play_circle

-NaN:NaN:NaN

For a better listening experience, download the Newslaundry app

App Store
Play Store

एनएल चर्चा 199: बुली बाई ऐप, प्रधानमंत्री की सुरक्षा और अन्य विषय

हिंदी पॉडकास्ट जहां हम हफ़्ते भर के बवालों और सवालों पर चर्चा करते हैं.

     
  • Share this article on whatsapp

एनएल चर्चा के इस अंक में मुख्य रुप से बुल्ली बाई ऐप को लेकर बातचीत हुई. इसके साथ ही प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई कथित चूक को लेकर हो रही सियासत, ओमीक्रॉन के मामलों में बढ़ोतरी, पुणे पुलिस द्वारा कालीचरण की गिरफ्तारी, मेगालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की पीएम मोदी पर टिप्पणी, वैष्णव देवी में भगदड़ आदि विषयों पर चर्चा हुई.

चर्चा में इस हफ्ते बतौर मेहमान द वायर की पत्रकार इस्मत आरा और द क्विंट की पत्रकार फातिमा खान शामिल हुईं. न्यूज़लॉन्ड्री के एसोसिएट एडिटर मेघनाद एस ने भी हिस्सा लिया. संचालन कार्यकारी संपादक अतुल चौरसिया ने किया.

अतुल बुली बाई एप को लेकर चर्चा की शुरुआत करते हुए पूछते हैं, "मैं आप दोनों के अनुभव जानना चाहता हूं. जब आपको इस बारे में पता चला तो आपके ऊपर इसका पहला असर क्या हुआ. इस तरह की घटनाओं के बाद कई तरह के असर होते है मसलन इसका एक मनोवैज्ञानिक असर होता, साथ में इसका सामाजिक असर बी होता. परिवार के भीतर कई तरह की उठापटक होती है. खासकर महिलाओं को लेकर हमारे समाज इस तरह की चीज़ों पर लोग अलग तरीके से बर्ताव करने लगते हैं. बतौर महिला आपके अपने व्यक्तित्व पर इसका कितना और किस तरह से असर हुआ?"

इस्मत कहती हैं, "मैं थोड़ा नाइत्तेफाकी रखती हूं कि जिन लोगों ने यह किया वो मानसिक तौर पर बीमार है. दरअसल नफरत इतनी बढ़ चुकी है कि आम लोग इस तरह की चीज़ें कर रहे हैं. एक जनवरी को जब मुझे इसके बारे में पता चला तब मेरे अंदर बहुत गुस्सा था. सवाल था कि साल के पहले दिन ऐसे कौन लोग है जो इस तरह की चीजें कर रहे है? मैं बैठ कर अभी तक सोच भी नहीं पाई हूं कि इसका मेरे ऊपर किस तरह का असर रहा है. दूसरी बात मेरे घर की. यह मेरे परिवार के लिए बहुत बड़ी बात थी. पहले दिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था, मैं अफने एक दोस्त के घर चली गई. कुछ दिन बाद जब मेरी शिकायत के बाद एफआईआर दर्ज हुई तो मैंने उसकी कॉपी अपने पिता को व्हाट्सएप की. उसके बाद हमारी इस बारे में कोई बात नहीं हुई. मेरे परिवार ने मेरा पूरा साथ दिया.”

इसी सवाल पर फातिमा कहती हैं, "यह मेरे साथ दूसरी बार हो रहा है. इससे पहले सुल्ली डील्स में भी मेरा नाम आया था. वो समय मेरे लिए बहुत डरावना था. मुझे कुछ समझ नहीं आया. इसे समझने में थोड़ा समय लगा कि मेरे साथ हो क्या रहा है. उस घटना से उबरने में मुझे छह महीने लग गए. जब मेरे साथ ये पहली बार हुआ तो मैंने देखा की उस समय ज्यादातर नारीवादी आवाज़ें चुप थी. लोगों की प्रतिक्रिया थी कि इसमें क्या बड़ी बात है. कोई सच में थोड़े ही कुछ कर रहा है. ऑनलाइन बोली लगाने से क्या होता है."

फातिमा आगे कहती हैं, "मुझे 31 दिसंबर की रात को इस घटना के बारे में पता चल गया था. मुझे इस बात की ख़ुशी थी कि इस बार सभी महिलाओं ने एक साथ आवाज उठाया. जहां तक परिवार की बात है मुझे मेरे परिवार को कुछ समझाने की जरूरत नहीं पड़ी. उन्होंने मुझे काम करने से कभी नहीं रोका.”

