सिद्दीकी कप्पन के खिलाफ मुकदमा मुख्यतः उस आदमी के बयान पर आधारित है जिसपर कप्पन ने पूर्व में मानहानि का आरोप लगाया था.
एक 'झूठी खबर योजना'
एक और पत्रकार जो मलयालम टीवी न्यूज़ चैनल एशियानेट में रिपोर्टर हैं, का जिक्र श्रीदाथन के बयान में है. उन्होंने दावा किया है कि एशियानेट रिपोर्टर एक पीएफआई समर्थक है और वह फरवरी 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान झूठी खबरें फैलाने में शामिल था.
एशियानेट के एक कर्मचारी ने, अपनी पहचान गुप्त रखने का निवेदन करते हुए इस आरोप को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, "क्या यह मजाक है? केवल वही रिपोर्टिंग केंद्र को अच्छी नहीं लगी जब उस रिपोर्टर ने अपने लाइव प्रसारण में दिल्ली पुलिस की भूमिका का जिक्र किया."
मलयालम न्यूज़ चैनल मीडिया वन को भी श्रीदाथन ने कथित "झूठी खबर योजना" का हिस्सा बताया. उन्होंने दावा किया कि मीडिया वन के "एक दूसरे कट्टरवादी इस्लामी समूह, जमात-ए-इस्लामी से तार जुड़े हुए हैं."
अपने बयान को सत्यापित करने के लिए, श्रीदाथन ने एशियानेट और मीडिया वन के फरवरी 2020 में हुए दिल्ली दंगों के कवरेज और मार्च 2020 में सूचना व प्रसारण मंत्रालय के द्वारा दोनों चैनलों पर 48 घंटे के प्रतिबंध का उल्लेख किया. मंत्रालय के अनुसार दोनों चैनलों ने 1995 के केबल टेलीविजन नेटवर्क विनियमन अधिनियम का उल्लंघन किया.
दोनों चैनलों के दंगों के कवरेज और प्रतिबंध का कप्पन के खिलाफ मामले या पीएफआई और जमात-ए-इस्लामी से कोई भी संबंध से क्या लेना देना है, यह स्पष्ट नहीं है. खबर में गलती हो जाने के कुछ और उदाहरण हो सकते हैं, लेकिन कप्पन और इन दोनों चैनलों के बीच कोई सीधा संबंध दिखाई नहीं पड़ता.
न्यूजलॉन्ड्री ने एशियानेट और मीडिया वन के संपादकों से उनकी टिप्पणी लेने के लिए संपर्क करने का प्रयास किया. उनकी तरफ से जवाब आने पर यहां जोड़ दिया जाएगा.
व्हाट्सएप नाम का एक सूत्र
न्यूज़लॉन्ड्री से बातचीत में, श्रीदाथन ने कहा कि कप्पन पर हमला करने वाली इंडस स्क्रोल्स की कहानी की शुरुआत व्हाट्सएप से हुई.
उन्होंने बताया, "एक पत्रकारों के व्हाट्सएप ग्रुप के जरिए एक झूठा मैसेज भेजा गया की दो तीन छात्रों को दिल्ली पुलिस ने गोली मारी है. जल्द ही, एक मय्यत नमस्कारम् (शोक सभा) त्रिवेंद्रम में आयोजित की गई. कई मीडिया संस्थानों ने इस झूठी खबर को खूब चलाया. यह जानबूझकर सामाजिक विद्वेष पैदा करने के लिए किया गया. हमारे अनुसार जिस ग्रुप से यह मैसेज भेजा गया उसके प्रबंधकों में से एक कप्पन भी था."
लेकिन उन्हें उस व्हाट्सएप ग्रुप का नाम याद नहीं आया और उन्होंने कहा कि वह रिपोर्टर से पता करके बताएंगे, जो इंडस स्क्रोल्स को छोड़कर जा चुका है.
यह पूछे जाने पर कि क्या उनके पास कप्पन को पीएफआई से जुड़ने के सबूत मौजूद हैं, श्रीदाथन ने उत्तर दिया, "मैं खुद पत्रकार रह चुका हूं और मेरे सूत्रों के अनुसार, हमें विश्वास है कि कप्पन पीएफआई के लिए काम करता था."
जिन प्रकाशनों में श्रीदाथन काम करते हैं उनके वैचारिक झुकाव और कप्पन के अपनी गिरफ्तारी से महीनों पहले श्रीदाथन और इंडस स्क्रोल्स पर मानहानि का आरोप लगाने के बावजूद, यूपी एसटीएफ श्रीदाथन को एक विश्वसनीय गवाह के रूप में देखती है. यह पूछने पर कि अदालत श्रीदाथन के वक्तव्यों को किस तरह देख सकती है, अधिवक्ता अभिनव सेखरी ने कहा, "विश्वसनीयता एक महत्वपूर्ण मामला है और इसमें एक पहलू व्यक्तिपरक भी है, अदालत किसी गवाह पर कितना निर्भर करेगी यह केवल उस न्यायाधीश का निर्णय है."
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यूपी पुलिस को लगता है कि सिद्दीकी कप्पन की पीएफआई के साथ साजिश साबित करने के लिए कुछ लिंक और व्हाट्सएप चैट पर्याप्त हैं
यूपी पुलिस नहीं बता रही कि "जस्टिस फॉर हाथरस" वेबसाइट का सिद्दीकी कप्पन से क्या संबंध है?