनाता है, ताकि एक समाजवादी व्यवस्था को खड़ा किया जा सके जो अकेले स्त्री प्रश्न का समाधान कर सकती है.
दुनिया की स्त्रियों, एक हो
अपने तमाम भाषणों में क्लारा दुनिया भर की स्त्रियों को संबोधित करती हैं. उनका आह्वान आर्थिक और सामाजिक आजादी के लिए था सर्वहारा कामगर स्त्री को उनका कहना था- कॉमरेड्स! सिस्टर्स! अपमानपूर्ण दासता से, शिशुपालन और रसोई के नीरस जीवन से निकलकर सामाजिक उत्पादन का हिस्सा बनो. वर्किंग क्लास के भीतर पुरुष प्रभुत्व से आजादी पाना श्रमिक स्त्री के लिए एक बड़ी चुनौती थी.
(स्त्रीवादी लेखक, कवि, असोसिएट प्रोफेसर, दिल्ली विश्वविद्यालय)