चर्चा में मेघनाद को शामिल करते हुए अतुल कहते हैं, "जरुरी नहीं है की बुल्ली बाई या सुल्ली डील मामले में राजनीतिक हितधारकों का या किसी पार्टी का नाम सामने आए लेकिन पिछले सात-आठ साल में एक ऐसी स्थित पैदा हो गई की हर आदमी का रूढ़ियों में भरोसा बढ़ गया है. जैसे कि वही आखिरी सच है. इस मामले में तमाम युवा पकड़े गए हैं. हमारे युवाओ के अंदर नफरत घर कर चुकी है. जिनके सामने पूरा का पूरा करियर पड़ा हुआ है वो नफरत और सांप्रदायिकता को अपनी रोजी-रोटी का जरिया बना रहे हैं. उन्हें अपना भविष्य नहीं दिख रहा. वह हेट के जरिए कमाना चाहते है. ये कितनी खतरनाक बात है?"

इस सवाल के जवाब में मेघनाद कहते हैं, "इस मामले में जो चार लोग गिरफ्तार किए गए हैं वो मानसिक रूप से बीमार नहीं है. जो जहरीला वातावरण तैयार किया गया है यह उसका नतीजा है. हमारे टीवी चैनल लोगों के अंदर चौबीसों घंटे घृणा भर रहे हैं. हमें उन टीवी चैनेलों को और उनके प्रायोजकों को जवाबदेह बनाना पड़ेगा. इस घटना से एक तथ्य यह भी सामने आया है कि दक्षिणपंथी विचारधारा के भीतर भी दो गुट हो चुके हैं और उनके बीच भी टकराव चल रहा है. एक दक्षिणपंथी हैं और दूसरा धुर दक्षिणपंथी है. धुर दक्षिणपंथी लोगों को अब भाजपा और मोदी पसंद नहीं आ रहे हैं. हमें इसके बारे में सोचना चाहिए के ये समूह कैसे बन रहे हैं, क्यों बन रहे हैं और किस तरह से साथ में आकर काम कर रहे हैं."

इसके अलावा प्रधानमंत्री की सुरक्षा व्यवस्था में हुई कथित चूक पर भी चर्चा में विस्तार से बातचीत हुई. पूरी बातचीत सुनने के लिए हमारा यह पॉडकास्ट सुनें और न्यूज़लॉन्ड्री को सब्सक्राइब करना न भूलें.

टाइमकोड

00-1:30 - इंट्रो

1:31-14:00 - हेडलाइंस

14:10 - 57:36 - बुल्ली बाई और सुल्ली डील

57:38-1:04:36 - चर्चा लेटर

1:04:36- प्रधानमंत्री की सुरक्षा में हुई चूक

1:28:50 - सलाह और सुझाव

पत्रकारों की राय, क्या देखा, पढ़ा और सुना जाए.

मेघनाद एस

प्रतीक गोयल की बुली बाई एप को लेकर रिपोर्ट

द वॉयर की टेकफोग को लेकर रिपोर्ट

द साइंलेंट सी - कोरियन शो

इस्मत आरा

ईएम एंड द बीग हूम - किताब जेरी पिंटो

द लाउडेस्ट वाइस - डिज़्नी हॉटस्टार

फातिमा खान

मेड - नेटफ्लिक्स

शार्क टैंक इंडिया - सोनी लिव

अतुल चौरसिया

प्रतीक गोयल की बुली बाई एप को लेकर रिपोर्ट

शिवांगी सक्सेना की यमुना नदी को लेकर ग्राउंड रिपोर्ट

वर्ल्ड वार 2 इन कलर - नेटफ्लिक्स

***

हर सप्ताह के सलाह और सुझाव

चर्चा लेटर

***

प्रोड्यूसर- लिपि वत्स

एडिटिंग - उमराव सिंह

ट्रांसक्राइब - अश्वनी कुमार सिंह

subscription-appeal-image

Support Independent Media

The media must be free and fair, uninfluenced by corporate or state interests. That's why you, the public, need to pay to keep news free.

Contribute
Also see
article image'बुली बाई' पर एक हिंदू आदमी का चेहरा क्यों है?
article imageक्या वाकई प्रधानमंत्री की सुरक्षा में चूक हुई है?
subscription-appeal-image

Power NL-TNM Election Fund

General elections are around the corner, and Newslaundry and The News Minute have ambitious plans together to focus on the issues that really matter to the voter. From political funding to battleground states, media coverage to 10 years of Modi, choose a project you would like to support and power our journalism.

Ground reportage is central to public interest journalism. Only readers like you can make it possible. Will you?

Support now

You may also like