अध्ययन में चार दशकों से सभी विकासशील देशों के 10 लाख से अधिक बच्चों के आंकड़ों को इकट्ठा करके यह अनुमान लगाया है.
2015 के खतरनाक अल नीनो के मामले में, कम वजन वाले बच्चों की संख्या में लगभग छह प्रतिशत की वृद्धि हुई है. कहा जा सकता है कि अतिरिक्त लगभग 60 लाख बच्चे भूखे हैं. जबकि बच्चों का वजन समय के साथ ठीक होने लगता है, कम उम्र में पोषण की कमी के चलते आने वाले जीवन में उनका विकास रुक जाता है.
सतत विकास लक्ष्यों के मुताबिक, दुनिया भर में लोग 2030 तक सभी तरह के कुपोषण को खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं. जिसका अर्थ है कि हर साल लगभग 60 लाख बच्चों को भूख की गंभीर समस्या से निपटने की जरूरत पड़ेगी.
उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए हमारे पास 10 साल से भी कम का समय है, जबकि 2015 के अल नीनो ने एक साल की प्रगति को कम कर दिया है. अध्ययन में पाया गया है कि 2015 के अल नीनो के प्रभावों को दूर करने के लिए 13.4 करोड़ बच्चों को सूक्ष्म पोषक तत्वों की खुराक या 7.2 करोड़ भोजन से वंचित बच्चों को खाना प्रदान करने की जरूरत पड़ेगी.
यूसी सैन डिएगो स्कूल ऑफ़ ग्लोबल पालिसी एंड स्ट्रेटेजी के गॉर्डन मैककॉर्ड कहते हैं चूंकि वैज्ञानिक इस बात का महीनों पहले पूर्वानुमान लगा सकते हैं कि किन स्थानों पर सूखा पड़ने वाला है और किन स्थानों पर बाढ़ आने वाली है. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय लाखों बच्चों को कुपोषण के शिकार होने से रोकने के लिए सक्रिय रूप से कार्य कर सकता है. यह एक वास्तविक त्रासदी है कि 21वीं सदी में भी इंसानों की आबादी का इतना बड़ा हिस्सा जलवायु से संबंधित समस्याओं से जूझ रहा है.
हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि जलवायु परिवर्तन से अल नीनो की तीव्रता में वृद्धि होगी या नहीं, जलवायु परिवर्तन के कारण गर्म क्षेत्र गर्म हो जाएंगे और शुष्क क्षेत्र शुष्क हो जाएंगे. जब अल नीनो को इन समग्र पारियों के शीर्ष पर रखा जाता है, तो इसमें कोई संदेह नहीं है कि अल नीनो वर्षों के दौरान प्रभाव अभी की तुलना में अधिक खतरनाक होंगे. उदाहरण के लिए, जैसा कि क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के चलते फसलों की हानि की आशंका है, उन्हीं क्षेत्रों में अल नीनो वर्षों के दौरान और भी अधिक फसलों का नुकसान होगा.
सैन फ्रांसिस्को विश्वविद्यालय के जेसी एंटिला-ह्यूजेस कहते हैं कि ये जलवायु की नियमित घटनाएं हैं जो दुनिया भर में वास्तविक त्रासदी का कारण बनती हैं. अल नीनो का अध्ययन हमें उन प्रभावों के बारे में जानकारी दे सकता है जो एक गर्म, शुष्क जलवायु से आते हैं. चूंकि दुनिया भर में ये बदलाव जलवायु परिवर्तन के साथ बड़े पैमाने पर बढ़ जाते हैं. यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.
लेकिन चिंता इस बात की है कि आने वाले कुछ साल अल नीनो के होते हैं, हमें इस बात की जानकारी पहले से ही होती है कि अल नीनो आ रहा है. हम तब भी उनसे निपटने के लिए कार्य नहीं करते हैं, यह ठीक नहीं है क्योंकि इनमें से कई जलवायु परिवर्तन अलग तरह की लू या हीट वेव से तूफान तक कुछ भी हो सकता है, जिसका जलवायु परिवर्तन के रूप में बहुत कम अनुमान लगाया गया है.
(साभार- डाउन टू अर्थ)